यूपी में तेजी से फैल रहा है मलेरिया, जानें क्या हैं इससे बचने के आसान तरीके

मौसम बदलते ही कुछ रोग तेजी से पीछे-पीछे आ जाते हैं। उन्हीं में से एक है मलेरिया। यह रोग 
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यूपी में तेजी से फैल रहा है मलेरिया, जानें क्या हैं इससे बचने के आसान तरीके

मौसम बदलते ही कुछ रोग तेजी से पीछे-पीछे आ जाते हैं। उन्हीं में से एक है मलेरिया। यह रोग बहुत जल्दी इंसान को अपनी चपेट में लेता है और अगर समय रहते इसका सही इलाज नहीं किया गया तो इससे जान को भी खतरा होता है। इन दिनों मलेरिया तेजी से उत्तर प्रदेश में दस्तक दे चुका है। यूपी की राजधानी लखनऊ के साथ ही बरेली, बदायूं, शाहजहांपुर, पीलीभीत, खीरी, बहराइच और सीतापुर में तेजी से फैल रहे मलेरिया एवं बुखार को लेकर स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने कड़े दिशा निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने कहा है कि मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए विशेष वार्ड बनाए गए हैं और मरीजों की पहचान के लिए सघन अभियान का दायरा बढ़ाया गया है।

स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि बीते 24 घंटों में इन जिलों में बुखार के 11,682 मरीज सामने आए हैं। इनमें रैपिड डायग्रोस्टिक किट से जांच में मलेरिया के 1591 मरीज मिले हैं। सिंह ने बताया, प्रदेश के कुछ जिलों में 10 अगस्त से जारी बुखार के प्रकोप पर प्रभावी रोकथाम और नियंत्रण के लिए प्रयास हो रहे हैं। लार्वा रोधी रसायन का छिड़काव, मरीज के घर के अंदर और बाहर मलेरिया निरोधात्मक कार्रवाई की जा रही है। संवेदनशील और अति प्रभावित क्षेत्रों में स्वास्थ्य शिविर लगाए गए हैं। उन्होंने बताया कि इसमें पंचायती राज, ग्राम्य विकास, शहरी विकास विभाग का भी सहयोग लिया जा रहा है। स्वच्छता और जलभराव की स्थिति में सुधार करके मच्छरों पर प्रभावी नियंत्रण की कोशिश हो रही है। इससे स्वास्थ्य विभाग के प्रयासों से मौसमी बुखार, मलेरिया के रोगियों की संख्या में कमी आ रही है।

मलेरिया के लक्षण

  • सिर में तेज दर्द होना
  • उल्टी होना या जी मचलना
  • हाथ पैरों खासकर जोड़ों में दर्द होना
  • कमजोरी और थकान महसून होना 
  • शरीर में खून की कमी होना
  • आंखों की पुतलियों का रंग पीला होना
  • पसीना निकलने पर बुखार कम होना
  • तेज बुखार सहित फ्लू जैसे कई लक्षण सामने आना
  • ठंड के साथ जोर की कंपकंपी होना, और कुछ देर बाद नॉर्मल हो जाना

मलेरिया होने के कारण

मलेरिया होने का मुख्य कारण तो परजीवी मादा मच्छर एनॉफिलीज ही है। दरअसल प्लाज्मोडियम नामक परजीवी मादा मच्छर एनॉफिलीज के शरीर के अंदर पलता है। यह परजीवी मादा मच्छर एनॉफिलीज के काटने से फैलता है। जब मच्छर किसी व्यक्ति को काटता है, तब रोग का परजीवी रक्तप्रवाह के जरिये यकृत में पहुंचकर अपनी संख्या को बढ़ाने लगता है। यह स्थिति लाल रक्त कोशिकाओं पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालती है। चूंकि मलेरिया के परजीवी लाल रक्त कोशिकाओं में पाये जाते हैं, इसलिए ये मलेरिया से संक्रमित व्यक्ति द्वारा ब्लड ट्रासफ्यूजन के जरिये दूसरे व्यक्ति में भी संप्रेषित हो सकते हैं। इसके अलावा अंग प्रत्यारोपण और एक ही सीरिंज का दो व्यक्तियों में इस्तेमाल करने से भी यह रोग फैल सकता है।

मलेरिया का इलाज

अगर समय रहते काबू पा लिया जाए तो मलेरिया का इलाज ज्यादा मुश्किल नहीं है। मलेरिया के इलाज में ऐंटिमलेरियल ड्रग्स और लक्षणों को नियंत्रण में लाने के लिए दवाएं, जरूरी टेस्ट, घरेलू नुस्खे और तरल पदार्थ व इलेक्ट्रोलाइट्स शामिल होते हैं। मलेरिया के इलाज के लिए हर मरीज के लिए एक सी दवा नहीं होती है। बल्कि डॉक्टर इंफेक्शन के स्तर और क्लोरोक्वाइन प्रतिरोध की संभावना को देखते हुए दवा बताते हैं। मलेरिया में दी जाने वाली दवाओं में क्विनीन, मेफ्लोक्विन व डॉक्सीसाइक्लिन शामिल होता है। फाल्सीपेरम मलेरिया से ग्रस्त लोगों के लक्षण सबसे गंभीर होते हैं। इससे ग्रस्त लोगों को इलाज के शुरुआती दिनों में ICU में भर्ती होना पड़ सकता है। इस रोग में श्वास की विफलता, कोमा और किडनी की विफलता भी हो सकती है। गर्भवती महिलाओं में, क्लोरोक्विन का इस्तेमाल मलेरिया के लिए उपर्युक्त इलाज माना जाता है।

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आसान है मलेरिया से बचाव

  • यदि मलेरिया बुखार में शरीर का तापमान बहुत जल्दी-जल्दी बढ़ या घट रहा है और ऐसा लगातार हो रहा है, तो आपको दोबारा से रक्त जांच करवानी चाहिए।
  • ध्यान रहे जब आप दोबारा या जितनी बार भी रक्त जांच करवा रहे हैं, तो मलेरिया की क्लोंरोक्वीनिन दवाई ना लें।
  • मलेरिया में तबियत बिगड़ने पर अपनी आप अपनी मर्जी से किसी भी प्रकार की दर्द निवारक दवाईयों को न लें।
  • मलेरिया ज्वर के गंभीर होने पर भी संतरे के जूस जैसे तरल पदार्थों का सेवन लगातार करते रहें।
  • शरीर का तापमान बढ़ने और पसीना आने पर ठंडा टॉवल लपेट लें। थोड़े समय के अंतराल के बाद माथे पर ठंडी पट्टियां रखते रहे।
  • दवाईयों के सेवन के बाद भी तेज़ बुखार हो रहा है, तो कोई लापरवा‍ही न बरतें नहीं तो आप किसी घातक बीमारी का भी शिकार हो सकते हैं।

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