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गर्भ में पल रहे शिशु को कैसे प्रभावित करता है जीका वायरस, जानें डॉक्टर से

जीका वायरस गर्भवती महिलाओं के लिए खतरनाक हो सकता है, यह उनके भ्रूण को प्रभावित करता है। जानें कैसे-

Anju Rawat
Written by: Anju RawatUpdated at: Oct 29, 2021 12:30 IST
गर्भ में पल रहे शिशु को कैसे प्रभावित करता है जीका वायरस, जानें डॉक्टर से

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इन दिनों भले ही कोरोना वायरस के मामलों में गिरावट आ रही है, लेकिन देश में डेंगू, मलेरिया और जीका वायरस के मामलों में लगातार इजाफा हो रहा है। जीका वायरस के लक्षण भी डेंगू और मलेरिया के समान ही होते हैं। इसमें बुखार, मांसपेशियों में दर्द, जोड़ों में दर्द, थकान, उल्टी, जी मिचलाना और कमजोरी शामिल हैं। जीका वायरस एडिज मच्छर के काटने से फैलता है, यह मच्छर आमतौर पर दोपहर के समय काटता है। इसलिए आपको इससे बचने के लिए घर और उसके आस-पास सफाई का पूरा ध्यान रखना चाहिए। वैसे तो जीका वायरस किसी भी व्यक्ति को हो सकता है और ठीक भी हो सकता है। लेकिन गर्भावस्था में यह खतरनाक होता है, क्योंकि प्रेगनेंसी में जीका वायरस भ्रूण को भी बुरी तरह से प्रभावित करता है। प्रेगनेंसी में जीका वायरस होने पर गर्भ में पल रहे शिशु को कई तरह से नुकसान पहुंचता है। कोलंबिया एशिया अस्पताल, बैंगलोर की सलाहकार-प्रसूति और स्त्री रोग की डॉक्टर ज्योति कला (Dr.Jyoti Kala Consultant – Obstetrics and Gynecology , Columbia Asia Hospitals, Bangalore) से जानें गर्भ में पल रहे शिशु को जीका वायरस कैसे प्रभावित करता है (How does Zika virus affect fetus)- 

zika virus

जीका वायरस- गर्भ में पल रहे शिशु को कैसे प्रभावित करता है

डॉक्टर ज्योति कला बताती हैं कि जीका का संक्रमण गर्भवती महिलाओं के लिए घातक साबित हो सकता है। खासकर पहले से तीसरे माह के गर्भ के लिए। जीका वायरस गर्भस्थ शिशु के ब्रेन पर सीधे अटैक कर सकता है, यह ब्रेन की हड्डियों को ठीक से बनने में रुकावट पैदा करता है। 

इतना ही नहीं जब गर्भावस्था में जीका वायरस से कोई महिला पीड़ित होती हैं, तो इससे शिशु के ब्रेन की हड्डियां गर्भ में ही गलने लगती हैं। इस वजह से गर्भ में पल रहे शिशु के मस्तिष्क का पूरी तरह से विकास नहीं हो पाता है। 

प्रेगनेंसी में जीका वायरस होने की स्थिति में गर्भ में पल रहे शिशु का सिर बहुत छोटा होता है। ऐसा शिशु छोटे सिर के साथ जन्म लेते हैं। छोटे सिर के साथ पैदा होने की इस समस्या को माइक्रो सिफैली कहा जाता है। इसमें शिशु के सिर का आकार छोटा होता है।

डॉक्टर ज्योति कला बताती हैं कि गर्भावस्था में जीका वायरस के कारण कई जटिलताएं होती हैं, जो भ्रूण को नुकसान पहुंचाता है। गर्भवस्था में जीका वायरस होने से भ्रूण का नुकसान, मृत जन्म और समय से पहले जन्म आदि समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

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गर्भवती महिलाओं को है अधिक खतरा

एडीज एजेप्टी मच्छर से फैलने वाले जीका वायरस का सबसे ज्यादा खतरा गर्भवती महिलाओं को रहता है। यह गर्भस्थ शिशु के ब्रेन और सिर के आकार पर असर डालता है। जीका वायरस एक सामान्य बुखार है और इसका इलाज घर पर भी हो सकता है। इसमें मृत्यु दर बहुत कम है। लेकिन गर्भवती महिलाएं इससे संक्रमित हो जाए, तो माइक्रो सिफैली की समस्या शिशु को हो सकती है।

zika virus in pregnancy

क्या है जीका वायरस के लक्षण (Zika virus syptoms)

  • त्वचा पर लाल चकत्ते होना
  • आंखों का लाल होना
  • जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द होना
  • बुखार और खांसी
  • सिरदर्द
  • उल्टी
  • थकान और कमजोरी

जीका वायरस अधिकतर प्रेग्नेंट महिलाओं को संक्रमित करता है। इससे प्रभावित होने पर बच्चे का जन्म आकार में छोटा और अविकसित दिमाग के साथ होता है।

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जीका वायरस से बचाव (prevention  tips for zika virus)

  • जीका वायरस शारीरिक संबंध बनाने से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से प्रेषित हो सकता है, इसलिए अगर आपको जीका वायरस है तो इससे बचें।
  • घर के आसपास सफाई रखें और पानी जमा बिल्कुल न होने दें।
  • जीका वायरस से बचाव के लिए तरल पदार्थों का सेवन अधिक करें। फलों और सब्जियों को अपनी डाइट में शामिल करें।

अगर आप गर्भवती हैं और आप में जीका वायरस के कोई लक्षण नजर आ रहे हैं, तो तुरंत डॉक्टर से कंसल्ट करें। समय पर इलाज आपके खतरे को कम कर सकता है।

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