कई कारणों से होता है जलोदर रोग, खराब हो सकते हैं किडनी और लिवर

जलोदर पेट से संबंधित एक रोग है जिसमें पेट में पानी भर जाता है। आमतौर पर ये रोग लिवर के खराब होने या लिवर के किसी पुराने रोग की वजह से हो जाता है।
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कई कारणों से होता है जलोदर रोग, खराब हो सकते हैं किडनी और लिवर


पेट हमारे शरीर का ऐसा भाग है जिसमें पाचन से संबंधित और अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने वाले महत्वपूर्ण अंग जैसे लिवर, आंत, गुर्दे आदि होते हैं। इन अंगों के प्रभावित होने पर इसका असर पेट पर पड़ता है। जलोदर पेट से संबंधित एक रोग है जिसमें पेट में पानी भर जाता है। आमतौर पर ये रोग लिवर के खराब होने या लिवर के किसी पुराने रोग की वजह से हो जाता है। इस रोग के कारण मरीज का पेट बहुत ज्यादा फूल जाता है और शरीर के अन्य अंगों में सूजन आ जाती है। इस रोग के कारण मरीज का हृदय, वृक्क जैसे कई अंग भी प्रभावित होते हैं। अंग्रेजी में जलोदर रोग को एसाइट्स कहते हैं क्योंकि इस रोग में पेट में जो जल भरता है उसमें एसाइटिक नाम का प्रोटीन होता है। दरअसल जलोदर अपने आप में कोई रोग नहीं है बल्कि ये हार्ट, किडनी या लिवर के किसी रोग के कारण हो जाता है। आइये आपको बताते हैं कि जलोदर रोग क्यों होता है और इससे बचाव कैसे संभव है।

क्या है ये रोग

जलोदर रोग में पेट में एसाइटिक प्रोटीन वाला द्रव भरने लगता है इसलिए आम भाषा में लोग इसे पेट में पानी भरना कहते हैं। पेट में इस प्रकार पानी भरने के कई कारण हो सकते हैं मगर इसका आमतौर पर इसका कारण हाई ब्लड प्रेशर होता है क्योंकि हाई ब्लड प्रेशर के कारण लिवर प्रभावित होता है। इसके कारण लिवर सिरोसिस की संभावना बहुत बढ़ जाती है। जब ये द्रव या पानी पेट में ज्यादा मात्रा में भर जाता है तो पेट फूलने लगता है और इससे शरीर के कई अन्य अंगों में भी सूजन आ जाती है। इस सूजन के कारण दर्द होता है और कई बार मरीज को सांस लेने में भी तकलीफ होने लगती है। इस द्रव के परीक्षण द्वारा इस रोग के कारण का सही-सही पता लगाया जा सकता है।

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जलोदर रोग के कारण

जलोदर रोग में मरीज के पेट में दूषित पानी जमा होने लगता है इसलिए इसके रोगी को साधारण पानी पचता नहीं है। जब इंसान का लिवर, किडनी और दिल अपना काम ठीक से नहीं कर पाते हैं या किसी कारण से इनकी कार्यक्षमता प्रभावित होती है तो ये रोग हो जाता है। लिवर की बीमारी इस रोग का सबसे अहम कारण है। लिवर रोगों के अलावा कभी-कभी इस रोग का कारण कैंसर, हार्ट फेल्योर, किडनी फेल्योर, पैंक्रियाज में सूजन आदि भी होते हैं। एक्यूट लिवर डिजीज की अपेक्षा क्रॉनिक लिवर डिजीज होने पर इस रोग की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा इंटेस्टाइन से लिवर में खून लाने वाली महत्वपूर्ण नस पोर्टल में ब्लड प्रेशर बढ़ जाने के कारण भी ये रोग हो जाता है। आमतौर पर पोर्टल नस में हाई ब्लड प्रेशर ज्यादा मात्रा में शराब पीने और वायरल हेपेटाइटिस के कारण होता है।

जलोदर रोग के लक्षण

पेट में थोड़ा बहुत द्रव जमा होने पर कोई परेशानी नहीं होती है इसलिए बाहर से कोई लक्षण नहीं नजर आते हैं मगर जब ये द्रव ज्यादा मात्रा में इकट्ठा हो जाता है तो पेट में सूजन आने लगती है और मरीज का वजन बढ़ने लगता है। द्रव भरा होने के कारण पेट पर दबाव पड़ता है और मरीज की भूख मर जाती है। कई बार इस भरे हुए द्रव के कारण मरीज के फेफड़ों पर भी दबाव पड़ता है ऐसे में मरीज को सांस लेने में भी परेशानी होने लगती है। इसके अलावा शरीर के अन्य अंगों में खासकर एड़ियों में सूजन आ जाती है। इस रोग की सबसे खतरनाक बात ये है कि इसके कारण कई बार पेट में गंभीर इंफेक्शन हो जाता है जिसे स्पॉन्टेनियस बैक्टीरियल पेरिटोनाइटिस कहते हैं। इसके कारण मरीज को लिवर सिरोसिस का खतरा होता है। जलोदर रोग में कई बार मरीज को बुखार आने लगता है और दिनभर पेट भारी-भारी और शरीर थका-थका लगता है। इस इंफेक्शन का अगर ठीक समय से इलाज न किया जाए तो ये जानलेवा भी हो सकता है।

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जलोदर रोग का इलाज

जलोदर रोग को ठीक करने के लिए आमतौर पर मरीज के आहार से सोडियम की मात्रा को बहुत कम कर दिया जाता है इसके अलावा कुछ समय के लिए पानी भी कम मात्रा में दिया जाता है। अगर पेट में पानी ज्यादा भर गया है तो इसे निकालना भी एक तरह का इलाज है जिसके लिए कुशल चिकित्सक से संपर्क किया जा सकता है। अगर जलोदर रोग का कारण ब्लड प्रेशर हो तो ब्लड प्रेशर को ठीक करने के लिए कभी-कभी ऑपरेशन करना पड़ता है। कई बार तो मरीज का लिवर तक बदलना पड़ता है। इसके अलावा पेट में होने वाले इंफेक्शन से बचने के लिए एंटीबायोटिक दवाओं का सहारा लिया जाता है। कई बार जब ये जलोदर रोग शुरुआती स्टेज पर होता है तो केवल डाइट में सोडियम को कंट्रोल करने से ही ठीक हो जाता है नहीं तो शरीर के अतिरिक्त सोडियम को निकालने के लिए दवाओं का सहारा लिया जाता है।

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