
कोरोना वायरस टेस्ट का दायरा बढ़ाने के लिए भारत ने 10 लाख एंटीबॉडी टेस्ट किट मंगाए हैं, जिससे बिना लक्षण वाले लोगों में भी 5 मिनट चलेगा कोरोना का पता।
कोरोना वायरस के लगातार बढ़ते मामलों के कारण सरकार चिंतित है। लॉकडाउन खुलने में अब महज 13 दिन बचे हैं, लेकिन कुछ लोगों की गलतियों के कारण कोरोना वायरस पॉजिटिव लोगों की संख्या बढ़ने की आशंका है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने पहले ही कह दिया था कि भारत में कोरोना वायरस के कम्यूनिटी स्तर यानी स्टेज-3 पर फैलने के कोई प्रमाण नहीं मिले हैं। मगर अमेरिका, इटली, स्पेन और ईराक जैसे देशों में जिस तरह रोज हजारों की संख्या में मरीज सामने आ रहे हैं, उससे भारत के लिए जांच का दायरा बढ़ाने का दबाव बढ़ गया है। यही कारण है कि भारतीय मेडिकल रिसर्च काउंसिल (ICMR) ने कोरोना वायरस की जांच का दायरा बढ़ाने के लिए कम कीमत पर तुरंत रिजल्ट बताने वाले 10 लाख एंटी-बॉडी किट्स मंगाने का फैसला किया है।
भारत स्टेज-3 में है या नहीं, चलेगा पता
टेस्ट का दायरा बढ़ाने से एक अच्छी बात तो यह होगी कि कोरोना के सभी मरीजों को जल्दी पहचान लिया जाएगा और उनका इलाज शुरू किया जा सकेगा और दूसरी अच्छी बात यह है कि इस बात का भी पता चल जाएगा कि भारत में कोरोना वायरस कम्यूनिटी लेवल पर पहुंचा या नहीं। अभी तक जिस तरीके से कोरोना वायरस की जांच की जा रही है, उसमें कई घंटों या दिनों का समय लगता है इसलिए एक दिन में सीमित लोगों की ही जांच संभव हो पाती है। 31 मार्च तक भारत ने लगभग 42 हजार टेस्ट किए हैं, जिनमें से 1637 लोग कोविड-19 पॉजिटिव पाए गए हैं। इनमें से 133 लोगों को ठीक करके डिस्चार्ज किया जा चुका है, जबकि 38 लोगों की मौत हो चुकी है।
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कैसे अलग है एंटीबॉडी किट द्वारा टेस्ट?
भारत में अभी तक कोरोना वायरस के लिए जो टेस्ट किया जा रहा है, उसमें मरीज के नाक और गले में स्वैब डालकर निकाला जाता है और फिर लैब में इसका निरीक्षण किया जाता है। लेकिन सरकार ने जिस एंटीबॉडी टेस्ट किट का ऑर्डर किया है, उसे सेरोलॉजिकल टेस्ट भी कहते हैं। ये टेस्ट ऐसे लोगों की भी जांच करेगा, जो वायरस की चपेट में आ चुके हैं, लेकिन जिनमें लक्षण अभी तक नहीं दिखाई दिए हैं। इस टेस्ट द्वारा मरीज के शरीर में एक खास एंटीबॉडी की जांच की जाती है।
ध्यान दें- ये टेस्ट कोविड-19 की पुष्टि नहीं करेगा
गौरतलब है कि नए टेस्ट के द्वारा किसी मरीज में कोविड-19 की पुष्टि नहीं हो सकेगी। बल्कि इस टेस्ट के द्वारा सिर्फ इस बात की जानकारी जुटाई जाएगी कि कोई व्यक्ति कोरोना वायरस की चपेट में आया था या नहीं, ताकि इसका पता चलते ही उसे क्वारंटाइन किया जा सके और दूसरों में इस वायरस को फैलने से बचाया जा सके। किसी मरीज को कोरोना वायरस के कारण होने वाली बीमारी कोविड-19 है या नहीं, इसका पता उसी पुराने तरीके से चलेगा, जिससे अभी पता लगाया जा रहा है।
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इस टेस्ट की जांच के दायरे में ऐसे सभी लोगों को रखा जाएगा, जो हाल में विदेश से लौटे हैं, या विदेश से लौटे व्यक्ति के संपर्क में आए हैं। इसके अलावा ऐसे लोग जिनमें निमोनिया के लक्षण हैं या जो भी संदिग्ध मरीज हैं।
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