
स्त्रियां अपने आपको रोजमर्रा के कार्यों में इतना उलझा लेती हैं कि वह अपनी सेहत के प्रति लापरवाह हो जाती है। आमतौर पर ज्यादातर स्त्रियां यह सोचती हैं कि जब उन्हें कोई तकलीफ ही नहीं है तो डॉक्टर के पास क्यों जाना। यह सोच आगे चलकर कई गंभीर बीमारियों की वजह बन सकती है। हमें नहीं पता होता कि जीवन शैली की व्यस्तता और खानपान की गलत आदतों के कारण हमारा शरीर किस तरह की बीमारी का शिकार हो जाए। ऐसे में एक्सपर्ट सलाह देते हैं कि 30 वर्ष की आयु के बाद स्त्रियों को हेल्थ चेकअप जरूर करवाना चाहिए।
लापरवाही के चलते स्त्रियों को किन बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है? इन बीमारियों से बचने के लिए क्या सावधानी बरतनी चाहिए? इन सभी सवालों के जवाब आपको आगे दिए जा रहे हैं। पढ़ते हैं आगे...
एनीमिया की समस्या
आंकड़ों की मानें तो अपने देश में अधिकतर मामले खून की कमी के आते हैं। स्त्रियों में खून की कमी यानी एनीमिया होना आम होता जा रहा है। ऐसे में थकान महसूस करना, कमजोरी आना, आंखों के नीचे काले घेरे होना, नाखूनों का सफेद होना आदि यह लक्षण शरीर में दिखने लगते हैं। इसके लिए डॉक्टर सीबीसी यानी कंपलीट ब्लड काउंट टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं।
हाइपरटेंशन की समस्या
हाइपरटेंशन यारी हाई ब्लड प्रेशर। यह समस्या भी आम होती जा रही है। तनावपूर्ण जीवनशैली के कारण स्त्रियां इसके शिकार हो रही है। जब वे मेनोपॉज़ की अवस्था में पहुंच जाती हैं तो इसकी आशंका दोगुनी हो जाती है। अगर आपको हाई ब्लड प्रेशर यानी बीपी की समस्या महसूस हो तो अपना रेगुलर चेकअप करवाएं।
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डायबिटीज की समस्या
डायबिटीज के मरीजों की संख्या भी थमने का नाम नहीं ले रही है। ऐसे में अगर आपका वजन ज्यादा है या आपको हाई बीपी की समस्या है तो सतर्क हो जाएं। इसके अलावा यदि आपके परिवार में किसी को शुगर की समस्या है तो आपको विशेष सावधानी बरतनी पड़ेगी। ऐसी स्थिति में 30 वर्ष की आयु के बाद साल में एक बार डायबिटीज का चेकअप जरूर कराएं।
हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या
जब रक्त में बैड कोलेस्ट्रॉल एलडीएल बढ़ने लगते हैं तो यह आपकी सेहत को नुकसान पहुंचा सकते हैं। ऐसे में एक साल में एक बार कोलेस्ट्रोल की जांच जरूर करवाएं। इसके अलावा 30 वर्ष की उम्र के बाद ड्राई फ्रूट्स का सेवन, तली-भुनी चीजें, मांसाहार आदि का सेवन सीमित मात्रा में करें।
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ब्रेस्ट कैंसर की समस्या
ब्रेस्ट कैंसर के प्रमुख लक्षणों में ब्रैस्ट अंडर आर्म्स में कोई नॉट, ब्रेस्ट की त्वचा की रंगत में बदलाव होना, निपल्स से किसी तरह का डिस्चार्ज होना, ब्रेस्ट में दर्द होना, खुजली होना आदि आते हैं। इसके लिए डॉक्टर महिलाओं को हर महीने सेल्फ ब्रेस्ट एग्जामिनेशन की सलाह देते हैं। साथ ही स्त्रियों को एमआरआई या मैमोग्राफी समय-समय पर करवा लेनी चाहिए।
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