कैंसर, दुनिया की सबसे घातक बीमारियों में से एक है जो भारत की महिलाओं में तेजी से फैल रही है, विशेष रूप से शहरी निवासियों में इस भयानक बीमारी का फैलाव हो रहा है, जिसके कारण अलग-अलग है। चीन और अमेरिका के बाद महिलाओं में कैंसर के निदान के मामले भारत तीसरे स्थान पर हैं। इसके अलावा, देश में उच्च मृत्यु दर का कारण, गर्भाशय ग्रीवा कैंसर के अलावा स्तन कैंसर है जो 19% मामलों के साथ लिस्ट में सबसे ऊपर है। यह विश्वास करना मुश्किल है, लेकिन वर्तमान अध्ययन इस बात की पुष्टि करते हैं कि भारत के 7 महानगरों में लगभग 25% से 32% महिलाएं पूरी तरह से या आंशिक रूप से ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित हैं।
हालांकि 69% महिलाओं की आयु पचास वर्ष से ऊपर हैं, 16% महिलाएं 30 वर्ष आयु के लगभग हैं, और 28% महिलाएं 40 की उम्र की हैं। इसके अलावा, वर्तमान प्रवृत्ती से पता चलता है कि स्तन कैंसर साल 2030 तक किसी अन्य कैंसर की तुलना में भारत में अधिकतम महिलाओं की मृत्यु का कारण होगा। लेकिन, इस तरह के चौंकाने वाले आंकड़ों के बावजूद, महिलाएं इस गंभीर मुद्दे से निपटने के लिए उतनी जागरूक नहीं हैं जितना होना चाहिए।
वर्किंग महिलाओं कैंसर के जोखिम ज्यादा
ऑनक्वेस्ट लेबोरेटरीज के सीओओ डॉक्टर रवि गौर कहते हैं, "दुर्भाग्य से, ब्रेस्ट कैंसर के बारे में जागरूकता, स्वास्थ्य संस्थानों और सरकार की एजेंसियों तक ही सीमित है; लक्ष्य जनता अभी भी ब्रेस्ट कैंसर के लक्षणों, कारणों, जांच, निदान और उपचार के बारे में न्युनतम शिक्षित हैं। आखिरकार, ग्रामीण भागों की तुलना में शहरी भारत में इस बीमारी की जड़ें अधिक मजबुत हो रही हैं। इसके अलावा, अपर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाओं, दूषित वातावरण, और विषाक्त पदार्थों के साथ बढ़ते संपर्क भी शामिल हैं, ये कामकाजी महिलाओं के लिए अधिक खतरनाक हैं।"
इस तरह के परिदृश्य में डिजिटल कार्यस्थलों, वित्तीय कंपनियों, प्रयोगशालाओं और रासायनिक उद्योगों में महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर होने की अधिक संभावना है। क्योंकि, ये ऐसी जगहें हैं जहां काम करने वाली महिलाओं को अक्सर विभिन्न प्रकार के विकिरणों, कीटनाशकों और बेंजीन जैसी वायु का सामना करना पड़ता है जो कि प्रकृति से ही कैंसर कारक और विषाक्त हैं। इसीलिए शहरों में घटनाओं का दर अधिक है। ग्रामीण क्षेत्र में महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का अनुपात शहरी महिलाओं की अपेक्षा अधिक है। इसलिए, इस बीमारी के बारे में अपने कर्मचारियों को शिक्षित करना और नियमित आधार पर बुनियादी स्वास्थ्य जांच सुविधाएं प्रदान करना, कंपनियों की जिम्मेदारी है|
इसे भी पढ़ें: स्तन कैंसर को खतरे को कम करने में मददगार हैं ये 4 चीज, लंबी होगी उम्र
शीघ्र निदान ब्रेस्ट कैंसर के इलाज में मदद कर सकता है
पश्चिमी देशों के विपरीत, भारत में ब्रेस्ट कैंसर के पेशेंट का जीवन कम बच पाता है, क्योंकि उन्हें तीसरे चरण या चौथे चरण में बीमारी का पता चलता है, जबकि अधिक जागरूकता और बेहतर नैदानिक सुविधाओं के कारण, विकसित देशों के लोग शुरुआती चरण में ही बीमारी का पता लगा लेते हैं, जिसे प्रारंभिक जांच के बाद इलाज करना आसान हो जाता है। इससे जान जाने से बचाया जा सकता है।
इसके अलावा, जिन महिलाओं का ब्रेस्ट कैंसर का पारिवारिक इतिहास है, वे इस बीमारी का पता लगाने और उसे रोकने के लिए स्क्रीनिंग, मैमोग्राफी और चिकित्सकीय जांच के प्रति अधिक गंभीर रहते हैं। इसके विपरीत, भारत में बहुत कम महिलाओं को पता है कि ब्रेस्ट कैंसर के कारण उनकी मां, दादी या चाची की मृत्यु हो गई थी।
इसे भी पढ़ें: सिर्फ शराब और मोटापा ही नहीं, इन 8 वजहों से भी हो सकता है ब्रेस्ट कैंसर, जानें क्या हैं ये
जागरूकता भी है जरूरी
डॉक्टर रवि गौर कहते हैं, "जागरूकता ही सफलता की चाबी है। महिलाओं को कारणों, लक्षणों, ब्रेस्ट कैंसर की जांच, शीघ्र निदान के लाभ और उनके शिशुओं को स्तनपान कराने के लाभ के बारे में शिक्षित करना निश्चित रूप से भारत में स्तन कैंसर की घटनाओं को कम कर सकता है। और, इस दिशा में प्रभावी कदम उठाना सरकारों और व्यावसायिक निगमों, दोनों की जिम्मेदारी है।"
Read More Articles On Cancer In Hindi