
अंतराष्ट्रीय योग दिवस (International Yoga Day 2019) की तैयारियां जोरों पर हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसमें अपना पूरा योगदान दे रहे हैं। पीएम मोदी एनिमेटेड योगा सीरीज में उनके ट्विटर हैंडल से एक नया योगासन जारी किया गया है, जिसमें
21 जून को 2019 भारत समेत कई अन्य देशों में पांचवा अंतराष्ट्रीय योग दिवस (International Yoga Day 2019) मनाया जाएगा। 11 दिसम्बर को संयुक्त राष्ट्र के 177 सदस्यों द्वारा 'अंतराष्ट्रीय योग दिवस' को मंजूरी मिली। जिसके बाद पहली बार पहली बार 21 जून 2015 को पहली बार 'अंतराष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया। "योग व्यक्ति के शरीर को स्वस्थ और मन को शांत व स्थिर रखता है। आइए आप भी पीएम मोदी एनिमेटेड योगा सीरीज वीडियो से सूर्य नमस्कार करने का तरीका व विधि जानें।
क्या है सूर्य नमस्कार
सूर्य नमस्कार को सभी योगासनों में सबसे श्रेष्ट आसन माना जाता है। सूर्य नमस्कार करने से व्यक्ति को संपूर्ण योग व्यायाम का लाभ मिल सकता है, यह अकेला आसन इतना प्रभावी है। यह आसान सभी उम्र के लोग जैसे- बच्चे, वयस्क और बुजुर्ग सभी कर सकते हैं। इस आसन को करने से शरीर स्वस्थ और निरोग रहता है। सूर्य नमस्कार ऊर्जा का स्त्रोत है, यह शरीर का संपूर्ण व संतुलित विकास करता है। यह मन को एक्राग व बुद्धि को कुसाग्र करने में मदद करता है। आध्यात्मिक उन्नति के लिए सूर्यनमस्कार को महत्वपूर्ण माना जाता है। सुर्यनमस्कार को 8 अलग-अलग आसनों की मदद से 12 चरणो में किया जाता है। सूर्य नमस्कार को सूर्योदय और सूर्यास्त के समय करना चाहिए।
सूर्यनमस्कार करने का तरीका
- सबसे पहले आप अपने दोनों पैरो को आपस में जोड़ते हुए, हाथों व गर्दन को सीधे और कधों को बिना झुकाए खड़े हों। इस स्थिति को समस्थिति कहते हैं।
- अब आप पहले चरण को करने के लिए आप सांस छोड़ते हुए, अपने दोनों हाथों को जोड़ें और अपनी छाती के समीप नमस्कार मुद्रा में ले आएं। इसे प्रणाम आसन कहते हैं।
- इसके बाद दूसरे चरण में धीरे-धीरे सांस लेते हुए अपने शरीर को कमर से ऊपर की ओर खींचें और अपने दोनों हाथों को अपने सिर के ऊपर ले जाएं। अब अपने हाथों और कमर को पीछे की ओर झुकाएं और अपनी टांगें सीधी रखें। इस आसन को हस्तउत्तानासन कहा जाता है।
- तीसरे चरण में आप धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए अपने हाथों व शरीर को आगे की तरफ झुकाएं। आपकी हथेलियां आपके पैरों के पास जमीन को छूनीं चाहिए और आपकी भुजाएं और सिर एक साथ हो। इस आसन को पादहस्त आसन कहते हैं।
- चौथे चरण को करने के लिए आप एक गहरी सांस ले और अपने दाएं पैर को पीछे की ओर ले जाएं ओैर अपने घुटने को जमीन पर सटा कर रखें। ध्यान रखें कि आपका दांया पैर पंजों पर हो, बांया पैर 90 डिग्री पर हो, दोनों हथेली जमीन पर हो और आपके कूल्हे नीचे व थोढ़ी ऊपर की ओर हो। इस आसन को अश्व संचालन आसन कहते हैं।
- अब पांचवें चरण के लिए एक गहरी सांस लें और अपने बाएं पैर को पीछे ले जाएं और दाएं पैर के समान रखें। ध्यान रखें, आपके हाथ व कंधे सीधे हों, और साथ ही कंधे, पीठ व नितम्ब भी एक ही सीध में हों। इस आसन को संतुलनआसन कहा जाता है, आप इस स्थिति में सांस एक गहरी सांस लें।
- छठा चरण, एक गहरी सांस छोड़ें और अपने दोनों को घुटनों को जमीन पर रखें। अपनी छाती और माथे को भी जमीन पर रखें और नितम्ब को ऊपर की ओर व कोहनियां आपके शरीर के समीप हों। इस आसन को अष्टांग नमस्कार कहा जाता है क्योंकि इसमें आपके शरीर आठ अलग-अलग अंग जमीन को छूतें हैं। ध्यान रखें कि आपके शरीर का सतुंलन आठों अंग में बंटा हो।
- सातवें चरण में सांस लेते हुए श्रोणि को नीचे लाते हुए अपने माथे व छाती को आगे की ओर सरकाएं। अब अपने शरीर के ऊपरी हिस्से को अपनी नाभी तक ऊपर की ओर उठाएं। आपके पैर सीधे और पंजें बाहर की तरफ हो। इस आसन को भुजंग आसन कहते हैं।
- आठवां चरण अपने पैरों के पजों को अंद की तरफ करें और अपने कूल्हों को इतना ऊपर उठाएं कि आपका शरीर पर्वत का आकार ले ले। सुनिश्चित कर लें कि आपकी दोनों टांगे सीधी, हथेलियां जमीन पर और आपका सिर भुजाओं के बीच में हो। प्रयास करें की आपकी एड़ी जमीन को छूं सके। इस आसन को पर्वत आसन कहा जाता है।
- अब नवें चरण के लिए अपने कूल्हों को नीचे लाएं और सांस लेते हुए अपने दाएं पैर को आगे लाएं व अपने बाएं पैर के घुटने को जमीन पर रखते हुए पुन: अश्व संचालन आसन में आ जाएं।
- दसवें चरण में अपने बांए पैर को भी आगे लाएं और सासं छोड़ते हुए पुन: पादहस्त आसन में आ जाएं।
- ग्यारवें चरण, अब धीरे-धीरे सांस लेते हुए अपने शरीर को सीधा करते हुए अपने हाथों को हुए ऊपर की ओर ले जाएं। पुन: हस्तउत्तानासन में आ जाएं।
- बारवं चरण में आप धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए प्रणाम आसन में आ जाएं। अब इस पूरी प्रक्रिया को अपने बाएं पैर से दोहराएं।
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सावधानियां
- हाई बल्ड प्रेशर के रोगियों को सूर्यनमस्कार सावधानी के साथ करना चाहिए।
- हर्निया और पेप्टिक अल्सर के रोगियों को सूर्यनमस्कार नहीं करना चाहिए।
- इसके अलावा सायटिका, सर्वायकल स्पॉन्डिलाइटिस, एक्यूट आर्कराइटिस से पीडि़त लोगों को भी सूर्यनमस्कार नहीं करना चाहिए।
- गर्भावस्था व मासिक धर्म के समय महिलाओं को यह आसन नहीं करना चाहिए।
Have you made Surya Namaskar a part of your routine?
— Narendra Modi (@narendramodi) June 19, 2019
Do watch this video to know why it is a good idea to do so and the advantages that come with regularly practising it. #YogaDay2019 pic.twitter.com/CqfolZzRrj
सूर्य नमस्कार करने के फायदे
- सूर्यनमस्कार करने से आपके फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है।
- सूर्यनमस्कार करने से मेटाबॉल्जिम में सुधार आता है और डायबिटीज में भी मददगार है।
- वजन को कम करने में भी सूर्यनमस्कार मददगार है।
- अंत: श्रावी ग्रथियों के स्श्राव को नियंत्रित करता है और मेरूदण्ड व कमर की मांसपेशियों को मजबूत प्रदान करता है।
- नियमित रूप से सूर्यनमस्कार करने से यह आपके शरीर को ऊर्जावान बनाता है।
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