गर्भवती महिलाओं के लिए फायदेमंद है मेडिटेरेनियन डाइट, बेहतर होता है शिशु का विकास

मेडिटेरेनियन डाइट लेने से महिलाओं के गर्भ में पल रहे शिशु का विकास बेहतर होता है और शिशु के अविकसित पैदा होने या समय से पहले पैदा होने का खतरा 32 प्रतिशत तक कम हो जाता है।
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गर्भवती महिलाओं के लिए फायदेमंद है मेडिटेरेनियन डाइट, बेहतर होता है शिशु का विकास


अगर आप प्रेग्नेंट हैं या प्रेग्नेंसी की तैयारी में हैं, तो अभी से मेडिटेरेनियन डाइट अपनाना शुरू कर दें। हाल में हुए एक शोध में बताया गया है कि मेडिटेरेनियन डाइट लेने से महिलाओं के गर्भ में पल रहे शिशु का विकास बेहतर होता है और शिशु के अविकसित पैदा होने या समय से पहले पैदा होने का खतरा 32 प्रतिशत तक कम हो जाता है। मेडिटेरेनियन डाइट में फल, सब्जियां, ऑलिव ऑयल, लेग्यूम्स और नट्स आदि शामिल होते हैं। ये शोध बार्सिलोना इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ द्वारा किया गया है।

क्या है मेडेटेरेनियन डाइट

मेडिटेरियन डाइट इटली और ग्रीस के पारंपरिक खाद्य पदार्थों पर आधारित है, जो कि काफी हेल्‍दी होता है। इस डाइट में ब्रेड, चावल व छिलके सहित आलू जैसी स्टार्च वाली चीजों के साथ फलों व सब्जियों की भरपूर मात्रा, साबुत अनाज, सूखे मेवे, जैतून/सरसों/ सोया और ऑलिव ऑयल का अदल-बदल कर प्रयोग को शामिल किया जाता है। कई शोधों में मेडिटेरियन डाइट के फायदे भी देखने को मिले हैं। इससे हार्ट अटैक का खतरा कम होता है। इस डाइट का प्रमुख कंपोनेंट ऑलिव ऑयल है।

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मेडिटेरेनियन डाइट की विशेषताएं

  • इस डाइट में पेड़-पौधों से मिलने वाले आहार जैसे- फल, सब्जियां, अनाज, लेग्यूम्स, नट्स आदि का सेवन प्रमुखता से किया जाता है।
  • घी, तेल या मक्खन की जगह हेल्दी फैट जैसे- ऑलिव ऑयल, कैनोला ऑयल आदि का प्रयोग किया जाता है।
  • फूड्स में स्वाद बढ़ाने के लिए नमक का कम और मसालों और हर्ब्स का प्रयोग ज्यादा किया जाता है।
  • रेड मीट का सेवन बहुत कम किया जाता है यानी महीने में लगभग 2-3 बार।
  • मछली, चिकन और अंडा सप्ताह में एक बार खाया जा सकता है।
  • इस डाइट में दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ खाना खाना बेहतर समझा जाता है।
  • थोड़ी मात्रा में रेड वाइन भी पी जा सकती है।
  • आहार के साथ-साथ एक्सरसाइज भी जरूरी है।

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गर्भावस्था में बरतें सावधानियां

  • अक्सर गर्भावस्था के दौरान महिलाएं सोचती हैं कि उन्हें ज्यादा से ज्यादा आराम करना चाहिए लेकिन यह धारणा बिल्कुल गलत है। इस दौरान महिलाओं को आम दिनों की तरह शारीरिक गतिविधियों में हिस्सा लेना चाहिए।
  • स्वस्थ शिशु पाने की चाह में यह जरूरी नहीं है कि आप दिनभर कुछ ना कुछ खाते रहें। गर्भावस्था में अधिक खाना खाना आपके लिए समस्या बन सकता है।
  • नाश्ता अधिक देर से न करें, सुबह उठने के कुछ समय पश्चात ही नाश्‍ता कर लें। साथ ही दाल, चावल, सब्जियां, रोटी और फलों को अपने दैनिक आहार में शामिल करें।
  • गर्भावस्था के दौरान अपनी दवाइयों और डॉक्टर के दिशा-निर्देशों का ठीक से पालन करें। और ध्यान रहें बिना डॉक्टर से पूछे अनावश्यक दवाओं का सेवन नहीं करें।
  • यदि गर्भधारण के दौरान सुबह अक्सर आपका जी मिचलाता है तो आपको खूब पानी पीना चाहिए। खाना थोड़ा-थोड़ा कई बार खाएं साथ ही अच्छी नींद लें जिससे मां और होने वाला शिशु दोनों ही स्वस्थ रहें।
  • सब्जियों को मेथी का तड़का देकर बनाएं। मेथी के सेवन से गर्भाशय शुद्ध रहता है और भूख अधिक लगती है।
  • गर्भवती महिलाओं को नमक कम से कम खाना चाहिए इससे रक्तचाप नॉर्मल रहता है।
  • सूखे मेवे भी खाएं। गर्भवती महिलाओं को कॉफी, चाय और कार्बोनेटेड ड्रिक्स की मात्रा में कमी करनी चाहिए। कोला पेय में कैफीन की मात्रा अधिक होती है।
  • एक गर्भवती महिला को अपने खाने में रोजाना 2500 कैलोरी की जरूरत होती है। इसलिए इतनी हीे कैलारी अपने दिनभर के खाने में लेनी चाहिए इससे ज्‍यादा नहीं।

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