
त्वचा के नैचुरल लुक को बनाए रखने के लिए और ताजगी के लिए इसकी सबसे ऊपरी पर्त पर जमा डेड स्किन सेल्स को निकालना बहुत जरूरी है। रोजाना धूल, धूप, गर्म हवा, प्रदूषण, केमिकल्स आदि के कारण त्वचा की ऊपरी पर्त की सेल्स डेड यानी मृत हो जाती हैं। मृत होकर ये सेल्स त्वचा से अपने आप अलग नहीं होती हैं, इसलिए थोड़े दिनों में ही त्वचा खराब और डल दिखाई देने लगती है। इसे निकालने के लिए एक्सफोलिएशन (यानी डेड स्किन सेल्स) को निकालना बहुत जरूरी है।
आमतौर पर डेड स्किन सेल्स को निकालने के लिए फेस स्क्रब और पील ऑफ मास्क के तरीके ज्यादा पॉपुलर हैं। इसके अलावा केमिकल एक्सफोलिएशन भी एक तरीका है, जिससे त्वचा की डेड स्किन सेल्स को निकाला जाता है। केमिकल एक्सफोलिएशन में केमिकल पील, AHAs (Alpha-hydroxy acids) और BHAs (Beta-hydroxy acids) के तरीके शामिल हैं। आइए आपको बताते हैं इनके बारे में और गहराई से।
लिक्विड एक्सफोलिएंट क्या हैं?
लिक्विड एक्सफोलिएंट्स का मतलब है केमिकल वाले एक्सफोलिटर्स जो तरल अवस्था में होते हैं। इनमें आमतौर पर एसिड्स होते हैं। इसके अलावा इनमें AHAs और BHAs दो खास एक्टिव इंग्रीडिएंट्स होते हैं, जो त्वचा की गहराई में समाकर इसकी खराब हो चुकी पर्तों को निकला देता है, जिससे व्यक्ति की त्वचा पहले से ज्यादा चमकदार, निखरी हुई और मुलायम दिखने लगती है। आमतौर पर इस तरह के केमिकल पील्स का इस्तेमाल रेगुलर बेसिस पर नहीं किया जाता है। और इसे स्वयं करने की भी सलाह नहीं दी जाती है। इस तरह के केमिकल पील्स के लिए डर्मेटोलॉजिस्ट से संपर्क करना चाहिए।
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क्या ये लिक्विड एक्सफोलिएंट त्वचा के लिए सुरक्षित होते हैं?
प्रसिद्ध डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. अजय राना बताते हैं, "लिक्विड या केमिकल एक्सफोलिएटर्स सुरक्षित होते हैं। लिक्विड होने के कारण ये त्वचा पर जेंटल होते हैं और स्क्रब की तरह इससे त्वचा को रगड़ने की जरूरत नहीं होती है। ये त्वचा की ज्यादा गहराई से सफाई करते हैं। केमिकल एक्सफोलिएटर्स त्वचा के टेक्सचर को अच्छा बनाते हैं और डेड स्किन सेल की लेयर को पूरी तरह निकाल देते हैं। इससे त्वचा का रंग भी साफ होता है क्योंकि डेड स्किन सेल्स के गहराई से निकल जाने के बाद पूरी त्वचा पर मेलानिन बराबर मात्रा में बनता है। इसलिए यह कहा जा सकता है कि केमिकल पील से त्वचा मुलायम, चमकदार और खूबसूरत बनती है।"
क्या त्वचा पर एसिड से नहीं होता कोई नुकसान?
आमतौर पर एसिड शब्द को लोग हमेशा नकारात्मक अर्थ में लेते हैं, लेकिन ऐसा हमेशा नहीं होता है। अगर सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए, तो केमिकल एक्सफोलिएटर किसी भी दूसरे तरीके से ज्यादा बेहतर काम करते हैं। फिजिकल एक्सफोलिएटर तो सिर्फ त्वचा की ऊपरी पर्त को ही साफ करता है जबकि केमिकल एक्सफोलिएटर त्वचा की गहराई में जाकर इसकी सफाई करता है, जिससे नैचुरल ग्लो बढ़ता है।
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कौन से एसिड्स किस समस्या में कारगर?
अगर आप लिक्विड या केमिकल एक्सफोलिएशन करना चाहते हैं, तो सबसे पहले जान लें कि आपको किस समस्या के लिए कौन सा एसिड इस्तेमाल करना चाहिए।
- लैक्टिक एसिड- माइल्ड (हल्के-फुल्के) एक्सफोलिएशन के लिए और हाइड्रेशन के लिए
- सैलिसिलिक एसिड- इंफ्लेशन दूर करने के लिए और एंटी-बैक्टीरियल गुणों के लिए
- ग्लाइकॉलिक एसिड- त्वचा को गहराई से एक्सफोलिएट करने के लिए
- कोजिक एसिड- पिग्मेंटेशन को हटाने के लिए
- मैंडेलिक एसिड- मुंहासों और पिग्मेंटेशन के लिए