खेलकूद के मैदान में अक्सर लोग चोटिल हो जाते हैं, कई बार उन्हें सामान्य चोट आती है तो कई बार इमरजेंसी में इलाज करवाने जैसी नौबत भी आ जाती है। लेकिन बता दें कि स्पोर्ट्स इंजरी हमेशा खेलकूद की क्रिया से ही जुड़ी नहीं होती है। आज के इस आर्टिकल में हम जमशेदपुर के साकची के डॉक्टर और ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. एके बर्नवाल से जानेंगे कि स्पोर्ट्स इंजरी क्या है, इसके कितने प्रकार होते हैं। इसका इलाज क्या है। इस बारे में अधिक जानकारी के लिए पढ़ें ये आर्टिकल।
जरूरी नहीं स्पोर्ट्स इंजरी सिर्फ खेल के मैदान में ही हो
ऑर्थोपेडिक सर्जन बताते हैं कि ये जरूरी नहीं है कि स्पोर्ट्स इंजरी सिर्फ खिलाड़ियों को ही हो या फिर खेल के मैदान में ही हो, बल्कि आम जीवन चर्या में ये समस्या किसी को भी हो सकती है। सामान्य तौर पर देखा गया है कि यह इंजरी उन लोगों में ज्यादा देखने को मिलती है जिनका स्टैंडिंग पॉश्चर सही नहीं होता है, सही पुजिशन में एक्सरसाइज नहीं करते हैं, गलत तरीके से वजन को उठाते हैं। या फिर अपनी क्षमता से अधिक वजन उठाते हैं।
हमेशा एक्सपर्ट के मार्गदर्शन में ही करें एक्सरसाइज
कहा जाता है कि हमेशा स्पोर्ट्स कोच या फिर जिम ट्रेनर के दिशा निर्देश में ही वार्म अप से लेकर एक्सरसाइज करें तो इन छोटी-छोटी परेशानियों से बचाव किया जा सकेगा। क्योंकि यदि आपको एक्सरसाइज का सही तरीका नहीं पता होगा तो आप इन इंजरी के शिकार हो सकते हैं। इसलिए सभी की कोशिश यही होनी चाहिए कि वो एक्सपर्ट के साथ ही एक्सरसाइज करें। चाहे वेट लिफ्टिंग की एक्सरसाइज हो या फिर हाथों या पैर के स्ट्रेचिंग की, आप एक बार अच्छे से सीख जाएंगे तो आपको एक्सरसाइज करने में सहुलियत होगी।
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हर एक्सरसाइज के लिए वॉर्म है जरूरी
एक्सपर्ट बताते हैं कि एक्सरसाइज को न केवल अच्छे से सीखना बल्कि उसे अच्छे से करना भी जरूरी है। सबसे जरूरी वार्म होता है। वार्म करने से ही आपका शरीर एक्सरसाइज के लिए तैयार होता है। यदि इसे न करें तो उस स्थिति में मसल्स स्टिफ होते हैं, यदि बिना वार्म किए ही आपने हेवी एक्सरसाइज की शुरुआत की तो उससे आपकी मांसपेशियों को नुकसान पहुंच सकता है। 70-80% स्पोर्ट्स इंजरी सिर्फ इसलिए होती है क्योंकि हमारा शरीर उस एक्सरसाइज के लिए तैयार ही नहीं होता है।
रनिंग और लाइट स्पोर्ट्स में आपके जूते सही नहीं तो होगी इंजरी
एक्सपर्ट बताते हैं रनिंग के साथ लाइट स्पोर्ट्स एक्टीविटी की बात करें तो यदि आपके जूते सही नहीं है या फिर आप जहां पर दौड़ने की तैयारी में हैं और वहां का ग्राउंड सर्फेस सही नहीं है तो संभव है कि आप स्पोर्ट्स इंजरी का शिकार हो जाएं। आपके पैरों में मोच आ सकती है, लिगामेंट्स टूट सकते हैं, पैर में फ्रैक्चर के साथ सीवियर इंजरी हो सकती है। इसलिए जरूरी है कि रनिंग करते वक्त अपने जूतों का सही चयन करें, कपड़ों पर ध्यान दें। यदि रनिंग सर्फेस सही नहीं है तो काफी सावधानी से दौड़ें।
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चोट लगे तो अपनाएं ये तकनीक
डॉक्टर बताते हैं कि यदि कोई व्यक्ति स्पोर्ट्स इंजरी का शिकार हो जाए तो उसे राइस प्रिंसिपल (Rice principle) की मदद से इलाज किया जाता है। उसके लिए आर से रिस्ट्रिक्ट एक्टीविटी के तहत चोट लगने के तुरंत बार आप जो भी स्पोर्ट्स खेल रहे हैं उसे रोक देना होता है, यदि आपने ऐसा नहीं किया और चोट को नजरअंदाज कर आप खेलते रहे तो इससे आपकी समस्या कहीं ज्यादा अधिक बढ़ सकती है। इसके बाद आई से आईस एप्लीकेशन की प्रक्रिया को अपनाया जाता है। इसमें चोट पर तुरंत बर्फ लगाया जाता है, उसे 20 मिनट के लिए चोट पर रखा जाता है। इससे मरीज को काफी आराम मिलता है। इसके बाद सी से कंप्रेशन की बारी आती है, इसमें जहां पर व्यक्ति को चोट लगी होती है वहां पर पट्टी बांधा जाता है। पट्टी को टाइट बांधकर इंट्रामस्कुलर ब्लीडिंग को रोका जाता है। इसके बाद मरीज को जिस हिस्से में चोट लगा हो, जैसे कि पैर या फिर हाथ उसे उठाकर उसकी सेंकाई की जाती है। इससे मरीज को काफी आराम मिलता है।
दवा का लें सुझाव
स्पोर्ट्स मैन काफी जागरूक होते हैं, यदि वो स्पोर्ट्स इंजरी का शिकार हो जाए तो ऊपर बताई गई प्रक्रिया को अपनाने के बाद डॉक्टरी सलाह लेकर दवा का सेवन कर सकते हैं। इससे सूजन और दर्द कम होती है। 70-80 फीसदी मामलों में इस प्रकार इलाज कर मरीज को ठीक किया जाता है।
सीवियर इंजरी में जानें क्या रें
कंधे, कमर, घुटने, कूल्हे, एंकल आदि का चोट सीवियर इंजरी की श्रेणी में आता है। डॉक्टर बताते हैं कि यदि आपको भी शरीर के इस जगह पर चोट लगी हो और वो चार से पांच दिनों तक ठीक न हो उस स्थिति में मरीज को यही सलाह दी जाती है कि वो डॉक्टरी सलाह लें, ऑर्थोपेडिक सर्जन, स्पोर्ट्स मेडिसिन के स्पेशलिस्ट की सलाह लें। वो आपकी जांच करेंगे, जरूरत पड़ी तो एमआरआई, सीटी स्कैन आदि कराकर जांच करेंगे। जरूरत पड़ी तो उसके बाद समस्या को देखते हुए इलाज करेंगे।
सही समय पर सही उपचार से आप फिर हो सकते हैं फिट
स्पोर्ट्स मैन को हमेशा फिट रहना बेहद ही जरूरी है, यदि वो इंजरी का शिकार हो जाता है और सही समय पर डॉक्टरी सलाह लेकर इलाज करवाता है तो संभव है कि वो फिर से मैदान में लौट आए। यदि मरीज इलाज न करवाए तो उसकी स्थिति और गंभीर हो सकती है। इसलिए जरूरी है कि यदि चोट लगने के 4-5 दिनों तक भी आपकी परेशानी बनी हुई है तो इसे नजरअंदाज किए बिना डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
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