पोषण विशेषज्ञ ऐसी सलाह देते हैं कि गाय का दूध प्रोटीन, कैल्शियम और विटामिन डी का अच्छा स्रोत होता है। इसके बावजूद दूसरे स्रोतों से भी दूध लिया जाता है जैसे चावल ,जई ,नट और भांग लेकिन पोषण विशेषज्ञ ऐसा मानते हैं कि गाय के दूध की तुलना में इस तरह का दूध उतना फायदेमंद नहीं होता है। दोनों ही तरीके के दूध को अगर आगे ट्रीटमंेट दी गयी तो यह अच्छा हो सकता है। अगर गाय के दूध से आपको परेशानी है तो आप दूसरे तरीके का दूध ले सकते हैं। अगर आप लैक्टोज़ रेज़िस्टैंट हैं तो दूध का दूसरा स्वरूप आपके लिए और अच्छा हो सकता है।
- अगर बाज़ार में दूध फ्लारिसेंट लाइट के सम्पर्क में आता है तो इसमें न्यूट्रिशनल वैल्यू की कमी हो जाती है ,दूध आक्सिडाइज़ हो जाता है और इसका स्वाद जला हुआ सा प्रतीत होता है।
- विशेषज्ञ ऐसी सलाह देते हैं कि दूध को हमेशा पेपर के कार्टन में खरीदना चाहिए या घर के पास की डेयरी से खरीदना चाहिए।अगर आप गाय के दूध के अलावा नान डेयरी उत्पाद लेना चाहते हैं तो आपको वो उत्पाद लेने चाहिए जिनमें कि कैल्शियम और विटामिन डी हो।
- चाकलेट, स्ट्राबेरी या दूसरे स्वाद वाले दूध में शुगर की मात्रा सामान्य दूध से कहीं अधिक होती है और इनमें लगभग 170 कैलोरी दूध होता है। दूध के पैकेट खरीदने से पहले आपको लेबल देखने की आदत बना लेनी चाहिए।
- बिना वसा वाले दूध का सेवन करें क्योंकि इनमें कम कैलोरी होती है और इससे हृदय भी स्वस्थ रहता है।
जई का दूध:
जई के छिलकों से जई के दानों को निकालने के बाद उन्हें धोकर और मिलाकर जई का दूध निकालते है। विशेषज्ञों का ऐसा मानना है कि जई के दूध में गाय के दूध की तुलना मंे प्रोटीन की मात्रा आधी होती है और इसमें चीनी की मात्रा अधिक होती है।
नारियल का दूध:
नारियल को काट कर और निचोड़ कर नारियल का दूध बनाया जाता है और इसमें कैलोरी की मात्रा भी अधिक होती है। आहार विशेषज्ञों का ऐसा मानना है कि नारियल के दूध को इसके स्रोत से तुरंत नहीं पीना चाहिए बल्कि इसे थोड़ी मात्रा में खाना बनाने में इस्तेमाल करना चाहिए। नारियल के दूध के हल्के किस्म में वसा और कैलोरी गाय के दूध की तुलना मंें आधी होती है ा
सोया दूध:
सोया दूध सोया को पानी में भिगोने के बाद, इसे पीसकर बनता है । इसमें प्रोटीन ,आयरन ,कापर ,फास्फोरस, विटामिन बी ,पोटैशियम और मैग्निशियम की भी मात्रा अधिक होती है।समें फाइबर भी अधिक मात्रा में होता है जो कि गाय के दूध में नहीं होता है।यहां तक कि इसमें पौधों में पाये जाने वाले रासायन आइसोफ्लेविन्स भी होते हैं।ग्लूटीनिन होता है जिससे कि रेड ब्लड सेल्स इकट्ठे हो जाते हैं।
बादाम का दूध:
बादाम का दूध बादाम को पीसकर बनाया जाता है और इसमें प्रोटीन और कैलोरी की मात्रा कम होती है और इसमें सारे पोषक तत्व होते हैं जैसे मैगनीज़, कैल्शियम ,मैग्नीशियम और विटामिन ई ा बादाम के दूध में वसा की मात्रा कम होती है और सिर्फ सैचुरेटेड वसा होती है जो कि वसा का एक स्वस्थ रूप है ा
भांग का दूध:
भांग का दूध औद्योगिक रूप से भांग के पौधों से निकाला जाता है और इसमें ओमेगा 3 फैटी एसिड ,प्रोटीन और दूसरे अनसैचुरेटेड फैटी एसिड भी होते हैं। भांग का दूध पर्यावरण के अनुकूल होता है और इसमें पेस्टिसाइड नहीं होते और पानी भी थोड़ी ही मात्रा में होता है।
चावल का दूध:
चिकित्सा विशेषज्ञ ऐसा मानते हैं कि चावल के दूध में सिर्फ कार्बोहाइड्रेट होता है ा लेकिन इस तरह के दूध में भी वसा और प्रोटीन की मात्रा कम होती है। अकसर यह भूरे चावल से बनता है। इस दूध में फाइबर की कमी होती है और यह बहुत पत्ला होता है।यह बहुत मीठा होने के साथ ही किसी भी तरह की एलर्जी से भी बचाता है।
गाय के कच्चे दूध को खाद्य पदार्थ के स्टेम सेल कहा जाता है।
प्रतिदिन 1 गिलास गाय का दूध या किसी और तरीके का दूध पीने से आप स्वस्थ होने के साथ ही डेनेल क्रैग जैसा मजबूत शरीर भी पा सकेंगे, इसे अपनी आदत बनाए।