हर बच्चे का स्वभाव अलग होता है। कुछ बच्चे बेहद शांत होते हैं तो कुछ बहुत चुलबुले। चुलबुले बच्चे बेहद बातूनी भी होते हैं ऐसे में यह बच्चे अपने आसपास का माहौल खुशनुमा रखते हैं और आस-पास मौजूद लोग कभी बोर भी नहीं होते। लेकिन कभी-कभी इनकी ज्यादा बात करने की आदत माहौल में तनाव भी पैदा कर देती है। खासकर छोटे बच्चे बिना सोचे समझे कुछ भी बोल देते हैं, जिसके कारण उनके माता-पिता को शर्मिंदगी का सामना उठाना पड़ता है। ऐसे में अगर आप भी अपने बच्चे की इस आदत से परेशान हैं तो यह लेख आपके लिए ही है। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि आप अपने बच्चे की ज्यादा बोलने वाली आदत को कैसे दूर कर सकते हैं। इसके लिए हमने गेटवे ऑफ हीलिंग साइकोथेरेपिस्ट डॉ. चांदनी (Dr. Chandni Tugnait, M.D (A.M.) Psychotherapist, Lifestyle Coach & Healer) से भी इनपुट्स मांगे गए हैं। पढ़ते हैं आगे...
1 - बच्चे को समझाएं मौन का मतलब
बच्चों को मौन रहना आना चाहिए। लेकिन उससे पहले माता-पिता को समझना चाहिए कि मौन रहने का मतलब यह नहीं कि बच्चे रचनात्मक और भावनात्मक विचारों के बारे में भी ना बताएं। अपने बच्चों को समझाएं कि मौन रहकर वे अपने आसपास के माहौल के बारे में समझ पाएंगे और उनके मन में नए-नए विचार आएंगे। साथ ही मौन उनकी शारीरिक और मानसिक वृद्धि के लिए भी जरूरी है। बच्चों की चिड़चिड़ाहट भी दूर होगी।
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2 - छोटे वाक्य का उपयोग जरूरी
यह बेहद आम बात है कि बच्चे खुद से बातें करते हैं। कुछ रिसर्च के मुताबिक ऐसा करना उनके विकास के लिए अच्छा है। वहीं कुछ बच्चे ऐसे भी होते हैं जो किसी भी विषय पर पूरी टिप्पणी दे देते हैं। ऐसे बच्चों से डील करना माता-पिता के लिए थोड़ा मुश्किल हो जाता है। ऐसे में उन्हें अपने बच्चों को ज्यादा अटेंशन देने की जरूरत होती है। माता-पिता अपने बच्चों को यह बताएं कि जो बात एक लाइन में खत्म हो सकती है उसके लिए पूरी कथा सुनाने की जरूरत नहीं है। बच्चे जितने छोटे सेंटेंसेस बोलेंगे इससे उनकी बात ज्यादा समझ में आएगी।
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3 - 'जितना पूछें उतना बताओ' का कॉन्सेप्ट समझाएं
कुछ बच्चे ऐसे होते हैं, जिनसे पूछा कुछ और जाता है और वे उससे संबंधित हर बात बता देते हैं। यह आदत भी माता-पिता को बदलनी जरूरी है। ऐसे में बच्चों को समझाएं कि केवल उतना जवाब दें जितना आपसे पूछा जाए। इसके लिए आप बच्चों के बीच में किसी प्रतियोगिता को भी रख सकते हैं और उस प्रतियोगिता में एक टॉपिक दें और उसकी वर्ड लिमिट तय करें और बच्चे से कहें कि इस टॉपिक को तय वर्ड लिमिट में ही समझाएं। ऐसा करने से बच्चों को वर्ड लिमिट की महत्ता का पता चलेगा और बच्चों का मानसिक विकास भी होगा।
4 - बच्चों को दें डायरी
- छोटे बच्चों के लिए आमतौर पर उसके दोस्त, माता-पिता ही उनकी पूरी दुनिया होते हैं, जिनके साथ वे अपनी हर बात शेयर कर सकते हैं।
- लेकिन अगर आप उनकी बातूनी आदत को बदलना चाहते हैं तो बच्चों को एक डायरी लाकर दें और उनसे कहे कि मन में जो भी विचार आएं उस विचार को इस डायरी में लिखें।
- फिर एक हफ्ते बाद आप उस डायरी को पढें। ऐसा करने से भी उनकी ज्यादा बोलने की आदत पर प्रभाव पड़ेगा।
5 - बच्चों को बताएं कि हर बात साझा ना करें
बच्चों को यह भी समझना चाहिए कि अपने घर की हर बात को शेयर करना सही नहीं है। कुछ ऐसी प्राइवेट बातें होती हैं जो दूसरों से नहीं कही जा सकती। ऐसे में अपने बच्चों को कुछ इशारों के बारे में बताएं और मेहमान की आगे यदि आपका बच्चा कुछ गलत बोल रहा है तो उस इशारे के माध्यम से अपने बच्चे को समझाएं कि इस बात को बताना सही नहीं है।
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6 - दूसरों को सुनना भी है अच्छा
कई बच्चे केवल अपनी बोलते चले जाते हैं दूसरों की नहीं सुनते। ऐसे बच्चों को आगे चलकर परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। बच्चों को बताएं कि सुनना भी जरूरी होता है। ऐसे में बच्चे के साथ गेम खेल सकते हैं और उसका नियम ये रखें कि जो अपनी चुप्पी तोड़ेगा वो हार जाएगा। ऐसा करने से बच्चे बालने की बजाय ज्यादा सुनेंगे।
7 - बच्चों की बातों के लिए निकालें समय
अगर बच्चे के पास आपको बताने के लिए कई बातें हैं तो उसके लिए आप अलग से समय निकालें। उस समय केवल आप अपने बच्चे की बातें सुनें। उसकी बातों को समझे कि आपका बच्चा इस बात को क्यों कह रहा है और इसके पीछे क्या कारण है। वहीं अगर आपका बच्चा कुछ गलत बोल रहा है तो उसे बताएं कि कौन सी बात कब, कहां और कैसे बतानी है। पर्सनल बातें करते वक्त अपने बच्चों को टोकना सही नहीं हैं।
नोट - अपने बच्चे को इन सब बातों के बारे में बताते वक्त इस बात का ध्यान रखें कि आपका बच्चा कहीं इन तरीकों के कारण अपने हाथों को मन में ही रखना ना सीख जाए। ऐसे में समय-समय पर अपने बच्चों से बात करते रहें और उनके मन की बात जानते हैं। अगर आप कोई अपने घर की पर्सनल बात करनी है और उस वक्त आपका बच्चा मौजूद है तो उस बच्चे को समझाएं कि इस बात को किसी और से ना कहे। ऐसा करने से बच्चे की पर्सनल अप पब्लिक बातों की समझ बढ़ेगी।
ये लेख गेटवे ऑफ हीलिंग साइकोथेरेपिस्ट डॉ. चांदनी (Dr. Chandni Tugnait, M.D (A.M.) Psychotherapist, Lifestyle Coach & Healer) से बातचीत पर आधारित है।
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