आज से कुछ दशक पहले तक हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक और डायबिटीज आदि बुढ़ापे की बीमारियां मानी जाती थीं। मगर इन दिनों युवाओं में भी इस तरह की बीमारियों की संख्या तेजी से बढ़ती दिखाई देने लगी है। भारत में हुए एक सर्वे के मुताबिक भारत में हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों की संख्या 20.7 करोड़ के लगभग है। यानी भारत में हर छठवां व्यक्ति उस गंभीर बीमारी का शिकार है, जिसे उच्च रक्तचाप यानी हाई ब्लड प्रेशर कहते हैं।
ब्लड प्रेशर का बढ़ना किसी भी अवस्था या उम्र में खतरनाक हो सकता है। बढ़े हुए ब्लड प्रेशर के कारण कई अंगों पर दबाव इतना अधिक बढ़ जाता है कि वे काम करना बंद कर सकते हैं। ऐसा ही एक अंग है किडनी। बढ़े हुए ब्लड प्रेशर का असर हार्ट के अलावा किडनियों पर सबसे ज्यादा देखा गया है। दुनियाभर में सबसे ज्यादा मौतें हार्ट अटैक, किडनी फेल्योर और स्ट्रोक के कारण होती हैं। इन सभी के मूल में हाई ब्लड प्रेशर है।
हमारे शरीर में 2 किडनियां होती हैं और दोनों का ही ठीक से काम करते रहना बेहद जरूरी है। किसी परिस्थिति में अगर व्यक्ति की एक किडनी काम करना बंद कर दे या इसे निकाल दिया जाए, तो भी व्यक्ति जी सकता है। मगर स्वस्थ और सामान्य जीवन के लिए दोनों किडनियों का काम करना जरूरी है। किडनियां शरीर में सैकड़ों फंक्शन्स में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। मगर इसका सबसे महत्वपूर्ण काम यह है कि शरीर में बह रहे खून को फिल्टर करे और शरीर में बह रहे अपशिष्ट पदार्थों को अलग करे, ताकि ये गंदगियां पेशाब के साथ शरीर से बाहर निकल जाएं।
ज्यादातर मरीजों में कोई लक्षण नहीं
ब्लड प्रेशर के साथ बड़ी समस्या यह है कि इसके ज्यादातर मरीजों में कोई भी लक्षण नहीं दिखाई देते हैं। हालांकि अगर शुरुआती अवस्था में इसका पता चल जाए तो लाइफस्टाइल में बदलाव करके और सही इलाज के द्वारा इसे ठीक किया जा सकता है। जो लक्षण दिखते भी हैं, वो इतने सामान्य होते हैं कि किसी का ध्यान इस गंभीर बीमारी की तरफ नहीं जाता है, जैसे- बहुत ज्यादा थकान, सिरदर्द, धुंधला दिखना, दिल की धड़कन का बढ़ना या घटना, सीने में हल्का दर्द आदि।
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किडनी पर हाई ब्लड प्रेशर का असर
हाई ब्लड प्रेशर और किडनी एक दूसरे को प्रभावित करते हैं। अगर किसी व्यक्ति को किडनी रोग है, तो उसे हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हो जाएगी, वहीं अगर किसी को हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है, तो उसे किडनी की बीमारी हो जाएगी। आमतौर पर दुनियाभर में जितने भी किडनी फेल्योर के मामले सामने आते हैं, उनमें हाई ब्लड प्रेशर ही ज्यादातर में मूल कारण होता है। ऐसा माना जाता है कि किडनी की महीन और पतली रक्तशिराओं में जब खून का दबाव बढ़ता है, तो वे डैमेज हो जाती हैं और किडनी काम करना बंद कर देती है।
किडनी खराब होने के लक्षण देर से दिखते हैं
सबसे बड़ी मुसीबत की बात यह है कि न तो हाई ब्लड प्रेशर का ही पता शुरुआती अवस्था में चलता है और न ही किडनी के खराब होने का पता चलता है। आधे से ज्यादा किडनी के मरीजों में इसके खराब होने के संकेत तब दिखना शुरू होते हैं जब किडनी 90% तक खराब हो चुकी होती है। किडनी फंक्शन के खराब हो जाने पर डायलिसिस के द्वारा ही मरीज की जान बचाई जा सकती है। मगर किडनी की डायलिसिस का खर्च इतना ज्यादा आता है कि 60% से ज्यादा लोग बीच में ही इलाज छोड़ देते हैं।
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कैसे पता चलेगा किडनी का बीमारी है?
अगर किसी व्यक्ति को हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है, तो उसको किडनी फंक्शन टेस्ट जरूर कराना चाहिए। इस टेस्ट द्वारा खून में क्रिएटिनिन का लेवल और यूरिन में प्रोटीन की मात्रा जांची जाती है, जिसके आधार पर तय किया जाता है कि व्यक्ति की किडनी कितनी स्वस्थ है।
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