मौजूदा वक्त में कामकाजी पुरुष हो या महिला, स्कूली छात्र या हो या कॉलेज छात्र सभी किसी न किसी बात को लेकर तनाव में रहते हैं, जिसके पीछे एक बड़ा कारण खराब जीवनशैली है। बहुत से लोग जरा-जरा सी बातों पर तनाव ले लेते हैं, जो न केवल उनके स्वास्थ्य को प्रभावित करता है बल्कि उनमें शारीरिक दिक्कतें भी जन्म ले लेती हैं। तनाव के कारण इंसान का शरीर अस्वस्थ होने लगता है और वह बीमारियों के शिकंजे में घिर जाता हैं। क्या आप जानते हैं कि तनाव के कारण हमारे शरीर के कुछ अंग कमजोर हो जाते हैं। अगर नहीं तो हम आपको तनाव के कारण शरीर के प्रभावित अंगों के बारे में बताने जा रहे हैं। तनाव के कारण न केवल अंग कमजोर होते हैं बल्कि उन अंगों की कार्य प्रणाली भी प्रभावित होती हैं। इसलिए अगर आपको तनाव लेने की आदत है तो इसे दूर करने की कोशिश करें।
तनाव के कारण प्रभावित होने वाले अंग
दिमाग
मौजूदा वक्त में तनाव हमारी जिदंगी का एक हिस्सा बन चुका है। तनाव ही इंसानी दिमाग को कमजोर करने का एक कारक भी है। दरअसल तनाव में रहने से दिमाग में स्ट्रेस हार्मोन्स का स्तर बढ़ जाता है, जो हमारे मस्तिष्क के सेरिब्रम पर सबसे ज्यादा असर करता है। जब सेरिब्रम प्रभावित होता है इससे सेरिब्रम की कार्य प्रणाली भी प्रभावित होती हैं। सेरिब्रम के प्रभावित होने से मनुष्य की सोचने समझने की शक्ति कम हो जाती हैं और वह खुद को अस्वस्थ महसूस करने लगता है।
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आंख
तनाव से न केवल हमारा दिमाग बल्कि आंखें भी कमजोर हो जाती हैं। जब मनुष्य को तनाव होने लगता है तो उसे चीजें धुंधली दिखाई देना शुरू हो जाती हैं। इतना ही नहीं तनाव के कारण आंखों में कई तरह की परेशानियां भी पैदा हो जाती हैं। तनाव के कारण रेटिना की कार्य प्रणाली प्रभावित होने लगती है, जिससे आंखों की रोशनी जाने का भी खतरा पैदा हो जाता है।
ह्रदय
वर्तमान में ह्रदय रोग पूरी दुनिया में होने वाली मौतों का सबसे बड़ा कारण है। ह्रदय रोगों के होने के पीछे एक कारण तनाव भी है क्योंकि तनाव के कारण ह्रदय पर दबाव पड़ता हैं, जिससे ह्रदय की गति में अंतर पैदा हो जाता है। तनाव के कारण व्यक्ति को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता हैं और ह्रदय संबंधित बीमारी उसे अपने चपेट में ले लेती है। तनाव के कारण व्यक्ति को सांस लेने में भी दिक्कत होती है और धीमे-धीमे दिल कमजोर होने लगता हैं।
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महिलाओं की बच्चेदानी
अगर कोई महिला अक्सर तनाव में रहती हैं तो दिमाग, आंख और दिल के अलावा उसकी बच्चेदानी पर भी गहरा असर पड़ता है। महिला के तनाव में रहने से बच्चेदानी की कार्य प्रणाली प्रभावित होती हैं। बच्चेदानी की कार्यप्रणाली से प्रभावित होने से उसकी कोशिकाओं में ऑक्सीजन का प्रवाह सुचारू रूप से नहीं हो पाता हैं, जिसके कारण महिलाओं की बच्चेदानी कमजोर हो जाती हैं। बच्चेदानी के कमजोर होने से महिलाओं में मां बनने की परेशानी सामने आती है।
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