समय के साथ लोगों को जीवनशैली में बदलाव आया है। शारीरिक काम में कमी के कारण लोगों के शरीर का मोटापा बढ़ने लगा है। यही कारण है कि आज के समय में मोटापा एक चिंता का विषय बनता जा रहा है। दरअसल, एक्सपर्ट्स की मानें तो मोटापे के कारण व्यक्ति को डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और किडनी संबंधी समस्या का जोखिम अधिक होता है। किडनी ब्लड को फिल्टर करने में सहायक होती है,यह रक्त की गंदगी को साफ करने और इलेक्ट्रॉलाइट्स को नियंत्रित करती है। ब्लड प्रेशर को संतुलित रखने में भी किडनी सहायक होती है। लेकिन, मोटापे की वजह से कि़डनी प्रभावित हो सकती है। इस लेख में आगे नारायणा अस्पताल के इंटरनल मेडिसिन और कंसल्टेंट डॉ. पंकज वर्मा से जानते हैं कि मोटापे से किडनी पर क्या असर पड़ता है। साथ ही, इससे बचाव के उपायों को भी जानेंगे।
मोटापा किडनी को कैसे प्रभावित करता है?
सूजन का बढ़ना
शरीर की एक्सट्रा फैट टिश्यू इंफ्लामेटेरी साइटोकिन्स को बढ़ाने का कार्य कर सकता है, जो किडनी के टिश्यू में लंबे समय तक सूजन और समस्याओं को बढ़ा सकता है। इस सूजन से किडनी के कार्य प्रभावित हो सकते हैं।
ब्लड प्रेशर का बढ़ना
मोटापा अक्सर हाई ब्लड प्रेशर का कारण होता है, यह किडनी की बीमारी के लिए एक महत्वपूर्ण जोखिम कारक माना जाता है। ज्यादा वजन हार्ट की कार्यप्रणाली को प्रभावित करता है, जिससे हाई ब्लड प्रेशर की समस्या होती है। समय के साथ, हाई बीपी किडनी की नसों को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे किडनी द्वारा ब्लड को फिल्टर करने की क्षमता कम हो सकती है।
इंसुलिन रेजिस्टेंस और डायबिटीज
मोटापा इंसुलिन रेजिस्टेंस और टाइप 2 डायबिटीज के लिए एक प्रमुख जोखिम कारक माना जाता है। हाई ब्लड शुगर किडनी को नुकसान पहुंचाता है। इसे डायबिटीक नेफ्रोपैथी के रूप में जाना जाता है। यह क्रोनिक किडनी डिजीज (CKD) के जोखिम को बढ़ाता है।
किडनी स्टोन का जोखिम
मोटे व्यक्तियों को यूरिन से जुड़ी समस्या होने का खतरा अधिक होता है, इससे किडनी स्टोन होने का जोखिम बढ़ जाता है। यूरीन में कैल्शियम, ऑक्सालेट और यूरिक एसिड के हाई लेवल से पथरी बन सकती है, जो यूरिनरी ट्रैक्ट को ब्लॉक कर सकती है और किडनी में तेज दर्द का कारण बन सकती है।
मोटापे में किडनी की समस्या से कैसे बचाव करें?
- एक्सरसाइज: मोटापे को कंट्रोल करने के लिए आप नियमित रूप से एक्सरसाइज करें। इसमें आप तेज कदमों से चलना, जॉगिंग, साइकिलिंग, स्वीमिंग कर सकते हैं। इससे ब्लड प्रेशर और डायबिटीज को कंट्रोल करने में मदद मिलती है। साथ ही, सूजन होने की संभावना होती है, इससे किडनी पर अतिरिक्त दबाव नहीं पड़ता है।
- डाइट में बदलाव: मोटापा होने का मुख्य कारण आपकी डाइट भी हो सकती है। इसके लिए आप डाइट में सब्जियों, फलों, साबुत अनाज व संतुलित आहार को शामिल कर सकते हैं। साथ ही, नमक का सेवन कम करें, इससे भी मोटापा हो सकता है। चीनी युक्त खाद्य पदार्थ से डायबिटीज का जोखिम बढ़ सकता है, जो किडनी क हेल्थ को प्रभावित कर सकती है। ऐसे में आप ज्यादा से ज्यादा हरी सब्जियों का सेवन करें।
- हाइड्रेटेड रहें: किडनी के स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त हाइड्रेशन बहुत जरूरी होता है। अपने किडनी से टॉक्सिन को बाहर निकालने और किडनी स्टोन बनने से रोकने के लिए आप दिन भर में पर्याप्त मात्रा में पानी अवश्य पिएं।
- सिगरेट और शराब से बनाएं दूरी: मोटापे में सिगरेट और शराब पीने से आपको कई अन्य बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है। साथ ही, किडनी के फंक्शन प्रभावित होते हैं। ऐसे में आप इनसे दूरी बनाएं।
- ब्लड प्रेशर और डायबिटीज की जांच: मोटापे के साथ डायबिटीज या ब्लड प्रेशर की स्थिति किडनी के अलावा अन्य अंगों पर भी दबाव डालते हैं। ऐसे में आपको डायबिटीज और ब्लड प्रेशर की नियमित जांच करनी चाहिए और उन्हें नियंत्रित करना चाहिए।
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मोटापा बढ़ रहा है तो ऐसे में आपको हर तीन से छह माह के अंतराल में किडनी से जुड़े टेस्ट करवा लेने चाहिए। इससे आपको किसी भी तरह की समस्या का समय रहते पता चल जाता है। ऐसे में डॉक्टर किडनी रोगों को दूर करने के लिए सही इलाज कर सकते हैं। लेकिन, आप मोटापे को कंट्रोल करने के लिए शारीरिक गतिविधियों को पर अवश्य ध्यान दें।