
दिनभर की भागदौड़ और तनाव का असर हमारे शरीर पर भी पड़ता है। इससे उर्जावान और सक्रिय बनाए रखना बहुत मुश्किल होता है। लेकिन मर्जरी आसन जैसे सरल योगा आसन का प्रत्येक दिन अभ्यास करने से शरीर में स्फूर्ति बनी रहती है। मर्जरी आसन की स्थिति बिल्ली के जैसी होती है इसलिए इसे मर्जरी आसन कहते हैं। संस्कृत में बिल्ली को मर्जरी कहते हैं और इस आसन में आदमी के शरीर की स्थिति बिल्ली के जैसी हो जाती है। इस आसन को करने से रीढ़ की हड्डियों में पर्याप्त खिंचाव होता है जो शरीर को लचीला बनाये रखने में कारगर होता है।
इस आसन से पाचन क्रिया अच्छी होती है और रक्त संचार अच्छे से बना रहता है। मर्जरी आसन का अभ्यास करने की विधि और लाभ के बारे में पढ़े
कैसे करें मर्जरी आसन
टेबल मुद्रा के समान हथेलियों और घुटनों पर शरीर को स्थापित कर दीजिए। इस अवस्था में कलाई कंधे के नीचे और घुटने हिप्स के नीचे होने चाहिए। इसके बाद हथेलियों को फैलाइए, इस क्रिया में मध्यमा (पांचों उंगलियों के बीच की उंगली) को एकदम सीधा रखिए।
मेरूदंड (पीठ की हड्डी), गर्दन और सिर को एक सिधाई में रखिए। इस अवस्था में मेरूदंड को बिलकुल भी झुकाना नहीं चाहिए।इस आसन क्रिया में शरीर का पूरा भार हथेलियों और घुटनों पर एक समान रूप से डालिए। हिप्स को अंदर की ओर लीजिए और कमर को छत के ऊपर की तरफ उठाइए।
इसके बाद ठुड्डी को सीने से लगाइए। गहरी सांस अंदर खींचते हुए पेट को नीचे की तरफ ले आकर कमर को ऊपर की ओर ले जाइए। सिर को छत की दिशा में उठाते हुए सामने की तरफ देखिए। इस मुद्रा को कम से कम 5-7 बार दोहराइए।
आसन के दौरान हड्डियों में पूरा खिंचाव हो इस बात का पूरा ध्यान रखना चाहिए। इस अवस्था में शरीर के पिछले भाग में दबाव नहीं हो इसका ख्याल रखना चाहिए। जब कमर को उठा रहे हों और पीठ को घुमा रहे हों तब उस समय कंधे तनाव रहित होने चाहिए।
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मर्जरी आसन के लाभ
- मर्जरी आसन करने से शारीर का तनाव दूर होता है। इस आसन को करके शरीर को चुस्त और दुरुस्त बनाया जा सकता है। इस योग मुद्रा से शरीर में रक्त-संचार सुचारू तरीके से होता है। मर्जरी आसन से कंधों, कमर और हिप्स में जिस प्रकार से खिंचाव होता है वह शरीर को सक्रिय बनाए रखने के लिए बहुत फायदेमंद होता है।
- इस आसन से पाचनतंत्र मजबूत होता है जिससे पेट की बीमारियां जैसे- कब्ज, एसिडिटी आदि नहीं होती है। अन्य कठिन योगासनों का अभ्यास करने के पश्चात शरीर को आराम देने के लिए इस आसन का अभ्यास बहुत ही लाभकारी होता है।
- मर्जरी आसन का अभ्यास उस स्थिति में नहीं करना चाहिए जबकि कमर में किसी प्रकार की कोई भी परेशानी हो। घुटनों एवं कलाईयों में मोच अथवा दर्द की स्थिति में भी इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए। इस आसन को करते समय शरीर को जितना सहज और लचीला बनाएंगे उतना ही अच्छा होगा।
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