
Modern Vs Traditional Parenting: बच्चों की अच्छी परवरिश हर माता-पिता का पहला कर्तव्य होता है। इस जिम्मेदारी में पैरेंट्स कोई कमी नहीं छोड़ते। बच्चों का व्यवहार और उनका भविष्य काफी हद तक इस बात पर निर्भर करता है कि उनकी परवरिश किस तरह से हुई है। मुख्य रूप से दो तरह की परवरिश की जाती है। पहली मॉडर्न यानी नई सोच के मुताबिक और दूसरी पारंपरिक जो पुराने समय से चलती आई है। मॉडर्न परवरिश में आज के समय को देखते हुए कई बदलाव होते रहते हैं। वहीं पारंपरिक परवरिश हमारी संस्कृति और परंपरा के आधार पर बनी है। इन दोनों में से बच्चों के लिए कौनसी परवरिश ज्यादा बेहतर है ये जानने के लिए आपको दोनों तरीकों के फायदे और नुकसान जान लेने चाहिए। आगे लेख में हम जानेंगे मॉडर्न और पारंपरिक परवरिश में अंतर। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के बोधिट्री इंडिया सेंटर की काउन्सलिंग साइकोलॉजिस्ट डॉ नेहा आनंद से बात की।
मॉडर्न परवरिश के फायदे- Modern Parenting Pros
- बच्चों के साथ माता-पिता का बॉन्ड मजबूत होता है।
- बच्चे अपनी बात खुलकर माता-पिता के साथ शेयर कर सकते हैं।
- बच्चों को अपनी बात रखने की आजादी होती है और वो अपने फैसले खुद ले सकते हैं।
- मॉडर्न पैरेंटिंग में बच्चों को अपना स्पेस मिलता है। इससे वो बुद्धिमान और क्रिएटिव बन सकते हैं।
- बच्चे अपना व्यक्तित्व खुद बना सकते हैं। उन पर पारिवारिक प्रेशर नहीं डाला जाता।
मॉडर्न परवरिश के नुकसान- Modern Parenting Cons
- ज्यादा छूट देने के कारण कई बार बच्चे अपने लिए गलत फैसले ले लेते हैं या बिगड़ जाते हैं।
- मॉडर्न पैरेंटिग में बच्चे अपने माता-पिता से दूर हो सकते हैं।
- मॉडर्न पैरेंटिंग में बच्चे अपने माता-पिता के लिए स्नेह तो रखते हैं लेकिन उनकी जिम्मेदारी को एक तरफ कर देते हैं।
- मॉडर्न परवरिश में ज्यादा ढील देने के कारण बच्चों का व्यवहार कई बार गुस्सैल और जिद्दी प्रवृति का हो जाता है।
पारंपरिक परवरिश के फायदे- Traditional Parenting Pros
- पारंपरिक परवरिश में बच्चे रिश्ते, माता-पिता और अपने परिवार की अहमियत को समझते हैं।
- पारंपरिक परवरिश में माता-पिता और बच्चों की आपसी सहमति से ही उनके जीवन के अहम फैसले लिए जाते हैं।
- ट्रेडिनरल पैरेंटिंग में बच्चे माता-पिता के प्रति जो इज्जत रखते हैं, वो मॉडर्न पैरेंटिंग में देखने को नहीं मिलती।
- पारंपरिक परवरिश से बच्चों में मोरल वैल्यू यानी नैतिक मूल्य जैसे सच्चाई, ईमानदारी, प्रेम ज्यादा होता है।
पारंपरिक परवरिश के नुकसान- Traditional Parenting Cons
- माता-पिता और बच्चों के बीच दूरी होती है।
- पैरेंट्स और बच्चों के बीच दूरी के कारण बच्चे माता-पिता से मन की बात नहीं कह पाते।
- पारंपरिक परवरिश में बच्चों से जुड़े हर फैसले पैरेंट्स लेते हैं जिसके कारण कई बार बच्चों पर फैसले को मानने का दबाव होता है।
- पारंपरिक परवरिश में बच्चे सीमित वातावरण में ही रहते हैं जिसके कारण उनकी सोच और कला निखर नहीं पाती।
- ट्रैडिशनल पैरेंटिंग में बच्चों को परिवार की सीमाओं में रहकर ही कुछ करने की इजाजत होती है।
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मॉडर्न परवरिश अच्छी है या पारंपरिक?- Is Modern Parenting Better Than Traditional
डॉ नेहा ने बताया कि दोनों ही परवरिश के अपने फायदे और नुकसान है। ये कहना मुश्किल है कि दोनों में से कौनसी परवरिश ज्यादा बेहतर है। दोनों में से किसी एक तरीके को चुनना मुश्किल है। बच्चों की अच्छी परवरिश के लिए दोनों तरह की पैरेंटिंग के अच्छे गुण उठाएं। जैसे पारंपरिक परवरिश में प्यार, रिश्ते और परिवार का महत्व होता है। उसी तरह मॉडर्न परवरिश में बच्चों की स्किल डेवल्पमेंट, उनकी सेहत और करियर पर फोकस होता है। पारंपरिक पैरेंटिंग में बच्चे अपने माता-पिता के करीब होते हैं। वहीं मॉडर्न परवरिश में बच्चे अपने माता-पिता से खुलकर अपनी बात कह सकते हैं।
बच्चों की अच्छी परवरिश के लिए पुराने और आधुनिक तरीकों को मिलाकर चलें। लेख पसंद आया हो, तो शेयर करना न भूलें।
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