हाई बीपी के मरीज के लिए एक दिन में कितना नमक खाना है सही? डॉक्टर से जानें टिप्स और सावधानियां

उच्च रक्तचाप के मरीज के लिए जरूरी है कि वह अपनी डाइट पर ध्यान दे। उसके लिए उसे एक दिन में नमक की मात्रा कितनी है, इस पर ध्यान देना जरूरी है। 
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हाई बीपी के मरीज के लिए एक दिन में कितना नमक खाना है सही? डॉक्टर से जानें टिप्स और सावधानियां

हाइपरटेंशन यानि हाई बीपी एक गंभीर परेशानी है। बदलते लाइफस्टाइल की देन है उच्च रक्तचाप (High Blood pressure)। इस साइलेंट किलर बीमारी से बचने के लिए खराब जीवनशैली (Lifestyle) को ठीक करना सही है। आजकल बाजार में नमक वाले उत्पादों (Products) की संख्या बढ़ गई है। ऐसे हाई बीपी के मरीजों की परेशानियां बढ़ रही हैं। उच्च रक्तचाप के मरीजों को नमक की मात्रा बहुत सोच समझकर खानी होती है। उनके लिए नमक नुकसानदायक होता है। कानपुर में राजकीय हृदय रोग संस्थान, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज, कानपुर में कार्यरत वरिष्ठ प्रोफेसर ऑफ कार्डियोलॉजी डॉ. अवधेश शर्मा ने बताया कि नमक शरीर में पानी को सोख लेता है, जो बीपी की परेशानी को और बढ़ाता है। तो आइए डॉक्टर अवधेश शर्मा से समझते हैं कि एक हाई बीपी के मरीज को दिन में कितना नमक खाना चाहिेए और अन्य कौन सी बातें हैं जिनका उसे ध्यान रखना चाहिए। 

क्या है उच्च रक्तचाप (What is high BP in hindi) 

हाइ ब्लड प्रेशर में किन्हीं कारणो से रक्त का दबाव बढ़ जाता है। इस दबाव की वजह से दिल को धमनियों तक रक्त पहुंचाने के लिए ज्यादा करना पड़ता है। सामान्य ब्लड प्रेशर जब 120/80mmHg से ज्यादा हो जाए तब हाइ ब्लड प्रेशर यानि हाइपरटेशन कहा जाता है। हाइपरटेंशन में ऊपर वाला ब्लड प्रेशर (सिस्टॉलिक) की रीडिंग 120mmHg होनी चाहिए। नीचे वाला ब्लड प्रेशर (डायस्ट्रॉलिक) की रीडिंग 80 mmHg (मिलीमीटर ऑफ मर्करी) होनी चाहिए। ऊपर वाला ब्लड प्रेशर जब सामान्य से 140 के ऊपर और नीचे वाला 90 के ऊपर चला जाता है तब इसे हाई ब्लड प्रेशर कहते हैं या हाइपरटेंशन कहते हैं। 

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मरीज को कैसे नुकसान पहुंचाता है नमक (How does salt harm a high BP patient)

डॉक्टर अवधेश शर्मा का कहना है कि किसी मरीज की लगातार मॉनिटरिंग के बाद भी अगर उसका ब्लड प्रेशर 140/90 से ज्यादा आ रहा है तो उसे हाई ब्लड प्रेशर का मरीज कहा जाता है। हाई ब्लड प्रेशर के मरीज को स्वस्थ जीवनशैली को अपनाना होता है। स्वस्थ जीवनशैली में नमक का उपयोग बहुत महत्त्वपूर्ण है। हाई बीपी के मरीज को नमक का कम सेवन करने की सलाह दी जाती है। नमक शरीर में जाकर पानी को सोखता है। हमारे शरीर में ज्यादा सोडियम जाने की वजह से नमक शरीर से ज्यादा पानी सोखता है। वो पानी खून में जाकर मिलता। उससे ब्लड प्रेशर और बढ़ता है। इस तरह नमक हाई बीपी को प्रभावित करता है।

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हाई बीपी के मरीज कितना नमक खाएं (How much salt should high BP patients eat)

कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. अवधेश शर्मा का कहना है कि कार्डियोलोजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया के दिशानिर्देश के मुताबिक हाई बीपी के मरीज को दिन में 2.5 ग्राम से ज्यादा नमक नहीं खाना चाहिए। बेहतर होगा कि वो उस मात्रा को घटाकर एक दिन में 1.5 ग्राम कर दे। जिनको हाई ब्लड प्रेशर नहीं भी है उन्हें भी इसी मात्रा में नमक खाना चाहिए। लेकिन हाई बीपी वाला मरीज 2.5 से ज्यादा नमक न खाए। 2.5 ग्राम नमक का मतलब एक टी स्पून से है।

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उच्च रक्तचाप के खतरे (Danger of high blood pressure)

हाई बीपी को साइलेंट किलर कहा जाता है। साइलेंट किलर का मतलब है कि जब तक मरीज को मालूम होता है कि उसका बीपी बढ़ा हुआ है तब तक उसके शरीर के कई अंगों को नुकसान हो चुका होता है। डॉक्टर अवधेश शर्मा के मुताबिक हाई ब्लड प्रेशर के निम्न खतरे होते हैं।

  • बढ़े हुए ब्लड प्रेशर का मतलब है कि शरीर के सभी अंगों में ज्यादा प्रेशर के साथ ब्लड का फ्लो होगा। तो ब्रेन में फालिश का अटैक हो सकता है। 
  • ब्रेन हेमरेज हो सकता है। स्ट्रोक हो सकता है। 
  • किडनी में ज्यादा प्रेशर के साथ ब्लड जाता है तो किडनी फेल हो जाती हैं। 
  • हार्ट को ज्यादा प्रेशर के विरोध में काम करना पड़ता है तो हार्ट फेल हो जाता है। 
  • हाई ब्लड प्रेशर की वजह से दिमाग की कोशिकाओँ पर ज्यादा दबाव पड़ता है तो याद्दाश्त कमजोर हो जाती है। 
  • पैरों की नसें मोटी हो जाती हैं, जिससे अल्सर हो जाते है। 

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उच्च रक्तचाप के मरीज इन बातों का रखें ख्याल (Tips for High Bp Patients)

  • हाई बीपी के मरीज नमक कम से कम खाएं। जितनी नमक की मात्रा एक दिन में बताई गई है उतना ही खाएं या उससे कम खाएं। 
  • स्वस्थ जीवनशैली को अपनाएं। 
  • हरी पत्तेदार सब्जियां और फल खाएं। 
  • नियमित व्यायाम करें।
  • धूम्रपान न करें। 
  • तनाव न लें।
  • पूरी नींद लें।

प्राइमरी हाई बीपी जेनेटिक होते हैं। तो वहीं, सेकेंडरी हाई बीपी शरीर के किन्हीं रोगों के कारण होते हैं। सेकेंडरी हाई बीपी में मरीज की पहले जांच की जाती है। और देखा जाता है कि किन वजहों से बीपी बढ़ रहा है। अगर सभी जांचें सही होती हैं तो उसे प्राइमरी बीपी कहा जाता है। जिसका इलाज दवाओं से किया जाता है।

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