आधुनिक समय में कई लोग डिप्रेशन से जूझ रहे हैं। आम आदमी से लेकर बड़ी-बड़ी हस्तियां डिप्रेशन का शिकार हो रही हैं। डिप्रेशन से व्यक्ति तब ग्रसित होता है, जब व्यक्ति मनस्थिति एवं बाहरी परिस्थिति के बीच संतुलन बैठाने में असमर्थ होता है, तो उसमें स्ट्रेस उत्पन्न होने लगता है। जब यह स्ट्रेस लंबे समय तक रहता है, जो व्यक्ति डिप्रेशन का शिकार हो सकता है। इसलिए कई हेल्थ एक्सपर्ट स्ट्रेस से दूर रहने की सलाह देते हैं। बढ़ते डिप्रेशन की वजह से व्यक्ति में कई तरह के नकारात्मक विचार आते हैं। साथ ही इसका असर न सिर्फ मानसिक स्वास्थ्य पर शारीरिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। इसलिए अगर आप डिप्रेशन में हैं, तो इससे दूर होने की कोशिश कीजिए। साथ ही किसी अच्छे मनोचिकत्सक से सलाह लें। अब सवाल यह है कि डिप्रेशन की जांच कैसे की जाती है और डिप्रेशन कब तक रहता है, तो आपके इस सवाल का जबाव दिल्ली के द्वारा स्थित एचसीआर इंस्टीट्यूट (HCR institute) के सीनियर साइकाइट्रिक डॉक्टर निखिल रहेजा से जानते हैं।
डिप्रेशन की जांच? (Diagnose Depression)
डॉक्टर निखिल रहेजा बताते हैं कि डिप्रेशन की कोई लैबोट्री डायग्नोसिस (laboratory Diagnose) नहीं होती है। डिप्रेशन का परीक्षण करने के लिए कुछ क्लीनिक डायग्नोसिस किया जाता है। आइए जानते हैं इस बारे में-
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मेंटल स्टेटस एग्जामिनेशन या साइकाइट्रिक इंटरव्यू
डॉक्टर का कहना है कि अगर आपको डिप्रेशन जैसा महसूस हो रहा है, तो सबसे पहले किसी अच्छे साइकाइट्रिक के पास जाने की जरूरत होती है। डिप्रेशन का परीक्षण करने के लिए डॉक्टर आपका साइकाइट्रिक इंटरव्यू ले सकते हैं। इस इंटरव्यू में आपसे कुछ सवाल किए जाते हैं। यह सवाल आपकी पर्सनल और प्रोफेसनल लाइफ से जुड़ा हो सकता है। इसमें आपको सही और सटीक जबाव देने की जरूरत होती है। ताकि डॉक्टर को पता लग सके कि आप डिप्रेशन में हैं या नहीं। इसके अलावा कुछ सप्लीमेंट्स टेस्ट किया जाता है, जिसे रेटिंग स्कैल्स कहते हैं।
रेटिंग स्कैल्स टेस्ट
इस परीक्षण में स्टैंडर्स इंटरनेशन प्रोटोकॉल के तहत कुछ सवाल और जबाव होते हैं। जिसमें व्यक्ति को सवाल के साथ कुछ ऑप्शन में जबाव दिए जाते हैं, उन्हें इन ऑप्शन को चूज करना होता है। इन सवालों के जबाव के आधार पर डॉक्टर डिप्रेशन का पता लगाने की कोशिश करते हैं। रैटिंग स्कैल्स टेस्ट में सबसे कॉमन पैक्ड क्वेश्चन इन्वेंट्री होती है। इस इंवेंट्री का विश्वभर में यूज होता है। इसे वीडीआई का टेस्ट भी कहा जाता है।
सबजेक्टिव टेस्ट
मेंटल स्टेटस एग्जामिनेशन और रेटिंग स्कैल्स टेस्ट के अलावा कुछ सबजेक्टिव टेस्ट भी होते हैं। जिसके जरिए डिप्रेशन का पता लगाने की कोशिश की जाती है।
क्या ब्लड टेस्ट से हो सकती है डिप्रेशन की जांच?
डॉक्टर निखिल रहेजा बताते हैं कि डिप्रेशन का पता लगाने के लिए ब्लड टेस्ट भी किए जा सकते हैं। हालांकि, यह टेस्ट आसानी से उपलब्ध नहीं होते हैं। वहीं, इसे पूर्णत: सटीक नही माना जाता है। उन्होंने बताया कि ब्लड के अंदर सेरोटोनिन (Serotonin) नामक न्यूरोकेमिकल होता है। कुछ परिस्थितियों में यह टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है। इसमें 100 फीसदी सही जांच हो यह कहना मुश्किल है। इसलिए प्राइमरी तौर मानसिक स्थिति जानने के लिए क्लीनिकल डायग्नोसिस कराने की ही सलाह दी जाती है।
डिप्रेशन के लक्षणों को कैसे पहचानें?
साइकाइट्रिक का कहना है कि अगर आपको डिप्रेशन के लक्षण दिखे, तो तुरंत अपने साइकाइट्रिक या फिर साइक्लोजिस्ट से संपर्क करें। डिप्रेशन के लक्षण कुछ इस प्रकार के हो सकते हैं-
- दिन भर उदासी महसूस करना (खासतौर पर सुबह के समय)
- बिना वजह पूरे दिन थकावट और कमजोरी महसूस करना।
- खुद को किसी भी लायक न समझना, नकारात्मक विचारों से घिरे रहना।
- बहुत अधिक या बहुत कम होना।
- एकाग्र रहना
- फैसले लेने में कठिनाई होना।
- शारीरिक गतिविधि बदल जाना।
- बार–बार आत्महत्या का विचार आना।
क्लीनिकल डायग्नोसिस में किस तरह के हो सकते हैं सवाल?
डॉक्टर बताते हैं कि मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े डायग्नोसिस के लिए कुछ पैरामीटर तैयार किए गए हैं। ICD के अंदर कुछ पैरामीटर को सेट किया गया है, जिसमें कुछ मुख्य सवाल हो सकते हैं। जैसे-
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- नॉर्मल रुटीन में किस तरह का बदलाव आया?
- नींद में बदलाव आना (बहुत ज्यादा नींद आना या बहुत कम नींद आना)
- घबराहट बैचेनी होना?
- मन उदास रहता है?
- रोना आता है?
- हिम्मत नहीं है?
- नहाने धोना प्रभावित होना?
- खाने में बदलाव
लोगों के साथ मिलने-जुलने में कैसा लगता है?
इसी से जुड़े कुछ सवाल आपसे पूछे जा सकते हैँ। जिसका आपको सही जबाव देने की जरूरत होती है। ताकि डॉक्टर पता लगा सके कि आप डिप्रेशन के शिकार हैं या नहीं। साथ ही आपका सही इलाज किया जा सके।
डिप्रेशन कब तक रहता है?
डॉक्टर रहेजा का कहना है कि डिप्रेशन से ग्रसित व्यक्ति में इलाज के दौरान इंप्रूवमेंट 7 दिन के अंतर दिखने लगता है। वहीं, पूरी तरह के रिकवरी की बात की जाए, तो 90 से 95 फीसदी मरीज 6 से 8 सप्ताह में ठीक हो जाते हैं। 5 से 10 फीसदी में ट्रीटमेंट की आवश्यकता थोड़ा ज्यादा हो सकती है। कुछ मरीजों को ठीक होने में 12 सप्ताह भी लग सकता है।
डिप्रेशन का इलाज?
डॉक्टर बताते हैं कि डिप्रेशन से ग्रसित व्यक्ति को कुछ थेरेपी दी जाती है। इसमें नैचरोपैथी, मनोवैज्ञनिक चिकित्सा थेरेपी, योगा शामिल होते हैं। वहीं, कुछ परिस्थितियों में दवाइयां भी दी जाती है। अगर दवाइयों से मरीज ठीक नहीं होता है, तो electroconvulsive shock therapy (ect) quizlet दी जाती है। इस थेरेपी को डिप्रेशन का इलाज में काफी प्राभावी माना जाता है। यह उन मरीजों को दी जाती है, जिसका लंबे समय तक इलाज के बावजूद बेहतर रिजल्ट नहीं आता है।
डिप्रेशन कई कारणों से हो सकता है। खासतौर पर अगर आप अपनी बातें लोगों के साथ शेयर नहीं करते हैं। मन में बातों को बैठाकर रखते हैं। किसी दबाव में रहते हैं, तो आप डिप्रेशन से ग्रसित हो सकते हैं। इसलिए अगर आपको किसी तरह का स्ट्रेस है, तो उसे बाहर निकालने की कोशिश करें। ताकि डिप्रेशन से बच सकें। वहीं, मानसिक स्वास्थ्य के लिए डॉक्टर की आवश्यकता नहीं होती है, ऐसा न सोचे। मानसिक स्वास्थ्य के लिए डॉक्टर के पास जाने से घबराएं नहीं। अपना समय पर इलाज कराएं। मानसिक स्वास्थ्य आपके शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। इसलिए मानसिक परिस्थितियों का भी सही इलाज कराएं। ताकि आप स्वस्थ रह सकें। मेंटल हेल्थ के लिए आप नियमित रूप से एक्सरसाइज और योग करें। इससे आपको काफी फायदा हो सकता है।