इम्यून सिस्टम की गड़बड़ी बना सकती है लंग (फेफड़े) कैंसर का शिकार, धूम्रपान न करने वालों को भी खतरा

अगर किसी व्यक्ति का इम्यून सिस्टम ठीक तरह से काम नहीं कर रहा है, तो सिगरेट-तंबाकू का सेवन न करने के बावजूद उसे लंग कैंसर हो सकता है।
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इम्यून सिस्टम की गड़बड़ी बना सकती है लंग (फेफड़े) कैंसर का शिकार, धूम्रपान न करने वालों को भी खतरा


इम्यून सिस्टम यानी प्रतिरक्षा तंत्र हमारे शरीर में मौजूद एक सिस्टम है, जो हमारे शरीर की रक्षा करता है। बाहरी वायरस, बैक्टीरिया और रोगों से बचाने के लिए ये इम्यून सिस्टम इनसे लड़ता है और हमें स्वस्थ रखता है। मगर कई बार गलत खानपान और गलत लाइफस्टाइल के कारण इम्यून सिस्टम कमजोर पड़ जाता है। हाल में हुआ एक शोध बताता है कि जिन लोगों का इम्यून सिस्टम गड़बड़ रहता है, उन्हें फेफड़ों के कैंसर (लंग कैंसर) का खतरा रहता है, भले ही वे धूम्रपान न करते हों।

धूम्रपान न करने वालों को भी होता है फेफड़ों का कैंसर

आमतौर पर लोग यही मानते हैं कि सिगरेट या बीड़ी पीने, तंबाकू खाने, हुक्का पीने, ई-सिगरेट आदि से ही फेफड़ों का कैंसर होता है। मगर इस नए शोध ने इस बात को ज्यादा स्पष्ट कर दिया है कि जो लोग स्मोकिंग नहीं करते हैं, उन्हें भी फेफड़ों का कैंसर हो सकता है। रिकॉर्ड भी यही बताते हैं कि ऐसे लोगों की संख्या कम नहीं है, जिन्हें स्मोकिंग न करने के बावजूद फेफड़ों का कैंसर हुआ है।

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80 हजार लोगों पर किया गया शोध

टोरंटो के Sinai Health's Lunenfeld-Tanenbaum Research Institute के सीनियर इंवेस्टिगेटर Rayjean Hung कहती हैं, "कैंसर एक ऐसा रोग है, जिसका कारण क्रॉनिक इन्फ्लेमेशन है। मजबूत इम्यून सिस्टम शरीर को इन्फ्लेमेशन से बचाता है। हमारे शोध में हमें पता चला है कि इम्यून सिस्टम के ठीक तरह से काम न करने के कारण लंग कैंसर का खतरा बढ़ता है।"
इस शोध के लिए Hung की टीम ने 80,000 से ज्यादा लोगों के जीन्स का अध्ययन किया। अध्ययन इस बात पर आधारित था कि कहीं इन रोगियों में लंग कैंसर का कारण कोई अन्य बीमारी जैसे- सीओपीडी आदि तो नहीं थी। रिसर्च में पाया गया कि लगभग 70% लंग कैंसर के मरीज पहले से सीओपीडी या सांस की बीमारियों से प्रभावित थे।

क्या कहते हैं शोधकर्ता

शोधकर्ताओं ने बताया कि, "हमारा अध्ययन बताता है कि आखिर क्यों नॉन स्मोकर्स में लंग कैंसर का खतरा बढ़ता है। इसके साथ ही यह भी स्पष्ट हुआ कि इम्यून सिस्टम का रेगुलेशन आखिर क्यों इतना जरूरी है।" इस अध्ययन को हाल में ही Nature Communications नाम के जर्नल में छापा गया है। इम्यूनिटी और कैंसर से जुड़ी ये अपने आप में महत्वपूर्ण रिसर्च है, जिससे कैंसर की प्रकृति को समझने में मदद मिलेगी।

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फेफड़ों के कैंसर की जांच

आमतौर पर फेफड़ों के कैंसर के लक्षणों के दिखने से पहले ही सीटी स्कैन के द्वारा इसका पता लगाया जा सकता है। बिल्कुल शुरुआती अवस्था में अगर बीमारी का पता चल जाए, तो इसका इलाज करना आसान हो जाता है। शोधकर्ताओं के अनुसार लोगों को यह नहीं सोचना चाहिए कि उन्हें फेफड़ों का कैंसर नहीं हो सकता है। अगर आप अक्सर बीमार पड़ते हैं और शरीर में छोटे-मोटे रोग होते रहते हैं, तो इसका अर्थ है कि आपका इम्यून सिस्टम सही तरह से काम नहीं कर रहा है या कमजोर हो गया है। इसलिए ऐसी स्थिति में आपको एक बार लंग कैंसर की भी जांच करा लेनी चाहिए।

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