छोटे बच्चों में एक आदत सामान्य होती है। वो किसी भी चीज को सीधे मुंह में डालते हैं। खाने-पीने की चीज को शिशु सबसे जल्दी सीखते हैं। यही आदत उनमें जन्म के छह महीने तक रहती है। शिशुओं की यही आदत पैरेंट्स पर भारी पड़ सकती है। अक्सर माताएं शिशु को फ्लोर पर नीचे खिलौने के साथ छोड़ देतीं हैं और घर के काम में जुट जाती हैं। ऐसे में बच्चे खिलौने के साथ उनके आसपास की चीजों को मुंह में डाल सकता है। बच्चों की इस आदत का खामियाजा कहीं आपको भी भुगतना न पड़ जाए इसके लिए आपको यह जानना जरूरी है कि बच्चों के सामने क्या रखना चाहिए व क्या नहीं। क्योंकि संभव है कि बच्चों के आसपास यदि खतरनाक चीजों को रखें तो वो उसे मुंह में डाल दें। जैसे कि फिनाइल, दवा, नुकीली चीजें आदि।
नवजात के किसी भी चीज को खाने की आदत को देख कई पैरेंट्स समझ ही नहीं पाते कि उनका बच्चा ऐसा क्यों कर रहा है। यह एक गंभीर समस्या हो सकती है। क्योंकि बच्चों की यही लत रही तो आगे चलकर उन्हें मोटापा, पेट में कीड़े होने सहित कई बीमारी हो सकती है, कई मामलों में यह जानलेवा साबित भी हो सकता है। एक्सपर्ट बताते हैं कि बच्चों के अलग-अलग उम्र में खाने की आदत बदलती है। खराब चीजें खाने की आदत बच्चे की सेहत को नुकसान पहुंचा सकती है। एक्सपर्ट घाटशिला ईएसआई के चाइल्ड स्पेशलिस्ट अभिषेक मुंडू से हम जानते हैं कि बच्चों की परवरिश में किन-किन बातों का ख्याल रखना चाहिए।
बच्चों के सामने न रखें ये चीजें
नवजात मासूम होते हैं ऐसे में एक्सपर्ट डॉक्टर अभिषेक बताते हैं कि वो चीजों के साथ खेलते-खेलते सामान को मुंह में डालते हैं। ऐसे में उनके सामने दवा, फिनाइल, खाने-पीने का सामान, गर्म पानी, बैटरी, नुकीले सामान जैसे कील, छोटे खिलौने आदि को उनके पास नहीं रखना चाहिए।
पैसों को खुलें में न रखें, खासतौर पर सिक्को को
डॉक्टर बताते हैं कि भूलकर भी बच्चों को खेलने के लिए पैसे या फिर सिक्के नहीं देना चाहिए। हमारे पास रोजाना कई केस आते हैं जिसमें बच्चे मुंह में सिक्का घुस जाता है। यह काफी गंभीर हो सकता है और जानलेवा भी। ऐसे में यह पैरेंट्स की जिम्मेदारी है कि बच्चों के खेलते समय उनपर नजर बनाकर रखा जाए। ताकि वो किसी भी चीज को मुंह में डालें तो उसे निकाला जा सके। पहला यह कि बच्चों को सिक्का दें ही नहीं, यदि भूलवश शिशु ने सिक्के को ले लिया और उसे मुंह में डाल लिया तो आप उसे झुकाकर पीठ पर प्रेस करें, ऐसा कर सिक्का निकल जाएगा। यदि तबपर भी न निकले तो आपको इमरजेंसी ट्रीटमेंट की आवश्यकता पड़ सकती है। जितना जल्दी संभव आपको शिशु को लेकर डॉक्टर के पास जाना चाहिए। बता दें कि बच्चों का मुंह छोटा होने के साथ उनके सभी अंग छोटे होते हैं। ऐसे में यह वाक्या काफी खतरनाक साबित हो सकता है।
खिलौने के पार्ट्स को मुंह में डालते हैं, बच्चों को दें सॉफ्ट टॉय
डॉक्टर बताते हैं कि बच्चों के खिलाने का चयन काफी सोच समझकर करना चाहिए। आज के समय में यदि आप अच्छी दुकानों से खिलौने खरीदेंगे तो उसमें बच्चों की उम्र का जिक्र होता है। पैरेंट्स को इस बात का ख्याल रखना चाहिए। यदि आपका शिशु छह महीने की उम्र का है तो उसे सिर्फ सॉफ्ट टॉय ही खेलने को दें। ताकि मुंह में डाल भी ले तो उससे कोई परेशानी न हो। बच्चों को कभी भी छोटा खिलौना नहीं देना चाहिए। क्योंकि इससे कई बार बच्चे के पेट में खिलौने का पार्ट चला जाता है जो काफी हानि पहुंचाता है। इसके अलावा शिशु को मिट्टी पर खेलने के लिए नहीं छोड़ना चाहिए। संभव है कि वो मिट्टी ही खा ले। बच्चों के पास चॉक आदि को भी नहीं रखना चाहिए, नहीं तो उसे भी शिशु खा सकता है। यदि आपके घर की दीवारों पर चूना किया है तो शिशु उसे खरोंच-खरोंच कर निकाल सकता है। इसे खाने से शिशु के पेट में इंफेक्शन हो सकता है और वो बीमार पड़ सकता है। मां-बाप की तमाम कोशिशों के बावजूद भी बच्चे अपनी इन आदतों को नहीं छोड़ पाते।
पांच साल की उम्र तक रखें विशेष ख्याल
यह पैरेंट्स की जिम्मेदारी है कि जबतक आपका शिशु पांच साल की उम्र तक नहीं पहुंच जाता तबतक आपको उसकी हर एक एक्टीविटी पर ध्यान देना चाहिए। पांच साल की उम्र के बाद बच्चा समझदार हो जाता है। इस बीच आप उसे अच्छी और बुरी आदतों के बारे में समझा सकते हैं।
मिट्टी में खेलने से हो सकती है यह बीमारी
डॉक्टर अभिषेक बताते हैं कि यदि आप अपने शिशु को मिट्टी में छोड़कर चली जाती हैं और शिशु मिट्टी खा ले तो उसे कई प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी बीमारी हो सकती है। मिट्टी खाने से बच्चों को खून की कमी हो जाती है। मिट्टी खाने से बच्चों में विटामिन, मिनरल का शरीर में एब्जॉर्प्शन नहीं आता है। क्योंकि पेट में मिट्टी रहती है, जिससे बच्चे के पेट में दर्द हो सकता है। पेट में कीड़े हो सकते हैं और हो सकता है इस वजह से बच्चे को आगे चलकर स्टोन की शिकायत हो सकती है। यदि आप बच्चों की परवरिश को लेकर क्या करें व क्या नहीं यह निर्णय नहीं ले पा रहे हैं तो ऐसे में आपको हेल्थ केयर प्रोफेशनल के साथ डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए। क्योंकि यह बात छोटी जरूर है लेकिन शिशु की देखभाल के लिए काफी जरूरी है।
डॉक्टर अभिषेक ने कहा - फ्लैट और अपार्टमेंट में रहने वाले पैरेंट्स सोचते हैं कि उनके बच्चे को मिट्टी खाने की आदत नहीं लगेगी। लेकिन ऐसा नहीं है। बच्चे गमला या मैदान में जाकर मिट्टी खा लेते हैं। अगर बच्चे मिट्टी खाते हैं तो डॉक्टर उसका इलाज कर सकते हैं। लेकिन डॉक्टर मिट्टी को खाने से बच्चों को नहीं रोक सकते। छोटे बच्चों में मिट्टी खाना खून की कमी की निशानी है। इसका कारण बच्चों की खुराक में केवल दूध का सेवन होना है। हर चीज में दूध का मिश्रण होने से बच्चे में खून की कमी हो जाती है। बच्चों की खुराक में अन्न, दाल, सब्जियों की कमी होने से यह समस्या आती है।
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गंदी चीजे खाने से पेट में होते हैं कीड़े
डॉ. अभिषेक बताते हैं कि गंदी चीजें व मिट्टी खाने से पेट में कीड़े हो जाते हैं। यह तीन प्रकार के होते हैं थ्रेड वर्म, पिन वर्म व एस्केरिस वर्म। इसे डॉक्टरी भाषा में एस्केरिस भी बोलते हैं। यह जानलेवा भी हो सकता है। एक कीड़ा 24 घंटे में दो से तीन एमएल ब्लड पी लेता है। अगर पेट में कई केंचुए हुए तो बहुत बुरी स्थिति हो जाती है। इससे पाचन क्रिया पर भी प्रभाव पड़ता है। बच्चों का पेट फूल जाता है। बच्चा कुपोषित हो जाता है व आगे चलकर नपुसंक भी हो सकता है। उसे कई गंभीर बीमारियां भी आसानी से हो सकती हैं। किसी भी चीज को बिना धोए मुंह में डालने से संक्रमण, बीमारी आसानी से हो सकता है। इसलिए पैरेंट्स को इसे प्रमोट करने की बजाय उनकी सुरक्षा कैसे की जाए इसपर ध्यान देना चाहिए।
जिसे बच्चे चबा न पाएं उसे न खिलाएं
कई पैरेंट्स अपने बच्चों को जो वो खुद खाते हैं वही खिलाते हैं यह गलत है। बच्चों को शुरुआती छह महीने तक मां का गाढ़ा पीला दूध ही पिलाना चाहिए। उसके बाद उन्हें खाने में वैसी चीजें देनी चाहिए जिसे बिना चबाए वो खा सके और आसानी से पच जाए। जैसे कि दलिया आदि। छोटे बच्चों को मटन, मछली या चिकन नहीं खिलाना चाहिए। इससे बच्चे के मुंह में हड्डी फंस सकती है। इसके अलावा उन्हें वैसे खाद्य पदार्थ नहीं देना चाहिए जिसे चबाना पड़े। शिशु के दांत नहीं होने से वो मसूड़े के सहारे खाद्य पदार्थों को तोड़ने की सिर्फ कोशिश भर करते हैं। इस केस में पैरेंट्स को जागरूक होना पड़ेगा
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बच्चे जब बड़े होने लगे तो उन्हें फास्ट फूड की आदत न लगाएं
डॉ. अभिषेक हैं कि 8 से ज्यादा उम्र के बच्चों में फास्ट फूड खाने से आदत होती है। फास्ट फूड से डायरिया, पेट से संबंधी से बीमारी होती है। बच्चे का वजन बढ़ने लगता है। शुगर संबंधित बीमारी हो सकती हैं। पैरेंट्स के जरिए ही बच्चों को फास्ट फूड की आदत लगती है। क्योंकि सबसे पहले अपने बच्चों को वो ही ये चीजें खिलाते हैं। पैरेंट्स को बच्चों को बाहर का खाना व फास्ट फूड नहीं खिलाना चाहिए। घर में ही लजीज व स्वच्छ- स्वस्थ व्यंजन बनाकर खिलाना चाहिए। ऐसी चीजें बच्चे न खाएं इसके लिए को कोई दवा नहीं बनी है। इसे पैरेंट्स की सावधानी और निगरानी से ही रोका जाता है।
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