IVF Success Story in Hindi: सोना और आकाश की शादी 6 साल पहले हुई थी। उन्हें जल्द ही अपनी फैमिली प्लान करने का ख्याल आया। पहले साल जब सफलता नहीं मिली, तो उन्हें ज्यादा निराशा नहीं हुई। दूसरे साल के मध्य में आते-आते दंपति को यह एहसास हो गया कि उन्हें एक एक्सपर्ट से सलाह लेने की जरूरत है। बस यहीं से शुरू हुई इस दंपति की आईवीएफ जर्नी। जो कपल किसी कारणवश कंसीव नहीं कर पाते उन्हें डॉक्टर आईवीएफ तकनीक के जरिए प्रेग्नेंसी प्लान करने की सलाह देते हैं। आईवीएफ तकनीक को आसान भाषा में समझें तो महिला के एग्स और पुरुष के स्पर्म को लैब में आर्टिफिशियल तरीके से फर्टिलाइज किया जाता है। जब यह भ्रूण के रूप में विकसित हो जाता है, तो इसे महिला के गर्भ में ट्रांसफर कर दिया जाता है। लेकिन हमारे देश में यह तकनीक अभी उतनी कॉमन नहीं है। कपल्स इसे अपनाने से हिचकिचाते हैं। कारण है आईवीएफ के प्रति कम जानकारी होना।
इस बात को ध्यान में रखते हुए ओनलीमायहेल्थ ने एक मुहिम शुरू की है जिसका नाम है- #KhushkhabriWithIVF दुनियाभर में आईवीएफ के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए 25 जुलाई को वर्ल्ड आईवीएफ डे (World IVF Day 2023) मनाया जाता है। इसी कड़ी में हम आप तक आईवीएफ से जुड़ी जानकारी और आपके सवालों पर अपने एक्सपर्ट से बातचीत करेंगे। मेडिकल जानकारी से पहले आज इस लेख में जानते हैं सोना शर्मा और आकाश शर्मा (बदला हुआ नाम) की सच्ची कहानी। इस कपल की निजता को ध्यान में रखते हुए हमने इनकी पहचान को उजागर न करने का फैसला किया है। दंपति ने हमारे साथ अपने अनुभव को बारीकी से बताया है ताकि अन्य कपल्स को इस तकनीक को समझने में मदद मिल सके। तो चलिए जानते हैं आईवीएफ पर लखनऊ के इस दंपति का पूरा अनुभव।
जांच में पता चला दोनों फैलोपियन ट्यूब्स ब्लॉक हैं
सोना ने बताया कि उनकी शादी आज से 6 साल पहले लखनऊ में हुई थी। सोना और आकाश की शादी के कुछ समय बाद दोस्त-रिश्तेदार बेबी प्लान करने की सलाह देने लगे। दंपति ने भी सोचा कि जल्दी बेबी प्लान करने में कोई बुराई नहीं है। शुरुआत में कोई भी कपल यह नहीं सोचता कि परिणाम क्या होगा। वह बस अपनी फैमिली को पूरा करने का पूर्ण प्रयास करते हैं। सोना और आकाश ने भी गर्भधारण के लिए कई प्रयास किए। जब सालभर कोशिश करने के बाद भी सफलता नहीं मिली, तो उन्होंने गाइनोकॉलोजिस्ट से संपर्क करने का फैसला किया। जांच में पता चला कि सोना की दोनों फैलोपियन ट्यूब्स ब्लॉक हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि जिन महिलाओं की एक या दोनों ट्यूब्स ब्लॉक होती हैं, उन्हें डॉक्टर आईवीएफ ट्रीटमेंट (IVF Treatment) लेने की सलाह देते हैं। डॉक्टर ने इस दंपति को भी आईवीएफ एक्सपर्ट से मिलने की सलाह दी।
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आईवीएफ ट्रीटमेंट लेने से पहले पीसीओडी हो गया
दोस्त और रिश्तेदारों से सोना व आकाश को पता चला कि लखनऊ में डॉ विनिता दास का एक जाना-माना नाम हैं। डॉ विनिता से मेरी मुलाकात तब हुई थी जब वह लखनऊ के केजीएमयू में प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की विभागाध्यक्ष थीं। सोना और आकाश ने भी डॉ विनिता के बारे में काफी कुछ सुना था। बिना किसी देरी किए दंपति ने लखनऊ के बिड़ला फर्टिलिटी और आईवीएफ में संपर्क किया। डॉ विनिता के साथ इस दंपति की पहली मुलाकात अच्छी रही। डॉक्टर ने कपल को ब्लड टेस्ट, अल्ट्रासाउंड और अन्य जरूरी टेस्ट कराने के लिए कहा। सोना ने बताया कि जांच में यह पता चला कि उन्हें पीसीओडी भी हो गया है।
आईवीएफ एक्सपर्ट डॉ विनिता ने बताया कि पीसीओडी के साथ भी महिलाएं आईवीएफ ट्रीटमेंट ले सकती हैं या सामान्य प्रेग्नेंसी प्लान कर सकती हैं। ऐसी महिलाओं को सही इलाज की जरूरत होती है। समय पर इलाज मिलने पर सफलता दर बढ़ जाती है। पीसीओडी को कंट्रोल करने के लिए दवाएं दी जाती हैं। साथ ही कुछ अन्य लाइफस्टाइल और डाइट टिप्स फॉलो करने के लिए कहा जाता है। सोना के मामले में भी डॉक्टर ने पीसीओडी के लक्षणों को कंट्रोल होने के बाद आईवीएफ प्रक्रिया (IVF Process in Hindi) को आगे बढ़ाया।
आईवीएफ ट्रीटमेंट का अनुभव कैसा रहा?- IVF Treatment Experience
सोना ने बताया कि अन्य दंपति की तरह उनके मन में भी आईवीएफ को लेकर कई भ्रम थे। लेकिन वह सभी दूर हुए। पूरी प्रक्रिया में 6 से 7 महीनों का समय लगा। आईवीएफ प्रक्रिया के दौरान सोना को किसी भी तरह के शारीरिक दर्द का एहसास नहीं हुआ। प्रक्रिया के दौरान उन्हें एनेस्थिसिया दिया गया और उसी दिन डिस्चार्ज मिल गया। एग रिट्रीवल की प्रक्रिया में कम एनेस्थिसिया दिया जाता है। इसके बाद 4 से 5 घंटे में मरीज को छुट्टी दे देते हैं। सोना ने बताया कि हमने डॉक्टर से यह पूछा था कि इस प्रक्रिया की सफलता दर कितनी होगी और उन्होंने हमें किसी भ्रम में न रखते हुए यह कहा कि सब कुछ ठीक रहा, तो आपको जल्द ही खुशखबरी मिलेगी। डॉ विनिता दास ने यह भी बताया कि आईवीएफ ट्रीटमेंट के जरिए, मां बनने की सफलता दर 70 से 75 प्रतिशत तक होती है। सोना ने बताया कि आईवीएफ ट्रीटमेंट के बाद उन्हें जब पता चला कि वह मां बनने वाली हैं, तो वह रो पड़ींं। 6 साल के लंबे संघर्ष के बाद इस दंपति ने बेबी बॉय का स्वागत धूमधाम से किया। सोना ने बताया कि बेबी का वजन जन्म के समय 2.6 किलो था। बेबी हेल्दी है और उसे किसी प्रक्रार की शारीरिक समस्या नहीं है। ऐसे सभी कपल्स जो उनकी तरह कंसीव करना चाहते हैं, उनके लिए सोना और आकाश ने यह सलाह दी है कि आप जांच कराएं। लोग शर्म के डर से आगे नहीं आते। लेकिन यह प्रक्रिया आसान है, आप इसे अपनाने से झिझक महसूस न करें।
सोना और आकाश की तरह ऐसे ही न जाने कितनी कपल्स हैं जो आईवीएफ के मिथ तो जानते हैं पर उसके तथ्य नहीं जानते। अपने अगले लेख में हम आपके साथ आईवीएफ से जुड़े सभी जरूरी सवालों पर बात करेंगे। यह कहानी पसंद आई हो, तो शेयर करना न भूलें।