.jpg)
देश में लगातार बढ़ते कोरोनावायरस के मामलों के बीच ऐसी कुछ खबरें आ रही थी कि भारत कोरोना की तीसरी स्टेज में जा रहा है। लेकिन सरकार ने शनिवार को ऐसी अफवाहों को खारिज करते हुए कहा कि ऐसा कोई ठोस सबूत सामने नहीं आया है, जिससे ये पता चला कि देश वायरस की तीसरी स्टेज में जा रहा है। कोरोना की तीसरी स्टेज को वायरस के संक्रमण को समुदाय स्तर पर फैलने वाला बताया जाता है। ये जानकारी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार को महमारी पर ब्रीफिंग के दौरान दी। भारत की चिकित्सा शोध इकाई आईसीएमआर के एक वरिष्ठ अधिकारी डॉ. आर. गंगा केतकर का कहना है कि हम तब तक स्थिति के बारे में अधिक जानकारी नहीं दे सकते जब तक कि लोगों के संक्रमित होने के महत्वपूर्ण प्रमाण नहीं मिलते हैं।
#PIBFactCheck: Please don't fall for report claiming India has entered Stage 3 - i.e community transmission of #Covid19
— PIB Fact Check (@PIBFactCheck) March 28, 2020
Claims made are misleading and scaremongering.
Various measures of social distancing being practiced and implemented is crucial to fighting #covid19 pic.twitter.com/KpTnSVwoS2
सरकार का दावा हर स्थिति से निपटने को तैयार
दूसरी जरूरी जानकारी देते हुए सरकार ने कहा कि मौजूदा वक्त में पर्याप्त संख्या में परीक्षण सुविधाएं और किट हैं और सरकार, संक्रमण की संख्या में किसी भी प्रकार की वृद्धि से निपटने के लिए तैयार है। डॉ. गंगा केतकर का कहना है कि हम नई जांच के साथ 5 लाख लोगों का परीक्षण करने के लिए तैयार हैं, इसके अलावा प्रयोगशालाओं में पहले से उपलब्ध जांच वाले उपकरणों से1 लाख लोगों की जांच की जा सकती है। उन्होंने कहा कि किसी को भी निजी और सार्वजनिक परीक्षण सुविधाओं के माध्यम से परीक्षण करने की सरकार की क्षमता के बारे में चिंता नहीं करनी चाहिए।
इसे भी पढ़ेंः coronavirus: लॉकडाउन से ज्यादा जरूरी है 'हैंड लॉकडाउन', जानें वायरस से कैसे बचाएं अपने हाथ
इन लोगों को कोरोना का खतरा ज्यादा
स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा, "आज उठाया गया एक कदम आपको कल ही परिणाम नहीं देगा।" उन्होंने कहा कि सरकार को भरोसा है कि ये उपाय सकारात्मक परिणाम देंगे क्योंकि कदम समय पर उठाए गए हैं और अन्य देशों के अनुभव से सीखा है। स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि बुजुर्ग लोग, जो क्रॉनिक बीमारियों से जूझ रहे हैं उन्हें इस वायरस से संक्रमित होने का खतरा ज्यादा है। जैसे की अब तक आंकड़े मिले हैं। डॉ. केतकर का कहना है कि वे बुजुर्ग लोग, जिन्हें अस्थमा, हाईपरटेंशन, डायबिटीज या किडनी से संबंधित समस्या है उन्हें इसका ज्यादा खतरा है, जैसा कि हम पहले भी कह चुके हैं।
भारत ने उठाए उचित कदम
उन्होंने बताया कि जब हमें स्थानीय स्तर पर कोरोना के फैलने की सीमित मामले मिल रहे थे हमने तभी भारत में लॉकडाउन कर दिया गया था जबकि हमारे मुकाबले अन्य देशों ने बहुत बाद में लॉकडाउन किया है। सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से प्राप्त मार्गदर्शन के साथ हमें विश्वास है कि हमें अच्छे परिणाम मिलेंगे। अधिकारी ने कहा कि संपर्क में आने वाले लोगों का सख्ती से पता लगाया जा रहा है और गंभीर श्वसन संबंधी गंभीर बीमारी वाले सभी रोगियों में वायरस की जांच की जा रही है लेकिन इस वक्त बेतरतीब तरीके से सैंपल लेने की कोई जरूरत नहीं है। डॉ. केतकर का कहना है कि रैंडम सैंपलिंग की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि 12,000 परीक्षण सुविधाओं में से केवल 30% का ही उपयोग किया गया है।
इसे भी पढ़ेंः COVID-19: कोरोना से लड़ने में क्या कारगर हो सकती हैं ये 69 दवाएं? साइंटिस्ट ने की पहचान, अभी टेस्ट होना बाकी
जुलाई तक 40 करोड़ लोग होंगे शिकार
वहीं दूसरी तरफ एक और अफवाह ने लोगों को परेशान किया, जिसमें ये कहा जा रहा था कि जुलाई तक 40 करोड़ भारतीयों को कोरोना होगा। जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के लोगों वाले एक अध्ययन में ये बताया जा रहा था कि अगले कुछ महीने में भारत में 10 करोड़ लोग कोरोना की चपेट में होंगे और ये संख्या जुलाई तक 30 से 40 करोड़ तक पहुंच जाएगी अगर उचित कदम नहीं उठाए गए तो।
@JohnsHopkins is this study by your students. It is circulating widely across India, suggesting a very grim picture pic.twitter.com/BuWFjrhLFP
— Neelakshi Mann (@nmann2015) March 26, 2020
यूनिवर्सिटी ने झाड़ा पल्ला
वहीं जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी का कहना है कि हमने कोरोना पर पर किसी भी शोध रिपोर्ट पर अपने लोगो यानी की साइन का उपयोग करने के लिए सेंटर फॉर डिसीज डायनेमिक्स, इकोनॉमिक एंड पॉलिसी (सीडीडीईपी) को अधिकृत नहीं किया है। इस संस्थान की ही रिपोर्ट में ये कहा गया है कि भारत में कोरोवायरस के संक्रमण से 10 करोड़ से ज्यादा लोग प्रभावित होंगे।
Read More Articles On Coronavirus In Hindi