प्रेगनेंसी में एमनियोटिक द्रव की कमी हो सकती हैं ये परेशानियां, जानें इसे बढ़ाने के घरेलू उपाय

प्रेग्नेंसी के दौरान गर्भाशय में एमनियोटिक द्रव का स्तर कंट्रोल करने की जरूरत होती है। आइए जानते हैं एमनियोटिक द्रव की कमी को कम करने के उपाय  
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प्रेगनेंसी में एमनियोटिक द्रव की कमी हो सकती हैं ये परेशानियां, जानें इसे बढ़ाने के घरेलू उपाय

प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को विशेष सावधानी की आवश्यकता होती है। ताकि उसका बच्चा सुरक्षित हो सके। इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के शरीर में एक विशेष तरह का तरल पदार्थ होता है, जो गर्भ में पल रहे शिशु को 9 महीनों तक सुरक्षित रखता है। इस तरल पदार्थ को एमनियोटिक द्रव (What is Amniotic Fluid) कहा जाता है। प्रेग्नेंसी के दौरान महिला के शरीर में एमनियोटिक द्रव की कमी (Low Amniotic Fluid Signs) होने से शिशुओं को चोट या फिर किसी अन्य तरह की परेशानी होने का डर रहता है। दरअसल, एमनियोटिक द्रव गर्भाशय में शिशु के चारों एक आवरण बनाता है, जिससे बच्चा सुरक्षित और स्वस्थ रहता है। ऐसे में इसकी कमी के कारण शिशु की परेशानी (Oligohydramnios Sign) हो सकती है।

शरीर में एमनियोटिक द्रव का स्तर कम होने की स्थिति को ओलिगोहाइड्रेमनियोस (What is Oligohydramnios) कहा जाता है। इस स्थिति में एमनियोटिक की मात्रा उतनी नहीं होती है, जितनी होनी चाहिए। इससे शिशु के स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है। इस विषय पर जानकारी के लिए हमने मदरहुड हॉस्पिटल की गायनाक्लोजिस्ट डॉक्टर मनीषा रंजन से बातचीत की। आइए डॉक्टर से जानते हैं एमनियोटिक की कमी (Oligohydramnios Causes) हो होने वाली परेशानियां और एमनियोटिक द्रव्य को बढ़ाने के उपाय - 

प्रेग्नेंसी में एमनियोटिक द्रव का सामान्य स्तर क्या है? (What is the normal level of amniotic fluid in pregnancy?)

डॉक्टर बताती हैं कि एमनियोटिक द्रव का कम होना सामान्य है। जैसे-जैसे प्रेग्नेंसी की अवधि बढ़ती है। वैसे-वैसे एमनियोटिक द्रव कम होता है। इस फ्लूइड का नियमिक रूप से चेकअप कराना चाहिए। ताकि इसकी सही मात्रा के बारे में पता चल सके। एमनियोटिक द्रव की जांच एमनियोटिक फ्लूड इंडेक्स के माध्यम से की जाती है। एमनियोटिक द्रव का बनना प्रेग्नेंसी के प्रारंभिक अवस्था में शुरू हो जाता है। यह करीब 14 से 21वे सप्ताह तक नॉर्मल रहता है। वहीं, प्रेग्नेंसी के आखिरी सप्ताह में कम होने लगता है। 

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एमनियोटिक द्रव का सामान्य स्तर 5 से 25 सेंटीमीटर (amniotic fluid normal range) तक रहता है। वहीं, अगर इसका स्तर 5 सेंटीमीटर से हो जाए, तो यह लो एमनियोटिक द्रव की कटैगरी में आता है। वहीं, अगर गर्भ में एमनियोटिक द्रव का स्तर 25 सेंटीमीटर से ऊपर चला जाए, तो इस स्थिति को पॉलीहाइड्राम्निओस कहा जाता है। इन दोनों ही अवस्था में शिशु को नुकसान पहुंचने का खतरा रहता है।  

मनियोटिक की कमी हो होने वाली परेशानियां (low amniotic fluid during pregnancy Sign)

एमनियोटिक द्रव का स्तर कम होने से हर एक महिला में इसके लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। आइए जानते हैं इसके कुछ सामान्य लक्षण -

  • महिलाओं को होने लगती है पेट से जुड़ी परेशानी
  • गर्भाशय का संकुचन होना।
  • गर्भाशय के विकास में कमी आना।
  • भ्रूण के हलचल में कमी आना। 
  • एमनियोटिक द्रव का रिसाव होना।

बच्चे को कैसे प्रभावित करता है लो एमनियोटिक द्रव

डॉक्टर बताती हैं कि अगर प्रेग्नेंसी की दूसरी और तिमाही में गर्भाशय में एमनियोटिक द्रव का स्तर कम होता है, तो यह एक चिंता का विषय हो सकता है। एमनियोटिक द्रव का स्तर कम होने से भ्रूण में पल रहे शिशु पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। आइए जानते हैं इस बारे में -

  • शिशुओं के फेफड़े सही तरीके से विकसित नहीं हो पाते हैं या फिर विकसित होने में परेशानी आ सकती है। 
  • प्रेग्नेंसी की पहली तिमाही और दूसरी तिमाही के शुरुआती अवस्था में अगर गर्भाशय में एमनियोटिक द्रव कम हो, तो इससे गर्भपात होने का खतरा बढ़ सकता है।
  • इतना ही नहीं, अगर इस अवधि में समय से पहले शिशु का जन्म हो सकता है। 
  • डिलीवरी के दौरान गर्भनाल सुकड़ी हुई सी हो सकती है। 
  • इसके अलावा लो एमनियोटिक द्रव की अवस्था में सिजेरियन डिलीवरी होने की आशंका हो सकती है। 

एमनियोटिक द्रव कम होने के कारण (Low Amniotic Fluid Causes)

शरीर में एमनियोटिक द्रव कम होने के कई कारण हो सकते हैं। इन कारणों में डिहाइड्रेशन, मोटापा, प्रेग्नेंसी में हाई ब्लड प्रेशर शामिल है। इसके अलावा कुछ अन्य कारणों से प्रेग्नेंसी में एमनियोटिक द्रव का स्तर कम हो सकता है। 

  • प्लेसेंटा की समस्या
  • झिल्ली का फटना या रिसाव होना।
  • भ्रूण का विकास सही तरीके से न होना।
  • गर्भवती महिला को हाई ब्लड प्रेशर या डायबिटीज की परेशानी होना। 
  • भ्रूण में पल रहे शिशु को किडनी या यूरीनरी ट्रैक्ट की समस्याएं होना।

एमनियोटिक द्रव को बढ़ाने के उपाय (How to Increase Amniotic Fluid)

प्रेग्नेंसी के दौरान एमनियोटिक द्रव का स्तर बढ़ाने के लिए आप कुछ निम्न टिप्स को फॉलो कर सकते हैं। आइए जानते हैं इसके बारे में-

पानी का अधिक मात्रा में करें सेवन - शरीर में एमनियोटिक द्रव का स्तर बढ़ाने के लिए पानी का अधिक मात्रा में सेवन करें। अगर आप कम मात्रा में पानी पीती हैं, तो इससे एमनियोटिक द्रव का स्तर कम हो सकता है। इसलिए कोशिश करें कि प्रेग्नेंसी में सही मात्रा में पानी पिएं। वहीं, ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करें, जिससे आपका शरीर हाइड्रेट रहे। 

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मूत्रवर्धक चीजें लेने से बचें - कई महिलाएं प्रेग्नेंसी के दौरान कई तरह के हर्बल टिप्स फॉलो करती हैं। इन आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का अधिक मात्रा में इस्तेमाल करने से यह हमारे शरीर में मूत्रवर्धक के रूप में कार्य करने लगती हैं। जिसकी वजह से महिलाओं को बार-बार पेशाब जाना पड़ता है। ऐसे में आपको डिहाइड्रेशन की परेशानी हो सकती है। इसलिए कोशिश करें कि प्रेग्नेंसी के दौरान मूत्रवर्धक सप्लीमेंट्स का सेवन न करें। 

भरपूर रूप से खाएं हरी सब्जियां - एमनियोटिक द्रव का स्तर बढ़ाने के लिए हेल्दी चीजों का सेवन करें। खासतौर पर इस परेशानी से जूझ रही महिलाओं को पानी से भरपूर खाद्य पदार्थों जैसे- खीरा, पत्तेदार सलाह, पालक,  ब्रोकली इत्यादि सब्जियों को शामिल करना चाहिए।

शराब से बनाएं दूरी - प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को शराब के सेवन से बचना चाहिए। अगर आप गर्भावस्था में शराब का सेवन करती हैं, तो आपके शरीर में पानी की कमी हो सकती है। इस स्थिति में एमनियोटिक द्रव का स्तर कम होने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए कोशिश करें कि गर्भावस्था के दौरान शराब से दूरी बनाएं। 

नियमित रूप से करें एक्सरसाइज - प्रेग्नेंसी में कई महिलाएं फिजिकल एक्टिविटी बंद कर देती हैं। लेकिन ऐसा करना आपके लिए नुकसानदेह हो सकता है। गर्भावस्था के दौरान नियमित रूप से कम से कम 40 मिनट एक्सरसाइज करना चाहिए। इससे शरीर में एमनियोटिक द्रव का स्तर कंट्रोल में रहता है।

डाइट में शामिल करें ये फ्रूट्स - एमनियोटिक द्रव का स्तर कम होने पर फलों को उचित मात्रा में अपने डाइट में शामिल करेँ। फलों का सेवन करने से आपका शरीर हाइड्रेट रहता है। साथ ही इससे डिहाइड्रेशन की परेशानी नहीं होती है। एमनियोटिक द्रव  स्तर कम होने पर अपने आहार में तरबू, संतरा, अंगूर, स्ट्रॉबेरी जैसे फलों को शामिल करें।

ध्यान रखें कि एमनियोटिक द्रव का स्तर घटना और बढ़ना दोनो ही स्थितियां सुरक्षित नहीं पानी जाती है। इसलिए नियमित रूप से गर्भावस्था के दौरान एमनियोटिक द्रव के स्तर की जांच कराएं। ताकि आप और आपका शिशु स्वस्थ रह सके।

 

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