पुरुषों में फेफड़ों के कैंसर के बाद होने वाला दूसरा सबसे आम कैंसर है, प्रोस्टेट कैंसर। हाल में एक अध्ययन जो पुरूषों के स्वास्थ्य पर किया गया, उसमें पता चला है कि जिन पुरुषों में पुरुष टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का स्तर अधिक होता है, उन्हें आने वाले समय में प्रोस्टेट कैंसर होने की संभावना अधिक होती है। हाई टेस्टोस्टेरोन के साथ प्रोस्टेट कैंसर के विकास का खतरा 18% बढ़ जाता है।
यूनाइटेड किंगडम के ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं की एक टीम द्वारा किये गये अध्ययन के अनुसार, जहां उन्होंने पुरुष में हार्मोन और कैंसर की संबंध का पता लगाने के लिए लगभग 200,000 पुरुषों का अध्ययन किया था। जिसमें ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर और अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता रूथ ट्रैविस ने कहा, "प्रोस्टेट कैंसर फेफड़ों के कैंसर के बाद दुनिया भर में पुरुषों में होने वाला दूसरा सबसे अधिक पाया जाने वाला कैंसर है और कैंसर से होने वाली मौतों का एक प्रमुख कारण है। लेकिन, कोई सबूत आधारित सलाह नहीं है, जो हम पुरुषों को इसके जोखिम को कम करने के लिए दे सकते हैं। "
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रूथ ट्रैविस ने कहा, "हम खून में घूम रहे दो हार्मोनों के स्तर का अध्ययन करने में रुचि रखते थे, क्योंकि पिछले शोध बताते हैं कि उन्हें प्रोस्टेट कैंसर से जोड़ा जा सकता है। क्योंकि ये ऐसे कारक हैं, जिन्हें प्रोस्टेट कैंसर के खतरे को कम करने के प्रयास में बदला जा सकता है।"
शोध 200,452 स्वस्थ पुरुषों पर किया गया था, जिनमें इस अध्ययन से पहले कैंसर का कोई भी खतरा या आशंका नहीं थी। शोधकर्ताओं ने उनके शरीर में टेस्टोस्टेरोन और विकास हार्मोन के स्तर की जांच करने के लिए उनके खून के नमूने लिए। शोधकर्ताओं ने प्रतिभागियों के स्वास्थ्य पर लगभग सात साल तक जांच की कि उनमें प्रोस्टेट कैंसर विकसित हुआ या नहीं। हैरानी की बात है कि 5,000 से अधिक पुरुष प्रोस्टेट कैंसर से पीड़ित थे, जहां लगभग 300 लोगों की इस बीमारी से मृत्यु हो गई थी।
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अध्ययन के बाद, शोधकर्ताओं ने पाया कि पुरूषों के श्रीर में पाए जाने वाले हार्मोन की अधिकता की वजह पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर था। ट्रैविस ने कहा, "इस प्रकार का अध्ययन हमें यह नहीं बता सकता है कि ये कारक क्यों जुड़े हैं, लेकिन हम जानते हैं कि टेस्टोस्टेरोन हार्मोन प्रोस्टेट के सामान्य विकास और कार्य में एक भूमिका निभाता है और हमारे शरीर में कोशिकाओं के विकास को प्रोत्साहित करने में IGF-I की भूमिका होती है।''
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