Impact Of Academic Pressure On Students Mental Health In Hindi: मौजूदा समय में शायद ही ऐसा कोई हो, जिसकी हेल्थ पर बुरा असर न पड़ता हो। कहीं लोग अपने वर्क कल्चर से परेशान हैं, तो कहीं लोग घर की परेशानियों से जूझ रहे हैं। इसी तरह, छोटे बच्चे या छात्र भी इससे अछूते नहीं हैं। आज की तारीख में हमने देखा है कि छात्रों पर पढ़ाई का प्रेशर बहुत बढ़ गया है। फिर चाहे, छात्रों को किसी भी क्षेत्र में अपनी किस्मत आजमानी हो। हर क्षेत्र में कंपीटीशन तगड़ा है और आगे बढ़ने की चाह हर छात्र में है। यहां तक कि स्कूल के छात्रों पर भी पढ़ाई-लिखाई और कंपीटीशन का कम प्रेशर नहीं है। यही कारण है कि छात्रों की मेंटल हेल्थ बुरी तरह प्रभावित हो रही है। यहां हम जानेंगे, छात्रों की मेंटल हेल्थ किस तरह प्रभावित हो रही है और इससे वे कैसे निपट सकते हैं। Manav Rachna International Institute of Research and Studies (School of Behavioral & Social Sciences) में Professor & Dean डॉ तरनजीत से बातचीत पर आधारित।
पढ़ाई का छात्रों की मेंटल हेल्थ पर असर
टॉप स्टोरीज़
बढ़ रही एंग्जाइटी
डॉ तरनजीत कहती हैं, "2023 में विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार, 18 से 25 वर्ष की आयु के युवा वयस्कों में डिप्रेशन और एंग्जाइटी के मामले बढ़ रहे हैं। छात्रों पर पढ़ाई के दबाव के कारण उनमें इस तरह की समस्या हो रही है। दूसरों की अपेक्षाओं और उम्मीदों पर खुद को साबित न कर पाने की वजह से उनका स्लीपिंग पैटर्न भी इफेक्टेड हो रही है। नतीजतन, वे चिड़चिड़े और परेशान रहते हैं।"
इसे भी पढ़ें: पेरेंट्स की ज्यादा सख्ती बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर कर रही गहरा असर: स्टडी
बढ़ रहा है डिप्रेशन
जब बच्चों पर लंबे समय तक पढ़ाई का प्रेशर बना रहता है, तो वे डिप्रेशन में चले जाते हैं। इस कंडीशन में अपनी भावनाओं को कंट्रोल नहीं कर पाते हैं और अक्सर निराशा से घिरे रहते हैं।
बर्नआउट हो जाता है
एकेडेमिकली कोई छात्र अच्छा करेगा या नहीं, यह उसकी मेंटल हेल्थ से भी तय होता है। अगर किसी छात्र की मेंटल हेल्थ कंडीशन सही नहीं है, तो वह स्टडीज में भी कमाजोर होगा। यहां तक कि खराब मेंटल हेल्थ का असर शारीरिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है।
इसे भी पढ़ें: एग्जाम के स्ट्रेस में बच्चा हो रहा है हाइपर? ऐसे करें दिमाग को शांत
ऑब्सेशन बढ़ने लगता है
पढ़ाई का प्रेशर कई बार बच्चों को ऑब्सेस्ड बना देता है। दरअसल, हर घर में बच्चों पर अच्छी परफॉर्मेंस का इतना प्रेशर दिया जाता है कि उनकी खुद की एक्सपेक्टेशन बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। ऐसे में वे कम से कम गलतियां करने की कोशिश करते हैं और गलती हो जाए, तो सनक की हद तक किसी भी चीज के पीछे पड़ जाते हैं। इस तरह के छात्र अक्सर अपने रिजल्ट से नाखुश रहते हैं।
छात्रों की मेंटल हेल्थ कंडीशन को कैसे सही करें
सपोर्ट करें: पेरेंट्स और टीचर्स को चाहिए कि वे अपने छात्रों को हर स्थिति में सपोर्ट करें। उनकी मेंटल स्टेटस को समझें और उन पर अतिरिक्त दबाव देने से बचें। उसकी कमजोरियों और खामियों को समझने की कोशिश करें, ताकि वे अपनी परफॉर्मेंस में सुधार कर सकें।
मेंटल हेल्थ पर काम करेंः छात्रों के लिए जरूरी है कि अपनी मेंटल हेल्थ पर फोकस करें। वे ऐसा कैसे कर सकते हैं? इसके लिए उन्हें एक्सट्रा करीकुलर एक्टिविटी में हिस्सा लेना चाहिए। इससे उन्हें अपने इंट्रेस्ट के बारे में पता चलेगा। जब भी मूड ख़राब हो इस तरह की एक्टिविटी करने से मन हल्का होता है और स्टडीज में बेहतर पर्फोमेंस के लिए मोटिवेशन मिलने लगता है।
प्रोफेशनल मदद लेंः कई बार ऐसा होता है कि छात्रों की मेंटल हेल्थ में सुधार नहीं हो पता है। उन्हें सिर्फ दोस्त और परिवार की मदद से वे अपनी कंडीशन में सुधार नहीं कर पाते हैं। उनका तनाव या अवसाद दिनों दिन बढ़ता जाता है। इस कंडीशन में पेरेंट्स को चाहिए कि वे अपने बच्चों को प्रोफेशनल के पास ले जाएं। उनसे मदद लें।