डिप्रेशन यानी अवसाद एक ऐसी समस्या है, जो आमतौर पर दिमाग और मन से जुड़ी मानी जाती है। मगर इसका असर हमारे शरीर के कई अंगों पर भी पड़ता है। बॉलीवुड और हॉलीवुड के कई सेलिब्रिटीज में पिछले दिनों डिप्रेशन के मामले सामने आए हैं। दीपिका पादुकोण, अनुष्का शर्मा, करन जौहर, कपिल शर्मा जैसे कई बॉलीवुड सितारे और एलेन डी जनेरस, जॉनी डेप्प, एमिनेम जैसे कई दिग्गज हॉलीवुड सितारे डिप्रेशन से लड़ाई लड़कर जीत चुके हैं। जिंदगी में अचानक बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव के कारण अक्सर लोग डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं। इसके साथ ही हार्मोन्स में बदलावों के कारण भी कई बार डिप्रेशन जैसी स्थिति आ जाती है। आइए आपको बताते हैं कि कैसे डिप्रेशन आपके अलग-अलग अंगों पर असर डालता है।
दिल के लिए खतरनाक है डिप्रेशन
ज्यादा चिंता और टेंशन ही डिप्रेशन की एक प्रमुख वजह हैं। तनाव या चिंता होने पर व्यक्ति के शरीर में सिंपैथेटिक नर्वस सिस्टम सक्रिय हो जाता है। इस दौरान हमारे शरीर में नॉरपिनेफ्राइन नामक हॉर्मोन का स्राव बढ़ जाता है, जिसके प्रभाव से व्यक्ति का ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। ऐसे में दिल तेज़ी से धड़कने लगता है, हृदय की रक्वाहिका नलियां सिकुड़ जाती हैं, खून का प्रवाह तेज़ हो जाता है, जिससे दिल पर दबाव बढ़ता है, व्यक्ति को पसीना और चक्कर आने लगता है। लंबे समय तक डिप्रेशन में रहने वाले लोगों में हार्ट अटैक की भी आशंका बढ़ जाती है।
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त्वचा और बालों पर डिप्रेशन का असर
डिप्रेशन का असर आपके त्वचा और बालों पर भी पड़ता है। इसके कारण बालों के झड़ने और टूटने की समस्या बढ़ जाती है। इसके अलावा त्वचा की रंगत भी खो जाती है, जिससे डिप्रेशन का शिकार रोगी बीमार लगने लगता है। कई लोगों में त्वचा पर जल्दी झुर्रियां, एडिय़ों का फटना जैसी समस्याएं परेशान करने लगती है। ऐसी स्थिति में लोग अनिद्रा के शिकार हो जाते हैं, जिससे आंखों के आगे डार्क सर्कल्स दिखने लगते हैं। इसके अलावा कम उम्र में ही व्यक्ति ज्यादा बूढ़ा लगने लगता है।
पाचन तंत्र या डाइजेस्टिव सिस्टम
ऐसा आपने भी देखा होगा कि जिन दिनों हम किसी बात को लेकर बहुत ज्य़ादा चिंतित या उदास होते हैं, उस दौरान हमारा पाचन तंत्र ठीक से काम नहीं करता। इसी कारण से भूख न लगना, पेट साफ न होना, कमजोरी और थकान जैसी समस्याएं होती हैं। दरअसल डिप्रेशन के दौरान सिंपैथेटिक नर्वस सिस्टम की सक्रियता के कारण आंतों में हाइड्रोक्लोरिक एसिड का सिक्रीशन बढ़ जाता है, जिससे पेट में दर्द और सूजन, सीने में जलन, कब्ज़ या लूज़ मोशन जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
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प्रतिरक्षा तंत्र या इम्यून सिस्टम
डिप्रेशन की स्थिति में तनाव बढ़ाने वाले हॉर्मोन कार्टिसोल का सिक्रीशन तेज़ी से होने लगता है। इसके प्रभाव से व्यक्ति के शरीर में मौज़ूद एंटीबॉडीज़ नष्ट होने लगते हैं, जिससे उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता तेज़ी से घटने लगती है। इसी वजह से डिप्रेशन से ग्रस्त लोगों को सर्दी-ज़ुकाम, खांसी और बुखार जैसी समस्याएं बार-बार परेशान करती हैं।
लिवर पर डिप्रेशन का असर
तनाव और चिंता की स्थिति में लिवर में ग्लूकोज का सिक्रीशन बढ़ जाता है। इसके अलावा कॉर्टिसोल हॉर्मोन शरीर में फैट की मात्रा और भूख भी बढ़ा देता है। इसी वजह से डिप्रेशन में कुछ लोग मोटे हो जाते हैं तो कुछ के शरीर में शुगर का लेवल बढ़ जाता है। अगर किसी को ज्य़ादा लंबे समय तक डिप्रेशन हो तो उसे डायबिटीज़ की समस्या हो सकती है। जब लिवर सही ढंग से काम नहीं करता तो किडनी पर भी इसका बुरा असर पड़ता है।
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