
सोरायसिस एक ऑटो-इम्यून स्थिति है, जो संक्रामक नहीं है। सोरायसिस में त्वचा की नई कोशिकाएं अधिक तेजी से विकसित होती हैं (3-4 दिन में), सामान्य के मुकाबले (30-40 दिन), और शरीर को पुरानी कोशिकाएं हटाने का समय नहीं मिल पाता है।
हम लॉकडाउन जैसी कठिन स्थिति से गुजर रहे हैं और सोरायसिस से पीड़ित कई लोगों के स्वास्थ्य पर इसका और बुरा असर हो सकता है। खासकर यदि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं हो कि वे सोरायसिस पर नियंत्रण में अपनी सर्वश्रेष्ठ क्षमता से इस समय का उपयोग कैसे कर सकते हैं। लॉकडाउन और आइसोलेशन से तनाव हो सकता है, जिससे सोरायसिस का दर्द बढ़ सकता है और स्थिति ज्यादा खराब हो सकती है।
दरअसल, सोरायसिस एक स्व-प्रतिरक्षित (ऑटो-इम्यून) स्थिति है, इसलिये सोरायसिस से पीड़ित लोग अन्य संबंधी बीमारियों और संक्रमणों को लेकर संवेदनशील होते हैं। द नेशनल सोरायसिस फाउंडेशन की अनुशंसा है कि सोरायसिस के रोगियों को लॉकडाउन के दौरान अपने डॉक्टर के संपर्क में रहना चाहिये।
आर्टेमिस अस्पताल में डर्मेटोलॉजी और कॉस्मटोलॉजी की एचओडी डॉ. मोनिका बांबरू के अनुसार, सोरायसिस का उपचार करने वाली अधिकांश थेरैपीज प्रतिरोधक तंत्र पर दबाव बनाती हैं, इसलिये मेडिकल विशेषज्ञों की राय है कि, सोरायसिस के रोगियों को किसी भी स्थिति में अपनी मर्जी से दवाई नहीं लेनी चाहिये। इसके अलावा, सोरायसिस का कोई भी उपचार ले रहे लोगों को अधिक सावधान रहना चाहिये और कोविड-19 समेत सभी प्रकार के संक्रमणों की रोकथाम के सभी सुरक्षा उपाय करने चाहिये।
कोई भी रोगी, जो सोरायसिस के लिये बायोलॉजिक्स उपचार ले रहा हो, उसे अपना उपचार कर रहे त्वचा रोग विशेषज्ञ के संपर्क में रहना चाहिये, ताकि उसे इस संकट के समय बरती जाने वाली सावधानियाँ पूरी तरह से समझ में आयें और वह अपनी स्थिति के उपचार और नियंत्रण के लिये योजना बना सके।
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लॉकडाउन के समय सोरायसिस के रोगियों की स्थिति के प्रबंधन हेतु नीचे कुछ सुझाव दिये जा रहे हैं:
1. सोरायसिस के रोगियों को टेलीमेडिसिन समेत ऑनलाइन मेडिकल सहयोग लेना चाहिये। यह लॉकडाउन में डॉक्टरों के साथ जुड़े रहने के सर्वश्रेष्ठ तरीकों में से एक है, जब क्लिनिक जाना संभव न हो
2. अपनी मर्जी से दवाएं लेना बंद न करें। यदि रोगी सोरायसिस के लिये बायोलॉजिकल थेरैपी ले रहे हैं या किसी अन्य इम्युनोसप्रेसैन्ट का सेवन कर रहे हैं, तो अपने त्वचा रोग विशेषज्ञ के साथ टेलीकंसल्टेशन या वीडियो कॉल के माध्यम से संपर्क बनाये रखें और जानें कि क्या इन थेरैपीज को जारी रखा जाना चाहिये, खुराक कम करनी चाहिये या दवा बंद करनी चाहिये या बदलनी चाहिये
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3. ओमेगा 3 और विटामिन से प्रचुर आहार सोरायसिस के प्रबंधन में लाभदायक होता है। विटामिन ‘डी’ की कमी का सम्बंध सोरायसिस से है। इस कमी से सोरायसिस नहीं होता है, लेकिन यह त्वचा को स्वस्थ रखने की शरीर की क्षमता को प्रभावित कर सकती है, जिससे दर्द बढ़ सकता है। लॉकडाउन के दौरान घर में ही रहने और सूर्य के प्रकाश में न आने से विटामिन ‘डी’ का स्तर और घट सकता है
4. प्रोसेस्ड और तले हुए भोजन से बचें और स्वास्थ्यवर्धक डाइट लें तथा वजन के नियंत्रण पर ध्यान दें। वजन बढ़ने से भी सोरायसिस की पीड़ा बढ़ सकती है। शारीरिक गतिविधि की कमी (घर पर रहने के कारण) सोरायटिक आर्थराइटिस जैसी सहरूग्णता वाले रोगियों के लिये घातक हो सकती है। इसलिए, नियमित रूप से व्यायाम करना अत्यंत महत्वपूर्ण है
5. तनाव से सोरायसिस का दर्द बढ़ता है। विश्राम करें, ध्यान करें और इस समय का उपयोग अपने शौक पूरे करने में करें।
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