प्रेग्नेंसी के दौरान अक्सर महिलाओं को चटपटी और तीखी चीजें खाने का मन करता है। कई बार खाने की क्रेविंग उन्हें रात में ज्यादा परेशान करती है। इस क्रेविंग के कारण महिलाएं रात में उठकर कुछ न कुछ अनहेल्दी (ज्यादातर कार्ब्स) खा लेती हैं, जिसका उनके वजन पर बुरा असर पड़ता है। हाल में हुआ एक अध्ययन बताता है कि प्रेग्नेंसी के दौरान अगर महिलाएं 7 बजे के बाद खाना खाती हैं, तो उनका वजन बढ़ सकता है और ये बढ़ा हुआ वजन उन्हें अगले कई सालों तक परेशान कर सकता है। इस स्टडी को KK Women’s and Children’s Hospital (KKH) द्वारा किया गया है और इसे 'न्यूट्रिएंट्स' नामक जर्नल में छापा गया है।
सालों तक वजन घटाना हो सकता है मुश्किल
स्टडी की रिपोर्ट बताती है कि ऐसी महिलाएं जो प्रेग्नेंसी के दौरान अच्छी डाइट नहीं लेती हैं और शाम के 7 बजे के बाद खाना खाती हैं, वो विशेष प्रकार के मोटापे का शिकार हो सकती हैं। इस दौरान बढ़ा हुआ वजन इस अर्थ में विशेष है कि इसे घटाना बहुत मुश्किल होता है। शोधकर्ता बताते हैं कि प्रेग्नेंसी के दौरान या डिलीवरी के बाद अस्वस्थ भोजन से जो वजन बढ़ता है, वो बच्चे के जन्म के 18 महीने बाद भी गर्भवती महिला के लिए परेशानी का सबब बना रह सकता है।
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क्या कहते हैं शोधकर्ता
इस अध्ययन के प्रमुख लेखक Loy See Ling कहते हैं, 'वैसे तो देर रात में खाना और अनहेल्दी चीजें खाने से वजन बढ़ना कोई नई बात नहीं है, अमूमन ऐसा होता ही है। मगर प्रेग्नेंट महिलाएं अगर देर रात में खाना खाती हैं, खासकर अनहेल्दी चीजें खाती हैं, तो उनका बढ़ा हुआ वजन, डिलीवरी के कई सालों बाद तक आसानी से नहीं घटता है। यहां तक कि 18 महीने बाद भी उनमें मोटापे की समस्या बनी रह सकती है।"
सिर्फ पेट के हिस्से में जमा होता है फैट
आपको बता दें कि सामान्य अवस्था में बढ़े हुए वजन के मुकाबले, डिलीवरी के तुरंत बाद बढ़ा हुआ वजन खतरनाक हो सकता है। इसका कारण यह है कि सामान्य अवस्था में जब आपके शरीर में फैट जमा होता है, तो वो शरीर के लगभग हर हिस्से में होता है (यानी बांहें, जांघ, चेहरा, हिप्स आदि), मगर डिलीवरी के बाद जो फैट जमा होता है, वो ज्यादातर पेट के हिस्से में ही होता है, जिसे विसेरल फैट (Visceral Fat) कहते हैं।
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अगली प्रेग्नेंसी में आती है परेशानी
इससे महिलाओं को आगामी जीवन में कई गंभीर बीमारियों की संभावना बढ़ डाती है, जैसे- मेटाबॉलिक डिसआर्डर, हार्ट की बीमारियां, कार्डियोवस्कुलर रोग। इसके साथ ही उन्हें अगली प्रेग्नेंसी में भी बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इसका असर अगले होने वाले बच्चे की सेहत पर भी पड़ता है।
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