रंग-बिरंगे धागों की कारीगरी किसी भी परिधान को खास बना सकती है। लहंगे जैसे पारंपरिक परिधान में तो इसका विशेष महत्व है। किसी परिधान में दिलकशी के सितारे टांकने हों तो उस पर एंब्रॉयडरी करने से बेहतर कोई विकल्प नहीं है। दुनिया के दिग्गज फैशन डिज़ाइनर्स बरसों पुरानी इस कला के मुरीद हैं। प्रमुख फैशन वीक्स में पारंपरिक कढ़ाई वाले परिधानों का न सिर्फ प्रदर्शन किया जाता है, बल्कि उनकी मांग भी सबसे ज्य़ादा होती है। जितनी घनी व खूबसूरत कढ़ाई होती है, उतना ही कीमती परिधान होता है।
लहंगे जैसे पारंपरिक परिधानों में तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। लहंगा शादी में पहनने के लिए खरीदना हो या किसी पार्टी/त्योहार में पहनने के लिए, इसका सही चयन करना बेहद ज़रूरी है। आइए जानते हैं एंब्रॉयडरी से जुड़ी खास जानकारियां—
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पुराना है इतिहास
एंब्रॉयडरी का चलन 15वीं शताब्दी में शुरू हुआ। उस दौर में यह विधा कपड़े की मरम्मत के लिए इस्तेमाल की जाती थी। धीरे-धीरे लोगों को समझ में आया कि धागों की मदद से कलात्मक एंब्रॉयडरी भी की जा सकती है। पर्शिया, भारत और यूरोपीय देशों में एंब्रॉयडरी को उच्च वर्ग के फैशन का अनिवार्य हिस्सा समझा जाता था। आम लोगों के पहनावे का हिस्सा यह कई सालों बाद बनी।
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आजकल का ट्रेंड
लेजी-डेजी, क्रॉस स्टिच, थ्री-डी नॉट, चेन स्टिच आदि एंब्रॉयडरी के प्रमुख स्टिचेज़ हैं। जरदोजी बेहद पुरानी कला है पर आज भी इसका महत्व कम नहीं हुआ है। इसके तहत मटैलिक वायर्स से विशेष प्रकार की कढ़ाई की जाती है। कुंदन वर्क जैसी पारंपरिक एंब्रॉयडरी के साथ ही लेस एप्लीक व पर्ल वर्क जैसी कंटेंपरेरी एंब्रॉयडरी भी चलन में है।
मौके के हिसाब से करें चयन
एंब्रॉयडरी लहंगे के चयन का प्रमुख आधार है। अगर आप ब्राइडल लहंगा खरीद रही हैं तो हेवी एंब्रॉयडरी वाला एलीगेंट लहंगा चुनें। वहीं अगर किसी त्योहार पर पहनने के लिए लहंगा ख़्ारीद रही हैं तो ब्ल्यू, येलो, ऑरेंज जैसे किसी ब्राइट कलर के धागों की एंब्रॉयडरी वाले परिधानों का चयन करें। रंग के चयन के वक़्त अपने कॉम्प्लेक्शन और पर्सनैलिटी का भी ध्यान रखें।
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