हेपेटाइटिस लिवर से जुड़ा एक गंभीर रोग है, जिसमें लिवर में सूजन आ जाती है। आमतौर पर हेपेटाइटिस का कारण वायरल इंफेक्शन होता है मगर कुछ अन्य कारणों से भी ये रोग आपको हो सकता है। हेपेटाइटिस कई प्रकार के होते हैं। हेपेटाइटिस ए और ई आमतौर पर दूषित पानी और भोजन के सेवन से होता है। हेपेटाइटिस बी, सी, और डी आमतौर पर संक्रमित व्यक्ति के मूत्र, रक्त अथवा अन्य द्रव्य पदार्थों के संपर्क में आने से होता है। आइए आपको बताते हैं कि किस तरह आप हेपेटाइटिस से बचाव कर सकते हैं और क्या है इसका इलाज।
कैसे पहचानें हेपेटाइटिस के लक्षण
हेपाटाइटिस बढ़ने पर पीलिया का रूप ले लेता है और अंतिम चरण में पहुंचने पर लिवर सिरोसिस या लिवर कैंसर का कारण भी बन सकता है। समय पर उपचार न होने पर रोगी की मृत्यु तक हो सकती है। इसलिए इन लक्षणों के दिखने पर सावधान हो जाएं।
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- बुखार के साथ उल्टी आना
कैसे करें हेपेटाइटिस से बचाव
हेपेटाइटिस का एक मुख्य कारण गंदगी है इसलिए कुछ बातों का ध्यान रखकर आप हेपेटाइटिस जैसे गंभीर संक्रामक रोग से बचाव कर सकते हैं।
- कुछ भी खाने से पहले हाथों को जीवाणुनाशक साबुन या फिर हैंड सैनिटाइजर से साफ जरूर करें।
- व्यक्तिगत व सार्वजनिक स्थलों पर स्वच्छता रखनी चाहिए।
- पीने और खाना बनाने वाला पानी साफ हो, ताकि हानिकारक बैक्टीरिया शरीर में न प्रवेश कर जाएं।
- सड़के के किनारे खुले में मिलने वाले फूड्स और गंदगी के आसपास खड़े स्ट्रीट फूड्स का सेवन न करें।
- संक्रमण फैलाने वाली चीजों जैसे- इस्तेमाल किया हुआ इंजेक्शन, इस्तेमाल किया हुआ रेजर, ब्लेड आदि का प्रयोग न करें।
- अगर खून चढ़ाने की जरूरत पड़े तो प्रमाणित ब्लड बैंक से ही खून लें।
- हेपेटाइटिस ए से बचाव के लिए टीका(वैक्सीन) भी उपलब्ध है। इस वैक्सीन को लगाने के बाद आप ताउम्र हेपेटाइटिस ए से सुरक्षित रह सकते हैं। हेपेटाइटिस ई की वैक्सीन के विकास का कार्य जारी है, जिसके भविष्य में उपलब्ध होने की संभावना है।
- सही मायनों में देखा जाए तो इस रोग से बचाव ही इसकी रोकथाम का सबसे अच्छा तरीका है।
क्या है हेपेटाइटिस का इलाज
हेपेटाइटिस ए में दो वैक्सीन दी जाती हैं। दूसरी वैक्सीन पहली वैक्सीन दिए जाने के छह महीने बाद ही दी जाती है। बच्चों को यह दवा देने से वे 14 से 20 वर्ष तक इस बीमारी से दूर रहते हैं, वहीं वयस्कों पर इस वैक्सीन का असर 25 वर्षों तक रहता है। हेपेटाइटिस बी के लिए नवजात शिशुओं और वयस्कों दोनों को वैक्सीन दी जाती है। इस कोर्स में तीन इंजेक्शन लगाए जाते हैं, नवजात शिशुओं को पैदा होने के 72 घंटे के भीतर यह इंजेक्शन लग जाना चाहिए। और इसके बाद तीन इंजेक्शन क्रमशः पैदा होने, एक वर्ष की उम्र में और फिर छह वर्ष की उम्र में लगाये जा सकते हैं। यह वैक्सीन किसी इन्सान को 25 वर्षों तक इस बीमारी से बचाकर रखता है।
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