आहार का हमारे शरीर पर सीधा प्रभाव पड़ता है। दरअसल आप जिस तरह के आहार का सेवन करते हैं, उसमें मौजूद पोषक तत्व आपके शरीर को पोषण प्रदान करने में मदद करते हैं। यदि, आपके आहार में पोषण तत्व की कमी होती है तो ऐसे में आपको स्वस्थ रहने में मुश्किल हो सकती है। आज के समय में लोग के काम में इतने व्यस्त हो गए हैं कि उनको खाने तक का समय नहीं मिलता है। ऐसे में कुछ भी हाई कैलोरी वाले फूड आइटम जैसे बर्ग, पिज्जा, फ्रेंच फ्राइच या कोल्ड ड्रिंक पीकर अपनी भूख शांत कर लेते हैं। हाल में हुए एक स्टडी से इस बात का खुलासा हुआ है कि हाई कैलोरी वाले जंक फूड खाने से ब्रेन फंक्शन और व्यवहार पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। इस लेख में एसेंट्रिक क्लीनिक की डाइटिशियन शिवाली गुप्ता से जानते हैं कि हाई कैलोरी डाइट का व्यक्ति के ब्रेन पर क्या असर पड़ता है।
हाई कैलोरी जंक फूड का ब्रेन फंक्शन पर पड़ने वाले प्रभाव
1. मस्तिष्क की संरचना पर प्रभाव
हाई कैलोरी जंक फूड का सेवन मस्तिष्क की संरचना पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। जंक फूड में पाए जाने वाले हाई फैट और शुगर ब्रेन के हिप्पोकैम्पस क्षेत्र को प्रभावित करते हैं। हिप्पोकैम्पस मस्तिष्क का वह हिस्सा है जो स्मृति और सीखने के लिए महत्वपूर्ण होता है। अधिक मात्रा में फैट और शुगर का सेवन हिप्पोकैम्पस के न्यूरॉन्स को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे स्मृति और सीखने की क्षमता कम हो जाती है।
2. न्यूरोट्रांसमीटर का असंतुलन
जंक फूड के सेवन से मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमीटर का असंतुलन हो सकता है। न्यूरोट्रांसमीटर वे केमिकल होते हैं जो मस्तिष्क के विभिन्न हिस्सों में संदेश भेजते हैं। हाई कैलोरी जंक फूड के सेवन से डोपामाइन का स्तर बढ़ जाता है। डोपामाइन एक न्यूरोट्रांसमीटर है जो व्यक्ति की खुशी और संतोष की भावना से जुड़ा होता है। लेकिन डोपामाइन का असंतुलन मस्तिष्क में अत्यधिक एडिक्शन (addiction) की भावना पैदा कर सकता है, जिससे व्यक्ति अधिक जंक फूड की इच्छा होती है।
3. मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव
हाई कैलोरी जंक फूड का सेवन मानसिक स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव डालता है। जंक फूड में आवश्यक पोषक तत्वों की कमी होती है, जो मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अधिक जंक फूड का सेवन अवसाद, चिंता, और अन्य मानसिक समस्याओं का कारण बन सकता है। जंक फूड में पाए जाने वाले ट्रांस फैट और शुगर से मस्तिष्क में सूजन हो सकती है, जो मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ावा देती है।
4. कॉग्नेटिव क्षमताओं प्रभावित होना
जंक फूड का सेवन व्यक्ति की कॉग्नेटिव क्षमता (नई चीजों को सीखने की क्षमता) को भी प्रभावित करता है। कॉग्नेटिव क्षमताएं हमारे सोचने, समझने, और निर्णय लेने की क्षमता से जुड़ी होती हैं। हाई कैलोरी जंक फूड का सेवन कॉग्नेटिव क्षमताओं को कमजोर कर सकता है।
5. व्यवहार में बदलाव
हाई कैलोरी जंक फूड का सेवन व्यवहार में भी बदलाव ला सकता है। जंक फूड के सेवन से व्यक्ति चिड़चिड़ा, आलसी, और अनमोटिवेटेड हो सकता है। इसके अलावा, अधिक जंक फूड का सेवन व्यक्ति को गुस्सैल और आक्रामक भी बना सकता है। जंक फूड में पाए जाने वाले केमिकल का प्रभाव मस्तिष्क के उन हिस्सों पर पड़ता है, जो भावनाओं और व्यवहार को नियंत्रित करते हैं।
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ऐसे में व्यक्तिक को हाई कैलोरी डाइट की जगह पर संतुलित आहार वाली डाइट चुननी चाहिए। साथ ही, डाइट में साबुत आनाज, सब्जियां, सलाद और फलों को शामिल करना चाहिए। जंक फूड का नियमित सेवन आपको बीमार बना सकता है।
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