स्कूल के प्रेशर के कारण बच्चे डिप्रेशन का शिकार हो सकते हैं। स्कूल में पढ़ाई का प्रेशर, दोस्तों के बीच नंबर वन बनने का प्रेशर। सबसे अच्छा परफार्म करने का प्रेशर भी बच्चों की मानसिक स्थिति को खराब कर देता है। स्कूल प्रेशर के कारण, बच्चे खुद के बारे में गलत सोच बना लेते हैं और उन्हें तनाव से बाहर लाना मुश्किल हो सकता है। माता-पिता होने के नाते अपने बच्चे की परेशानी को समझकर उसे हल करना आपकी पहली जिम्मेदारी है। कुछ टिप्स हैं जिनकी मदद से बच्चे को स्कूल के प्रेशर और तनाव से बचा सकते हैं। जानिए इनके बारे में।
1. डिप्रेशन के लक्षणों को पहचानें
स्कूल में पढ़ाई या रूटीन के प्रेशर से बच्चे कई बार डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं। डिप्रेशन होने पर बच्चे ज्यादा चुप या गुस्सैल हो जाते हैं। उनकी भूख घट या बढ़ सकती है। डिप्रेशन के कारण बच्चे अकेला रहना चाहते हैं। ऐसे लक्षण नजर आने पर बच्चे को डॉक्टर के पास लेकर जाएं और चेकअप करवाएं।
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2. बच्चा टिफिन में क्या लेकर जाता है?
टिफिन और खाने का संबंध डिप्रेशन से हो सकता है। स्कूल का रूटीन बच्चों के लिए लंबा होता है। ऐसे में अगर बच्चे टिफिन में हेल्दी स्नैक्स या खाना लेकर नहीं जाते हैं, तो उनमें तनाव बढ़ सकता है। बच्चे को टिफिन में फाइबर रिच फूड्स दें। फाइबर का सेवन करने से तनाव कम होता है। बच्चे के टिफिन में फाइबर के साथ-साथ होल ग्रेन आहार भी दें।
3. स्कूल की गतिविधियों की जानकारी लें
स्कूल के प्रेशर से बच्चे में डिप्रेशन के लक्षण बढ़ सकते हैं। तनाव कम करने के लिए बच्चे से बात करें। हर दिन उसके स्कूल की गतिविधियों की जानकारी लें। बच्चे के स्कूल से जुड़े काम जैसे प्रोजेक्ट बनाना या पढ़ने में उसका साथ दें। इससे बच्चा आपके साथ अपनी बातों को शेयर कर सकेगा और उसे तनाव से बचाने का ये एक अच्छा तरीका है।
4. बच्चे पर पढ़ाई का प्रेशर न बढ़ाएं
आज के समय में बच्चों के बीच बढ़ते कॉम्पिटीशन का बुरा असर उनकी मानसिक सेहत पर पड़ रहा है। बच्चों में पढ़ाई का प्रेशर बढ़ने के कारण वो तनाव में आ जाते हैं। पढ़ाई और नंबर को लेकर उन्हें डांटने या मारने से बचें। हर बच्चे में एक खास टैलेंट होता है। अगर बच्चा पढ़ने में अच्छा नहीं है, तो किसी अन्य एक्टिविटी में उसका मन ज्यादा लगता होगा। उसकी खूबियों को बढ़ावा दें।
5. बच्चे का रूटीन सेट करें
स्कूल के प्रेशर के कारण बच्चे में तनाव के लक्षण नजर आना स्वभाविक है। ऐसे में बच्चे के लिए रूटीन सेट करें। उसे समय पर सुलाएं ताकि बच्चे की नींद पूरी हो सके। 8 से 9 घंटे की नींद बच्चों के लिए जरूरी होती है। जो बच्चे नींद पूरी करके उठते हैं, वो मन लगाकर स्कूल में पढ़ पाते हैं और एक्टिव रहते हैं। स्कूल से लौटने के बजाय बच्चे को थोड़ी देर आराम करने दें। पॉवर नैप लेने से भी वो फ्रैश महसूस करेगा।
ऊपर बताए टिप्स की मदद से बच्चे को स्कूल के प्रेशर और डिप्रेशन से बचा सकते हैं। लेख पसंद आया हो, तो शेयर करना न भूलें।