सीने में जलन (Heartburn) एक आम स्थिति है, जो दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित करती है। यह समस्या अक्सर खाने के बाद होती है। यह परेशानी पेट के एसिड के एसोफैगस (आहार नली) में वापस आने के कारण होती है। एसोफैगस, वह नली जो मुंह से पेट तक भोजन ले जाने का काम करती है। जंक फूड या मासलेदार खाना खाने के बाद सीने में जलन होने के लक्षण देखने को मिल सकते हैं। लेकिन, कुछ मामलों में सीने में जलन गंभीर स्वास्थ्य समस्या से जुड़ी हो सकती है। इस लेख में आगे डॉक्टर से जानते हैं कि क्या सीने में जलन फेफड़ों में कैंसर की ओर संकेत करती है।
सीने में जलन और लंग कैंसर के बीच संबंध
हार्टबर्न और फेफड़ों के कैंसर को समझने के लिए आपको इनके कार्यों को समझना होगा। सीने में जलन की समस्या तब होती है, जब निचला एसोफेगियल स्फिंक्टर (LES), एसोफैगस के निचले हिस्से में मांसपेशियों के साथ जुड़ा वॉल्व ठीक तरह से बंद नहीं हो पाता है। ऐसे में पेट का एसिड एसोफैगस से वापस आने लगता है। इससे जलन और सूजन हो सकती है। क्रोनिक हार्टबर्न, जिसे गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (जीईआरडी) के रूप में भी जाना जाता है, अधिक डैमेज का कारण बन सकता है।
जूपिटर अस्पताल के ऑन्को सर्जन कंसल्टेंट डॉ. चिराग भीरुड़ के अनुसार सीने में जलन और लंग कैंसर के बीच संबंध हो सकते हैं। क्रोनिक एसिड रिफ्लक्स माइक्रोएस्पिरेशन का कारण बन सकता है, जहां पेट के एसिड और अन्य गैस्ट्रिक जूस की छोटी मात्रा फेफड़ों में चली जाती है। समय के साथ, यह फेफड़ों के टिश्यू में सूजन और डैमेज का कारण बन सकता है, जिससे कैंसर विकसित होने का जोखिम बढ़ सकता है।
सीने में जलन के जोखिम कारक जो लंग कैंसर की वजह बन सकते हैं?
धूम्रपान
धूम्रपान GERD और लंग के कैंसर दोनों के लिए एक जाना-माना जोखिम कारक है। यह निचला एसोफेगियल स्फिंक्टर (LES) को कमजोर कर सकता है, जिससे एसिड रिफ्लक्स की संभावना बढ़ जाती है। यह सीधे तौर पर लंग के टिसश फेफड़ों के ऊतकोंको नुकसान पहुंचाता है, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
मोटापा
अधिक वजन पेट पर दबाव डाल सकता है, जिससे पेट का एसिड वापस आहारनली में चले जाता है। मोटापा भी कई प्रकार के कैंसर के लिए एक जोखिम कारक है, जिसमें फेफड़ों का कैंसर भी शामिल है।
आहार
ज्यादा अधिक फैट, मसालेदार या अम्लीय खाद्य (Acidic Food) पदार्थ युक्त आहार सीने में जलन का कारण बन सकते हैं। खराब आहार भी कैंसर के बढ़ते जोखिम से जुड़ा हुआ हो सकता है।
जेनेटिक्स (आनुवांशिकी)
जेनेटिक्स कारक GERD और फेफड़ों के कैंसर दोनों के प्रति संवेदनशीलता को प्रभावित कर सकते हैं, हालांकि इसमें शामिल विशिष्ट जीन का अभी भी अध्ययन किया जा रहा है।
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कैंसर की समय रहते पहचान के लिए आपको कुछ टेस्ट करवाने पड़ सकते हैं। इससे कैंसर का इलाज करने में तेजी आती है। साथ ही, रोगी को अन्य संभावित समस्याओं का खतरा कम होता है। यदि आपको कुछ समय से फेफड़ो से जुड़ी समस्या हो रही है, तो ऐसे में आप डॉक्टर संपर्क कर सकते हैं।