
ब्रेस्ट कैंसर या स्तन कैंसर, महिलाओं में होने वाला सबसे आम कैंसर है। स्तन कैंसर तब होता है जब स्तन में कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं। यह अनियंत्रित रूप से टूटते हुए एक गांठ का निर्माण करती हैं। लेकिन ऐसा होने का क्या कारण है? विशेषज्ञ अभी भी पूरी तरह से आश्वस्त नही है कि वास्तव में इसके शुरूआती कारण क्या हैं जो कैंसर की कोशिकाओं को बढ़ावा देते हैं। लेकिन वे यह जानते हैं कि इसके कई जोखिम कारक हैं! उन जोखिम कारकों को दो श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है: जीवन शैली और आनुवंशिक। यहां हम आपको इनसे जुड़ी कुछ चीजों के बारे में बता रहे हैं, ब्रेस्ट कैंसर कारकों को बढ़ावा देते हैं।
शराब के सेवन से
नियमित या कभी-कभी शराब का सेवन महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर से जुड़ा है। अमेरिकन कैंसर सोसाइटी के अनुसार, जो महिलाएं दिन में दो या तीन पैग ड्रिंक पीती हैं, उनमें शराब न पीने वाली महिलाओं की तुलना में स्तन कैंसर विकसित होने का खतरा 20 प्रतिशत अधिक होता है। शराब शरीर में एस्ट्रोजन के स्तर को बढ़ा सकती है, जिसके कारण यह आपके जोखिम को बढ़ा सकती है।
मोटापा
विशेषज्ञों की मानें तो मोटापा, विशेष रूप से मेनोपॉज के बाद महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का एक जोखिम कारक है। मेनोपॉज से पहले, आपके अंडाशय ज्यादातर एस्ट्रोजेन बनाते हैं, मेनोपॉज के बाद, अंडाशय एस्ट्रोजन बनाना बंद कर देते हैं, इसलिए अधिकांश हार्मोन वसा ऊतक से आते हैं। बहुत अधिक वसा होने से एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ सकता है और स्तन कैंसर होने का खतरा बढ़ सकता है। इसके अतिरिक्त, अधिक वजन वाली महिलाओं के रक्त में इंसुलिन का स्तर अधिक होता है, जिन्हें स्तन कैंसर से जोड़ा गया है।
एक्सरसाइज न करने से
ऐसे कई प्रमाण हैं जो बताते हैं कि नियमित रूप से फिजिकल एक्सरसाइज स्तन कैंसर के जोखिम को कम करती है, ऐसा विशेषकर मेनोपॉज के बाद की स्थिति में कहा गया है। हालांकि, आपको कितनी एक्सरसाइज की आवश्यकता है, यह स्पष्ट नहीं है, कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि सप्ताह के कुछ घंटों में भी व्यायाम मददगार हो सकता है
देर से बच्चा होने पर
विशेषज्ञ मानते हैं कि, 30 साल की उम्र के बाद उन महिलाओं में स्तन कैंसर का खतरा ज्यादा होता है जिनके बच्चे नहीं होते या जो महिलाएं देर से मां बनती हैं। गर्भावस्था का प्रभाव आपके स्तन कैंसर के प्रकार पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए, ट्रिपल-निगेटिव नामक स्तन कैंसर होने से जोखिम बढ़ता है।
ब्रेस्टफीडिंग न कराने से
कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि स्तनपान स्तन कैंसर के जोखिम को थोड़ा कम कर सकता है, खासकर अगर यह डेढ़ से दो साल तक किया जाता है। ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि स्तनपान कराने से महिला के जीवनकाल की मेंस्ट्रूअल साइकिल में कमी आती है। इसके अलावा उम्र के साथ भी स्तन कैंसर का जोखिम बढ़ता है। 55 या उससे अधिक उम्र की महिलाओं में ये समस्या हो सकती है।
हॉर्मोन थैरेपी
एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसी कुछ हार्मोन थेरेपी मेनोपॉज के लक्षणों को दूर करने और ऑस्टियोपोरोसिस को रोकने में मदद कर सकती है, लेकिन यह स्तन कैंसर से विकसित होने और मरने का खतरा भी बढ़ा सकती है। यह इस संभावना को भी बढ़ा सकता है कि कैंसर अधिक उन्नत अवस्था में पाया जाता है और हृदय रोग, रक्त के थक्कों और स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ाता है।
गर्भ निरोधक
इसके अलावा गर्भ निरोधक गोलियां, गर्भ निरोधक इंजेक्शन और गर्भनिरोधक उपकरण सहित बर्थ कंट्रोल मेथड में मौजूद कुछ हार्मोन स्तन कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।
वंशानुगत
लगभग 5 से 10 प्रतिशत स्तन कैंसर के मामलों को वंशानुगत (hereditary) माना जाता है, जिसका अर्थ है कि वे एक माता-पिता से मिले जीन दोष (म्यूटेशन) का परिणाम हैं। विशेष रूप से, बीआरसीए-1 या बीआरसीए-2 जीन का वंशानुगत उत्परिवर्तन होना वंशानुगत स्तन कैंसर का सबसे आम कारण है।
इसे भी पढ़ें: पीरियड्स के दौरान जरूर बरतें ये 5 सावधानियां, कई तरह के रोगों से बच जाएंगी आप
स्तन कैंसर का पारिवारिक इतिहास होना
अमेरिकन कैंसर सोसायटी का कहना है कि स्तन कैंसर पाने वाली ज्यादातर महिलाओं (लगभग 8 में से 10) को बीमारी का पारिवारिक इतिहास नहीं है। हालांकि, स्तन कैंसर होने का जोखिम उनमें दोगुना हो जाता है, जिनकी, मां, बहन या बेटी में किसी एक को रहा हो। इसके अलावा उनमें ये खतरा तीन गुना हो जाता है जिनमें मां, बहन या बेटी में दोनों को हो। कुल मिलाकर, स्तन कैंसर से पीड़ित 15 प्रतिशत से कम महिलाओं में ही बीमारी के साथ परिवार का कोई सदस्य होता है।
इसे भी पढ़ें: स्तन कैंसर को खतरे को कम करने में मददगार हैं ये 4 चीज, लंबी होगी उम्र
अतीत में स्तन कैंसर का होना
यदि आपके अतीत में एक स्तन में कैंसर रहा है, तो आपको दूसरे स्तन में या उसी स्तन के दूसरे भाग में एक नया कैंसर विकसित होने का खतरा रहता है। हालांकि जोखिम कम है, यह स्तन कैंसर युवा महिलाओं में अधिक होता है।
Read More Articles On Cancer In Hindi