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टीनएजर्स के लिए कितने घंटे सोना जरूरी है? जानें एक्सपर्ट से

टीनएजर्स एज में व्यक्ति की मेंटल और फिजिकल हेल्थ बदल रही होती है। जानें टीनएजर्स के लिए कितने घंटे सोना जरूरी है?   
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टीनएजर्स के लिए कितने घंटे सोना जरूरी है? जानें एक्सपर्ट से

Does Puberty Affect Sleep: हर व्यक्ति किशोरावस्था से होकर ही वयस्क बनता है। यह उम्र की ऐसी अवस्था होती है, जिसमें बच्चे का शारीरिक और मानसिक विकास तेजी से हो रहा होता है। इस दौरान शरीर में हार्मोन्स बदल रहे होते हैं जिससे बच्चे की फिजिकल और मेंटल हेल्थ में भी बदलाव आते हैं। इसी उम्र में बच्चों पर पढ़ाई और करियर बनाने का प्रेशर आता है। बच्चों के व्यवहार में बदलाव आता है। साथ ही, उनकी स्लीप साइकिल भी बदल रही होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं टीनएजर्स एज में बच्चे को कितने घंटे सोना जरूरी है? ऐसे में बच्चों को मेंटली रिलैक्स रहने के लिए पर्याप्त आराम लेना जरूरी है। इस बारे में विस्तार से बताते हुए न्यूट्रिशनिस्ट और डाइट एक्सपर्ट सिमरन कथूरिया ने इंस्टाग्राम पर वीडियो शेयर कर जानकारी दी है। 

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टीनएजर्स के लिए कितने घंटे की नींद लेना जरूरी है? How Many Hours Should a Teenager Sleep

इस उम्र में मेंटली प्रेशर ज्यादा होता है। साथ ही, बच्चों की मेंटल और फिजिकल ग्रोथ हो रही होती है। इसलिए पर्याप्त नींद लेना जरूरी होता है। टीनएजर्स के लिए 8 से 10 घंटे की नींद लेना बहुत जरूरी है। 

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टीनएजर्स के लिए पर्याप्त नींद लेना क्यों जरूरी है? Why Long Time Sleep Important For Teenagers

बॉडी क्लॉक बदलती है- Change In Body Clock 

किशोरावस्था के दौरान शरीर की इंटरनल बॉडी क्लॉक बदलती है। ऐसे में बच्चों को पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान देना होता है और उनके माइंड में प्रेशर रहता है। इस कारण टीनएजर्स को रात में देरी से नींद आती है और सुबह जल्दी उठने में परेशानी होती है। 

कई चीजों पर एक साथ ध्यान देना- Focus on Many Task

बच्चों पर होमवर्क और दूसरी एक्टिविटी का प्रेशर ज्यादा रहता है। बच्चे खुद को एक्सप्लोर करने के लिए बाहर निकलते हैं। इससे उनकी स्लीप साइकिल पर असर पड़ सकता है। इसलिए पर्याप्त नींद लेना जरूरी है। 

ब्लू रेज का असर पड़ता है- Blue Rays Effects

बच्चों को पढ़ाई के लिए मोबाइल, लैपटॉप जैसे डिवाइस ज्यादा इस्तेमाल करने पड़ते हैं। इन डिवाइस से निकलने वाली ब्लू रेज टीनएजर्स की हेल्थ को भी प्रभावित करती है। इससे उनकी मेंटल हेल्थ पर भी असर पड़ता है। इसलिए टीनएजर्स को मेंटली रिलैक्स होने के लिए ज्यादा आराम की जरूरत होती है।

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रात तक ज्यादा जगना- Late Night Study

शाम के बाद बॉडी में मेलाटोनिन यानी स्लीप हार्मोन का प्रोडक्शन बढ़ने लगता है। वहीं टीनएजर्स को पढ़ाई के कारण देर से सोने की आदत होती है। इसके कारण उन्हें देर तक नींद आती है। साथ ही, जल्दी उठने में परेशानी होती है। 

मेंटल हेल्थ के लिए जरूरी- Good For Mental Health 

टीनएजर्स की मेंटल और इमोशनल हेल्थ के लिए पर्याप्त नींद लेना जरूरी है। इससे बॉडी फंक्शन ठीक से काम करते हैं। टीनएजर्स को मेंटली एक्टिव होने में मदद मिलती है। 

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