क्या मैं ब्रेस्ट कैंसर का इलाज करवाने के बाद मां बन सकती हूं? एक ऑन्कोलॉजिस्ट (कैंसर स्पेशलिस्ट डॉक्टर) को अक्सर इस सवाल का जवाब देना पड़ता है। ब्रेस्ट कैंसर का इलाज करवा रही 90 फीसदी महिलाओं को इलाज के पहले स्टेज पर ही ऐसा लगने लगता है कि वो अब मां बनने का सौभाग्य खो देंगी। इसकी मुख्य वजह है कि ब्रेस्ट कैंसर जैसी गंभीर बीमारी इन दिनों युवा महिलाओं को हो रही है। इनमें से ज्यादातर या तो प्रेगनेंसी प्लान कर रही होती हैं या निकट भविष्य में करने की योजना बना रही होती हैं। ऐसे में ब्रेस्ट कैंसर का पता चलने पर उनमें घबराहट, चिंता और अवसाद का होना खासकर परिवार की चिंता होना लाजमी है। वहीं, आर्थिक और सामाजिक कारण से बच्चे पैदा करने की उम्र में एक बड़ा बदलाव भी इस सवाल की मुख्य वजह है। एक आंकड़े के मुताबिक ब्रेस्ट कैंसर भारत की महिलाओं को होने वाला सबसे आम कैंसर है। हर साल ब्रेस्ट कैंसर के लगभग 2 से 2.50 लाख मामले भारत में सामने आते हैं, जिनमें से लगभग 1 लाख की मौत सही वक्त पर इलाज न मिल पाने के कारण हो जाती है।
क्या है ब्रेस्ट कैंसर होने की वजह? (Breast Cancer Causes)
भारत में ब्रेस्ट कैंसर के बढ़ते मामलों पर डॉक्टरों का कहना है कि इस गंभीर बीमारी को लेकर आज भी महिलाएं जागरूक नहीं है हैं। इस बीमारी की शुरुआत तब होती है जब स्तन की कोशिकाएं जरूरत से ज्यादा बढ़ने लगती हैं। कोशिकाएं एक ट्यूमर बनाती हैं, जिसे महिलाएं गांठ के तौर पर महसूस कर सकती हैं। एक रिसर्च के मुताबिक भारत में 75 से 80 प्रतिशत महिलाएं एडवांस स्टेज पर डॉक्टर के पास पहुंचती हैं।
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क्या है ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण? (Breast Cancer Symptoms)
- महिलाओं के स्तन में दर्द रहित एक गांठ होना है। यह ब्रेस्ट कैंसर का एक आम लक्षण माना जाता है, जिस पर 70 प्रतिशत महिलाओं का ध्यान नहीं जाता है।
- निप्पल से पानी या खून जैसा पानी निकलना।
- निप्पल पर लंबे समय तक दाद या रैशेज होना।
- अचानक से निप्पल के साइज में बदलाव होना भी ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण में शामिल है।
क्या ब्रेस्ट कैंसर के बाद मां बनने में आती है परेशानी (Pregnancy After Breast Cancer Treatment)
गुरुग्राम के पारस अस्पताल की मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. तन्वी सूद का कहना है कि ब्रेस्ट कैंसर का इलाज पूरा होने के बाद महिलाएं बच्चे को कंसीव कर सकती हैं। उनका कहना है कि इस बीमारी के दोबारा होने के डर के बिना मां बनने का आनंद लिया जा सकता है, बस इसके लिए एक शर्त है कि वो डॉक्टरों की देखरेख में हो। डॉ तन्वी सूद ने कहा, ब्रेस्ट कैंसर के इलाज के बाद अगर कोई महिला बच्चा कंसीव करती है तो उसे दोबारा कैंसर होने की संभावना न के बराबर रह जाती है। कैंसर का इलाज पूरा करवा चुकी महिलाओं पर हुई एक स्टडी का जिक्र करते हुए डॉ. तन्वी सूद ने कहा कि प्रेगनेंसी कंसीव करने के अब तक के नतीजे सफल रहे हैं।
उन्होंने बताया कि इन दिनों पॉजिटिव ट्रायल नामक रिसर्च चल रहा है। इस रिसर्च में उन महिलाओं को शामिल किया जा रहा है जो ब्रेस्ट कैंसर का इलाज करवाने के बाद हार्मोनल ट्रीटमेंट करवा रही हैं।
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ब्रेस्ट कैंसर के बाद हार्मोनल टैबलेट ट्रीटमेंट है जरूरी (Medication After Breast Cancer Treatment)
डॉक्टरों का कहना है कि आमतौर पर ब्रेस्ट कैंसर का इलाज पूरा होने के बाद महिलाओं को 2 से 3 साल तक कंसीव करने से बचना चाहिए। दरअसल, ब्रेस्ट कैंसर के इलाज के बाद महिलाओं का हार्मोनल टैबलेट ट्रीटमेंट चलता है। कुछ मामलों में यह ट्रीटमेंट 5 से 10 साल तक भी हो सकता है। डॉ तन्वी सूद का कहना है कि 5 से 10 साल तक हार्मोनल टैबलेट ट्रीटमेंट लेने के बाद अगर महिला की उम्र 35 साल से अधिक होती है तो शायद वह नेचुरल तरीके से कंसीव न कर सके। ऐसे मामलों में मेडिकल साइंस का सहारा लेना पड़ सकता है। डॉ. सूद का कहना है कि ब्रेस्ट कैंसर से ठीक हो चुकी महिलाओं पर इन दिनों एक रिसर्च की जा रही है कि क्या जो महिलाएं हार्मोनल टेबलेट ट्रीटमेंट करवा रही हैं उनके इलाज को बीच में रोककर प्रेगनेंसी कंसीव कर सकते हैं। उन्होंने कहा इस मामले में जल्द ही जानकारी निकलकर सामने आएगी।
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