बारिश के मौसम में फंगल इंफेक्शन की समस्या काफी बढ़ जाती है। इसका कारण यह है कि बरसात के मौसम में बैक्टीरिया और यीस्ट ज्यादा एक्टिव हो जाते हैं। आमतौर पर फंगल इंफेक्शन की समस्या नम कपड़े पहनने, त्वचा को देर तक गीला रखने, साफ-सफाई न रखने आदि के कारण होती है। इसके अलावा कमजोर प्रतिरक्षा तंत्र (Immune System) के कारण भी फंगल इंफेक्शन की समस्या हो सकती है। कई बार कैंसर व डायबिटीज के रोगियों में भी ये समस्या देखने को मिलती है। कुछ लोगों में दवाओं के रिएक्शन, धूप में ज्यादा देर रहने के कारण भी फंगल इंफेक्शन हो सकता है। जानें फंगल इंफेक्शन या त्वचा के संक्रमण के बारे में जरूरी बातें।
कई प्रकार के होते हैं फंगल इंफेक्शन
कैंडिडा इंफेक्शन
कैंडिडा इंफेक्शन आमतौर पर यह फंगल मूत्र मार्ग के इंफेक्शन (यूटीआई) का सबसे आम कारण होता है। कैंडिडा यूटीआई मूत्र मार्ग के निचले हिस्से में हो सकता है या फिर कुछ मामलों में गुर्दे तक चढ़ सकता है। कैंडिडा यूटीआई के खतरे को बढ़ाने के लिए एंटीबायोटिक दवाओं का कोर्स, डायबिटीज, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली है।
टॉप स्टोरीज़
रिंगवार्म इंफेक्शन
इसके मुक्ष्य रूप से कुछ प्रकार होते हैं, जिसमें टिनिया क्रूरिस, टिनिया कैपेटिस और टिनिया पेडिस शामिल हैं। यह पपड़ीदार चखत्ते या दाद कमर, बगल, खोपड़ी में अधिकतर होता है।
टोनेल इंफेक्शन
टोनेल या नाखूनों के इंफेक्शन को ऑनिओमाइकोसिस या टिनिया अनगियम के रूप में जाना जाता है। टोनेल या नाखूनों के इंफेक्शन आमतौर पर आपके नाखून या डायबिटीज में नाखून की चोट, त्वचा की चोट, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली, नम उंगलियों या पैर की उंगलियों के पास होता है। इसके अलावा आपकी त्वचा पर भी फंगल इंफेक्शन हो सकता है।
इसे भी पढें: धूम्रपान से इन 5 तरीकों से होती है त्वचा प्रभावित, बढ़ता है कैंसर का खतरा
40 की उम्र के बाद क्यों होता है फंगल इंफेक्शन का अधिक खतरा?
40 की उम्र के बाद क्यों होता है फंगल इंफेक्शन का अधिक खतरा इसलिए बढ़ जाता है क्योंकि उम्र बढ़ने के कारण व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। जिससे 40 की उम्र के बाद महिलाओं और पुरुषों में फंगल इंफेक्शन होने की अधिक संभावना होती है। कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि CARD 9 जीन में आनुवंशिक परिवर्तन कुछ लोगों को अतिसंवेदनशील बनाते हैं। परिवार के सदस्यों को सावधान रहने की जरूरत है क्योंकि इससे इनवेसिव फंगल इंफेक्शन होता है, जो बार-बार होता है और मृत्यु का कारण बनता है। एचआईवी और कैंसर वाले रोगियों में फंगल इंफेक्शन होने की संभावना अधिक होती है।
क्या फंगल इंफेक्शन और जलवायु परिवर्तन एक दूसरे से संबंधित हैं?
हां, दोनों के बीच एक गहरा संबंध है। कुछ फंगल संक्रमण जैसे टोनेल या नाखूनों के इंफेक्शन, टिनिया क्रूरिस आदि विशेष रूप से एक मौसम में होते हैं। फंगल इंफेक्शन आमतौर पर बारिश और सर्दियों के मौसम में नमी की वजह से ज्यादा होता है। फंगल इंफेक्शन शरीर को जलवायु में परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग और बदलते तापमान के साथ प्रभावित करता है। बारिश और सर्दियों के मौसम में, फंगल इंफेक्शन ज्यादा पनपता है। इसके अलावा, सफाई न रखना, डायबिटीज और कमजोर प्रतिरक्षा इसके प्रमुख कारण हो सकते हैं।
इसे भी पढें: हाथ, पैर या होंठों पर हैं सफेद दाग (Leukoderma) तो इस तरीके से करें इन्हें दूर, जल्द मिलेगी राहत
फंगल इंफेक्शन को रोकने के लिए सावधानियां
- हाथ-पैरों की स्वच्छता पर ध्यान दें।
- फंगल इंफेक्शन को रोकने के लिए गीले कपड़े पहनने से बचें।
- अपने आस-पास के परिवेश में उचित स्वच्छता बनाए रखें।
- जहां तक संभव हो एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग कम करें।
- कमजोर प्रतिरक्षा, कैंसर, एचआईवी वाले लोगों को विशेष रूप से देखभाल की आवश्यकता होती है क्योंकि उनके पास जानलेवा फंगल इंफेक्शन का खतरा अधिक होता है।
Read More Article Miscellaneous On In Hindi