
हर व्यक्ति को स्वस्थ रहने के लिए अच्छी नींद लेना बहुत जरूरी है। बड़ों को 7 तो बच्चों के लिए 8-9 घंटे की नींद लेना बेहद जरूरी होता है। हाल में हुए एक अध्ययन के अनुसार, बच्चों में नींद का समय उसके डिप्रेशन, चिंता, गुस्सैल व्यवहार और खराब संज्ञानात्मक प्रदर्शन को निर्धारित करता है। बच्चों के लिए भरपूर नींद लेना बहुत जरूरी होता है क्योंकि नींद उनके ब्रेन सर्किटरी के पुनर्गठन का समर्थन करती हैं।
क्या कहती है रिसर्च?
वारविक विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक अध्ययन, हाल ही में मॉलेक्यूलर साइकियाट्री नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ। जिसमें बच्चों के मस्तिष्क संज्ञानात्मक विकास डाटासेट से 9 से 11 वर्ष की आयु के 11,000 बच्चों के मामलों का विश्लेषण किया और नींद की अवधि व मस्तिष्क के बीच संबंध का पता लगाने के लिए किया गया था।
इसे भी पढें: रात की शिफ्ट में काम लोगों में बढ़ा रहा ह्रदय रोगों, स्ट्रोक और डायबिटीज का खतराः शोध
यह अध्ययन शोधकर्ताओं प्रोफेसर जियानफेंग फेंग, प्रोफेसर एडमंड रोल्स, डॉ. वी चेंग और वारविक विश्वविद्यालय के कंप्यूटर साइंस और फुदान विश्वविद्यालय के सहयोगियों द्वारा किया गया था। जिसमें उन्होंने बच्चों में डिप्रेशन, चिंता, गुस्सैल व्यवहार और खराब संज्ञानात्मक प्रदर्शन नींद की छोटी अवधि से जुड़े थे।इसके अलावा, डिप्रेशन की समस्याएं एक साल बाद कम नींद की अवधि से जुड़ी थीं।
अध्ययन के निष्कर्ष
यूनिवर्सिटी ऑफ वारविक के कंप्यूटर साइंस डिपार्टमेंट के प्रोफेसर जियानफेंग फेंग ने कहा, "6 से 12 साल के बच्चों के लिए सोने की अनुशंसित मात्रा 9-12 घंटे है। हालांकि, दुनिया भर में बच्चों में नींद की गड़बड़ी आम है। स्कूल से उनके समय पर बढ़ती मांग, फोन या अन्य गैजेट्स का उपयोग और खेल व सामाजिक गतिविधियों में वृद्धि हुई। ”
इसे भी पढें: आपके दिल के लिए हानिकारक है सल्फर एमिनो एसिड वाले खाद्य पदार्थ, शोध में हुआ खुलासा
प्रोफेसर जियानफेंग फेंग ने आगे कहा, "हमारे निष्कर्षों से पता चला है कि 7 घंटे से कम नींद वाले बच्चों में व्यवहार की समस्याओं के लिए कुल स्कोर औसतन 53% अधिक था और संज्ञानात्मक कुल स्कोर 9-11 घंटे के बच्चों की तुलना में औसतन 7.8% कम था। यह बच्चों में अनुभूति और मानसिक स्वास्थ्य दोनों में पर्याप्त नींद के महत्व पर प्रकाश डालता है।"
Read More Article On Health News In Hindi