शरीर के सभी अंगों को कार्य करने के लिए एनर्जी की आवश्यकता होती है और यह एनर्जी अंगों को पोषक तत्वों के रूप में आहार से मिलती है। लेकिन, आज के दौर में लोगों की बदलती जीवनशैली के कारण उनको मोटापा और अन्य तरह की समस्याओं को सामना करना पड़ता है। डाइट में पर्याप्त पोषण युक्त आहार न लेना की वजह से लोगों को विटामिन डी और अन्य पोषक तत्वों की कमी हो सकती है। विटामिन डी आपकी स्किन और बोन हेल्थ के लिए आवश्यक होता है। जब किसी व्यक्ति के शरीर में विटामिन डी की कमी होने लगती है तो उसकी स्किन पर बढ़ती उम्र के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। ऐसे में एजिंग के लक्षणों से बचने के लिए आप विटामिन डी का लेने शुरु करें। इस लेख में एसेंट्रिक्स डाइट क्लीनिक की डाइटिशियन शिवाली गुप्ता से जानते हैं कि विटामिन डी किस तरह से बढ़ती उम्र के लक्षणों को कम कर सकता है?
कैसे विटामिन D उम्र के प्रभाव को धीमा करता है? - How Vitamin D Helps To Reverse Age In Hindi
विटामिन D एक फैट सोल्यूबल विटामिन है जिसे "सनशाइन विटामिन" भी कहा जाता है, क्योंकि यह शरीर में सूर्य की किरणों से उत्पन्न होता है। इसके दो प्रमुख रूप हैं – D2 और D3, जिनमें D3 अधिक प्रभावशाली होता है। शरीर में सेलुलर डैमेज, इंफ्लेमेशन और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस के कारण व्यक्ति को बढ़ती उम्र के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। इस स्थिति में कोशिकाएं कमजोर होने लगती हैं और इम्यून सिस्टम धीमा हो जाता है। जिसकी वजह से त्वचा में ढीलापन आ सकता है। इस प्रक्रिया को आगे आसानी से समझते हैं।
सेलुलर हेल्थ को बेहतर बनाता है
विटामिन D सीधे तौर पर शरीर की कोशिकाओं पर असर डालता है। यह डीएनए रिपेयर में मदद करता है और कोशिकाओं को लंबे समय तक स्वस्थ बनाए रखता है। स्वस्थ कोशिकाएं ही त्वचा, बालों, हड्डियों और दिमाग को जवान बनाए रखती हैं।
इम्यून सिस्टम को मजबूत करना
उम्र बढ़ने के साथ हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है। विटामिन डी शरीर T-cells और B-cells को सक्रिय करता है, जिससे इम्यून सिस्टम मजबूत होता है और हम बीमारियों से लड़ने में सक्षम रहते हैं।
हड्डियों और मांसपेशियों को मजबूत बनाना
बुजुर्गों में हड्डी टूटने का खतरा अधिक होता है, लेकिन विटामिन D कैल्शियम के अवशोषण को बढ़ाकर हड्डियों को मजबूत बनाता है। यह मांसपेशियों की ताकत भी बढ़ाता है, जिससे गिरने और चोट लगने का खतरा कम हो जाता है।
त्वचा की उम्र को कम करता है
विटामिन D में एंटी-एजिंग गुण होते हैं जो कोलेजन प्रोडक्शन को बढ़ावा देते हैं। इससे त्वचा में कसाव आता है, झुर्रियां कम होती हैं और त्वचा चमकदार बनती है।
डिप्रेशन और मानसिक थकावट से बचाव
उम्र बढ़ने के साथ मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है। विटामिन D सेरोटोनिन और डोपामिन जैसे “फील गुड” हार्मोन्स के स्तर को संतुलित करता है, जिससे मूड अच्छा रहता है और दिमाग सतर्क बना रहता है।
विटामिन D के प्राकृतिक स्रोत - Natural Source Of Vitamin D In Hindi
विटामिन डी का प्राकृतिक स्रोत सूर्य की रोशनी होती है। जब आप सुबह शाम की धूप में बैठते हैं तो इससे आपके शरीर को विटामिन डी मिलता है। इसके अलावा, कुछ खास तरह के मशरुम में भी विटामिन डी पाया जाता है, जो विटामिन डी की कमी को दूर कर सकता है। इसके अलावा, यदि किसी व्यक्ति में विटामिन डी की कमी हो तो ऐसे में उसे सप्लीमेंट्स भी दिए जा सकते हैं।
डॉक्टर व्यक्ति की आयु और विटामिन की कमी के आधार पर आपको डोज लिख सकते हैं। लेकिन, सही जीवनशैली से आप विटामिन डी सहित अन्य विटामिन की जरूरतों को भी पूरा कर सकते हैं।
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विटामिन D कोई जादू की गोली नहीं है जो एक रात में आपको जवान बना दे, लेकिन यह निश्चित रूप से उम्र की प्रक्रिया को धीमा कर सकता है। यह आपकी कोशिकाओं को स्वस्थ रखता है, त्वचा को चमकदार बनाता है, हड्डियों को मजबूत करता है और दिमाग को सक्रिय बनाए रखता है। इसलिए, यदि आप अंदर से जवान रहना चाहते हैं और उम्र बढ़ने के असर को कम करना चाहते हैं, तो विटामिन D को अपने जीवन का हिस्सा जरूर बनाएं, सूर्य की किरणों से, आहार से या आवश्यकतानुसार सप्लिमेंट्स से लेना शुरू करें।
FAQ
कौन सी बीमारी विटामिन डी की कमी से होती है?
विटामिन डी की कमी कई स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकती है, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण हड्डियों के रोग, मांसपेशियों की कमजोरी, और संक्रमण के प्रति संवेदनशीलता का बढ़ना शामिल हैं. यह विभिन्न पुरानी बीमारियों का भी खतरा बढ़ा सकता है, जैसे हृदय रोग और कुछ प्रकार के कैंसर।विटामिन डी की कमी से कौन सा अंग प्रभावित होता है?
विटामिन डी की कमी मुख्य रूप से हड्डियों और मांसपेशियों को प्रभावित करती है। इसकी कमी से बच्चों में रिकेट्स और वयस्कों में ऑस्टियोमलेशिया जैसी बीमारियां हो सकती हैं, जिससे हड्डियां कमजोर या विकृत हो सकती हैं।