आंध्र प्रदेश में एक अजीबोगरीब बीमारी सामने आई है, जिसने पूरे राज्य को डरा दिया है। ये बीमारी एलुरू कस्बे के विभिन्न हिस्सों में आतंक फैला रही है। मंगलवार से अब तक इस बीमारी की चपेट में 556 लोग आ चुके हैं और 458 लोगों को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है और अब केवल 98 मरीज ही अस्पताल में भर्ती हैं। वहीं एक व्यक्ति की जान भी जा चुकी है। इस बीमारी के लक्षण भी बड़े विचित्र हैं। किसी को मिर्गी के दौरे पड़ रहे हैं तो कोई बेहोश हो रहा है। बता दें कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने हालात जानने के लिए पश्चिम गोदावरी जिले में स्थित एलुरु सरकारी अस्पताल का दौरा किया। वहीं मंगलवार को बीमारी की जानकारी लेने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा एक केंद्रीय दल भी यहां पहुंची, जिसने मरीजों में निकल और सीसा जैसे भारी तत्वों की मौजूदगी को प्राथमिक रूप से रहस्यमय बीमारी फैलने का कारण बताया है।
रहस्यमय बीमारी का कारण निकेल और लेड
बीमारी का पता लगाने के लिए राज्य में पहुंची ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (AIIMS) की टीम ने बताया कि एलुरु शहर में पीने के पानी और दूध में निकल और सीसा जैसे भारी तत्वों की मौजूदगी प्राथमिक रूप से रहस्यमय बीमारी का कारण है। टीम ने मरीजों के खून की जांच की है, जिनमें से 10 मरीजों के खून में लेड (Lead) और निकेल (Nickel) धातु के कण मिले हैं। इस तरह से जांच के नतीजों में संभावना जताई गई है कि संभवत: लेड और निकेल धातु के कण मरीजों के शरीर में पानी या दूध के जरिये पहुंचे हैं और इसके कारण ही वे बीमार हुए हैं।
रविवार तक के आंकड़ों के अनुसार, स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया था कि इस बीमारी से 550 लोग बीमार हो गए हैं। अब खबर मिल रही है कि 400 से अधिक ज्यादा लोग उचित उपचार लेकर घर भी जा चुके हैं। बचे हुए लोगों का अभी भी इलाज चल रहा है। बता दें कि 5 दिसंबर को 45 वर्षीय एक व्यक्ति को विजयवाड़ा के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उसमें चक्कर और दौरे पड़ने जैसे लक्षण नजर आए थे। पर डॉक्टर उन्हें बचा नहीं पाए और उनकी मौत हो गई।
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कैसे हो रही है जांच
गौरतलब है कि ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (AIIMS) की टीम के अलावा भी स्थानीय स्वास्थ्य विभाग भी इस अजीब बीमारी की पूरी जांच कर रहा है। अधिकारियों ने जानकारी दी कि मरीजों के सेरेब्रल-स्पाइनल फ्लूएड सैंपल जो विजयवाड़ा और विशाखापट्टनम की लैब में भेजे गए हैं उनकी रिपोर्ट के बाद ही पता चलेगा कि इसके पीछे की वजह क्या है। जांच के लिए अभी तक पानी का सैंपल जा चुका है। इसके अलावा मरीजों के ब्लड सैंपल भी जा चुके हैं। लेकिन अभी तक किसी वायरल का पता नहीं चल पाया है। वहीं इस बीमारी के कॉम्निकेबल होने की भी कोई आंशका नहीं जताई गई है। पीड़ितों की कोरोना जांच भी की गई है लेकिन सभी रिपोर्ट निगेटिव हैं। अजीब बात यह है कि जो लोग अस्पताल में भर्ती हुए हैं उन लोगों का आपस में कोई लिंक नहीं है और न ही वे किसी एक कार्यक्रम का हिस्सा बने हैं। तो, अंत में माना यही जा रहा है कि ये बीमारी एलुरु शहर में पीने के पानी और दूध में निकल और सीसा जैसे भारी तत्वों की मौजूदगी के कारण ही पैदा हुई है
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