मन में कैसे पैदा होती है नफरत की भावना? कैसे परखें खुद को? जानें साइकोलॉजिस्ट से

अनेक भावनाओं में नफरत की भावना हमारे व्यक्तित्व पर नकारात्मक प्रभाव डालती है। ऐसे में इससे उभरना बेहद जरूरी है। जानते हैं कैसे...
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मन में कैसे पैदा होती है नफरत की भावना? कैसे परखें खुद को? जानें साइकोलॉजिस्ट से

हमारे मन में अनेक भावनाएं जन्म लेती हैं। पहली नजर में किसी को पसंद कर लेना और उसके द्वारा कहीं किसी भी बात से मन खट्टा कर लेना, इसी तरह हमारे मन में भावनाएं बदलती रहती हैं। हम इस लेख के माध्यम से बता रहे हैं कि नफरत की भावना जो हमारे मन में पनपने लगती है अगर वह भावना ज्यादा बढ़ने लगे तो ये नुकसानदेह भी हो सकती है। इस भावना पर काबू पाना बेहद जरूरी होता है। किसी की बात से असंतुष्ट होना या किसी व्यक्ति को नापसंद करना स्वभाविक है। लेकिन इस भावना को सीमित मात्रा तक ही नजरअंदाज किया जा सकता है। अगर आपको लगे कि इस भावना से आपके अंदर नकारात्मक भाव उत्पन्न हो रहे हैं तो समय रहते इससे उभरना बेहद जरूरी हो जाता है।

आखिर क्यों होती है किसी से नफरत? क्या है इससे उभरने के उपाय? बता रही हैं साइकोलॉजिस्ट उपासना चड्ढा विज। पढ़ते हैं आगे...

feel hatred

मन में उत्पन्न हुए विचारों को समझें

हमारे आसपास जैसा माहौल होता है उसके आधार पर हमारी भावनाएं पैदा होती हैं। उनमें से एक भावना नफरत भी है। लेकिन बिना किसी वजह के दूसरों से घृणा करना, उनके प्रति मन में नकारात्मक विचार लाना या हिंसक ख्याल आना, अकेले रहना, किसी से बात ना करना आदि लक्षण सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं। ये आपके पूरे व्यक्तित्व पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। इससे दूसरे व्यक्ति पर भी आपकी पर्सनैलिटी का गलत प्रभाव पड़ता है। ऐसे में इस तरह के संकेतों को देखकर समय रहते सतर्क हो जाना चाहिए। 

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क्यों होता है ऐसा

इस तरह की नकारात्मक सोच बचपन के अनुभव के कारण उत्पन्न होती हैं। बचपन में बच्चों को जैसा माहौल मिलता है वे खुद को उसी खांचे में ढ़ाल लेते हैं। ऐसे में पेरेंट्स द्वारा बच्चों की अनावश्यक आलोचना करना, उन्हें प्यार ना देना, संरक्षण की कमी, भेदभाव करना, स्कूल में टीचर्स का बुरा बर्ताव आदि कारणों से बच्चों में हीन भावना पैदा होने लगती है। यही कारण होता है कि युवावस्था में दोस्तों से लड़ाई, जल्दी ब्रेकअप होना, तलाक की वजह, करियर में नाकामी आदि से व्यक्ति के मन में नफरत पैदा हो जाती है। ऐसे लोग अपनी पर्सनल और प्रोफेशनल दोनों जिंदगी में दुखी रहते हैं।

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बचाव के उपाय

  • सोने से पहले उन तीन चीजों के बारे में सोचें, जिसके लिए आप आभारी हैं। वो कोई व्यक्ति हो सकता है जो आपके जीवन में ख़ुशी लाता है या कोई ऐसी घटना हुई हो सकती है, जिसे सोचने पर आपको ख़ुशी मिलती हो या दिन में ऐसा कुछ हुआ हो, जिससे अच्छा महसूस करें। ये एक ऐसी प्रक्रिया है जिससे पॉज़िटिव थिकिंग बढ़ती है और नकारात्मक सोच घटती है।
  • इस समस्या से ग्रसित लोगों को गुस्सा जल्दी आता है। इसलिए जरूरी है कि वह अपने स्वभाव को पहचानें और उससे लड़ने की कोशिश करें।
  • अपने आसपास के लोगों से घुलें-मिलें। उनसे अपनी दिल की बातों को शेयर करें। इससे ना केवल आपका मन हल्का होगा बल्कि आपके अंदर नफरत की भावना भी पैदा नहीं होगी।
  • अपने लिए समय निकाल लें और अपनी रूचि के ऊपर ध्यान दें। इससे आप अपने मन में नफरत की भावना को निकाल पाएंगे।
  • लोग अपनी अतीत की बुरी यादों में खोए रहते हैं। ऐसे में खुद को इन यादों से निकालना बेहद जरूरी होता है। अच्छा होगा कि इन बुरी यादों को भूल कर आगे बढ़ने की कोशिश करें।
  • अपनी सोच को सकारात्मक बनाएं। खुशमिजाज लोगों के साथ उठना बैठना शुरू करें और अच्छी आदतें को खुद में डालने की कोशिश करें।
  • जिंदगी में हुए अच्छे अनुभवों को याद करें।
  • अगर आपके परिवार का कोई सदस्य इस तरह के नकारात्मक विचार रखता है तो उसकी बातों को दिल पर ना लें। अपनी प्रेम पूर्ण व्यवहार से सामने वाले का मनोबल बढ़ाएं।
  • अगर आप अपने अंदर फिर भी कोई बदलाव महसूस न करें तो तुरंत किसी अच्छे साइकोलॉजिस्ट से संपर्क करें। 
(ये लेख साइकोलॉजिस्ट उपासना चड्ढा विज से बातचीत पर आधारित है।)

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