उम्र के साथ घटती याद्दाश्‍त पुरुषों के लिए हो सकती है खतरनाक

पुरुषों में भूलने की बीमारी को अक्सर लोग अल्जाइमर से जोड़ देते है, जबकि यह सही नहीं है, एक शोध की मानें तो याद्दाश्‍त कमजोर होने की समस्‍या उम्र बढ़ने के साथ जुड़ी हुई है।
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उम्र के साथ घटती याद्दाश्‍त पुरुषों के लिए हो सकती है खतरनाक


क्या आपको अपने साथी का नाम याद नहीं रहता? अपनी चाभियां रखकर आप भूल जाते हैं, या फिर समय पर काम करना भूल जाते हैं। एक नए शोध से पता चला है कि बढ़ती उम्र के साथ हर किसी को भूलने की समस्या होती है। ये समस्या महिलाओं की तुलना में पुरूषों में ज्यादा पायी जाती है। इस शोध में पता चला है कि लोगों की याद्दाश्‍त और दिमागी क्षमता उम्र के साथ कम होती जाती है। शोध का मानना है कि ये एल्जाइमर बीमारी को बढ़ाने वाले प्लैक का भी निर्माण करते हैं।

एल्जाइमर नहीं बढ़ती उम्र है जिम्मेदार

रिसर्च के अनुसार हिप्पोकैम्पस यानी दिमाग के याद्दाश्‍त वाले केंद्र का खास हिस्सा है। इस दौरान जीन एक जरूरी प्रोटीन की कम मात्रा पैदा करती है। एमलॉइड-बीटा नाम के इस प्रोटीन की कमी बूढ़े लोगों में याद्दाश्‍त को प्रभावित करती है। सामान्य रूप से उम्र बढ़ने के साथ दिमाग के दूसरे हिस्से में न्यूरॉन्स का संपर्क कमजोर पड़ जाता है, जिसकी वजह से याद्दाश्त को वापस लाना मुश्किल हो जाता है हालांकि असंभव नहीं। उसके उलट अल्जाइमर न्यूरॉन्स को खत्म कर देता है। शोधकर्ताओं का कहना कि हमारी खोज बूढ़ें होते दिमाग की चुनौती है।

Memory Loss

रोचेस्टर के मायो क्लीनिक में इस शोध का नेतृत्व करने वाले डा. क्लिफर्ड जैक का कहना है कि याद्दाश्त एमलॉइड-बीटा के कम होने से पहले ही हर दिन गिरती जाती है। एमलॉइड-बीटा को सामान्यत प्लैक कहा जाता है, जिससे एल्जाइमर की बीमारी होता है। लेकिन शोधकर्ताओं का कहना है कि ये भूलने की बीमारी की शुरूआत नहीं करते बल्कि बाद में शामिल हो जाते हैं।

महत्वपूर्ण है ये खोज

जैक ने कहा कि "याद्दाश्त पर उम्र के गहरे प्रभाव पड़ते है, केवल एमलॉइड के नहीं। हमारा मानना है कि एमलॉइड बढ़ती उम्र के भूलने की बीमारी में देर से प्रवेश करता है।" हालांकि इसके साथ ही एक अच्छी खबर भी है "अक्सर भूल जाने की बीमारी एल्जाइमर की निशानी नहीं होती है।" इसका मतलब आप मानसिक विक्षप्ति नहीं होने वाले है।" अन्य रिसर्चर्स ने भी इस खोज को महत्वपूर्ण माना है।

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यह मस्तिष्क विकार में, मस्तिष्क की कोशिकाओं विकृत और नष्ट करता हैं, कम कोशिकाओं के परिणामस्वरूप, और वहां एक स्वस्थ मस्तिष्क की तुलना में जीवित कोशिकाओं के बीच कम कनेक्शन भी है। मस्तिष्क में रासायनिक दूत या न्यूरोट्रांसमीटर के नुकसान के साथ, विशेष रूप से ऐसिटिलकोलाइन है जो मस्तिष्क में तंत्रिका कोशिकाओं के समुचित संचार की सुविधा है। ये सभी शायद अनुभूति, स्मृति और मानसिक प्रक्रिया में लगातार गिरावट के कारण है।

आज की हर दम बदलती दिनचर्या और अच्छे खान-पान के अभाव की वजह से ये समस्या होती है।

 

ImageCouretsy@gettyImages

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