
कोलेस्टॉल के स्तर में हल्की सी बढ़ोत्तरी भी आगे चलकर दिल की बीमारियों के खतरे में इजाफा कर सकती है। वैज्ञानिकों ने दावा किया कि 30 और 40 की उम्र के बीच आपकी धमनियों को दीर्घकालिक नुकसान होना शुरू हो जाता है। और 35 से 55 वर्ष की आयु के बीच हर साल कोलेस्टॉल में इजाफा होने पर हृदय रोग होने का खतरा भी 40 फीसदी तक बढ़ जाता है। शोधकर्ताओं ने, 1948 से चली आ रही फ्रमिंघम हार्ट स्टडी के आंकड़ों का आकलन कर यह नतीजा निकाला। यह दिल की सेहत से जुड़ी सबसे बड़ी स्टडी है जो आज भी जारी है।
शोधकर्ताओं ने 55 वर्ष और उससे अधिक के 1478 ऐसे लोगों पर शोध किया जिन्हें कार्डियोवस्कुलर डिजीज नहीं थी। और इसके हिसाब से उन्होंने इस बात का आकलन किया कि आखिर उन्हें किस उम्र में कोलेस्टॉल का स्तर सबसे अधिक था।
इसके बाद प्रतिभागियों पर 20 वर्ष तक इस मकसद से नजर रखी गई ताकि इस बात का आकलन किया जा सके कि कोलेस्टॉल का लंबे समय तक उनकी सेहत पर क्या असर पड़ता है।
शोध में 160एमजी/डीएल - यूके के मापदंडों के अनुसार 4 माइक्रोमोल्स या ज्यादा को कोलेस्टॉल का अधिक स्तर माना गया।
बैड कोलेस्टॉल के लिए 3.3mmol/L – या इससे अधिक को खतरनाक माना गया।
55 वर्ष की आयु में 379 लोगों को 1 से लेकर 10 वर्षों के बीच कोलेस्टॉल का स्तर अधिक रहा। 577 को 11 से 20 वर्षों तक कोलेस्टॉल का स्तर ज्यादा रहा और 512 को ज्यादा कोलेस्टॉल की शिकायत नहीं थी।
शोध में पाया गया कि जिन लोंगों को 11 से 20 वर्ष तक के समय में कोलेस्टॉल का स्तर ज्यादा था उनमें दिल की बीमारियां होने का खतरा 16.5 फीसदी ज्यादा होता है। वहीं 1 से 10 वर्ष तक कोलेस्टॉल अधिक होने पर हृदय रोग होने का खतरा 8.1 प्रतिशत ज्यादा हो जाता है। और जिन लोगों का कोलेस्टॉल ज्यादा नहीं था उन्हें केवल 4.4 फीसदी ही दिल की बीमारियों का खतरा रहा।
इसका अर्थ यह है कि अधिक कोलेस्टॉल के साथ एक दशक से दिल की बीमारियों का खतरा ३९ फीसदी बढ़ जाता है। इससे पता चलता है कि कोलेस्टॉल के स्तर में जरा सा इजाफा भी दिल की सेहत को काफी नु्कसान पहुंचा सकते हैं।
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