लंबे समय से जारी महामारी ने एक सच्चाई की ओर हमारा ध्यान खींचा है, कोविड-19 मरीज़ों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना भी कोरोना वायरस से लड़ने जितना ही महत्वपूर्ण है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत सहित दुनियाभर के अस्पतालों में ह्रदय रोग की समस्या के साथ आने वाले मरीज़ों की संख्या में 50 फीसदी गिरावट देखी गई है। अब, इस तरह के समय में ये आंकड़ें बेहद महत्वपूर्ण हो जाते हैं जब लॉकडाउन के कारण महामारी से लड़ रहे मरीजों की भारी भीड़ से भरे अस्पतालों ने कई सुविधाओं के लिए लोगों की पहुंच को सीमित कर दिया है।
कई मरीज छाती में दर्द, सांस लेने में तकलीफ, ठंडा पसीना और चक्कर आने जैसे लक्षणों को नजर अंदाज कर रहे हैं। वायरस के डर से वे अस्पतालों में आना टाल रहे हैं। रोग निदान में यह देरी कार्डियोवैस्कुलर डिजीज (सीएडी) से पीड़ित मरीज़ों के लिए जानलेवा साबित हो सकती है क्योंकि इन रोगों के लिए तुरंत मेडिकल उपचार किए जाने की आवश्यकता होती है।
जब आप घर पर रह रहें हों तो इन लक्षणों पर बारीकी से निगरानी रखें। यदि आपको थोड़ी सी शारीरिक मेहनत करने पर कमजोरी या सांस लेने में तकलीफ महसूस हो रही हो तो यह ब्लॉकेज यानि अवरोध के संकेत हो सकते हैं। इसलिए, आपको तुरंत बिना किसी देरी के अस्पताल जाने की आवश्यकता है जहां ब्लॉकेज की जांच करने के लिए डॉक्टर आपके लक्षणों की समीक्षा करेंगे, शारीरिक परीक्षण करेंगे और संभवत: एक इलेक्ट्रॉकार्डियोग्राम करने के लिए कहेंगे।
कार्डियोवैस्कुलर डिजीज क्या है?
कार्डियोवैस्कुलर डिजीज एक ऐसी स्थिति हैं जिसमें चर्बी (फैट), प्लेटलेट्स और कैल्शियम के जमाव के कारण ह्रदय की धमनियां संकरी हो जाती हैं और इस वजह से ह्रदय को होने वाली खून की आपूर्ति में कमी आ जाती है। जब धमनियों की दीवार पर प्लेक (मोटी सख़्त परत) जमा होती जाती है तो यह ह्रदय (जिसे कोरोनरी आर्टरीज कहते हैं) को होने वाली खून की आपूर्ति बंद कर देती है। पिछले कई वर्षों में चिकित्सा विज्ञान में नई खोज के चलते हार्ट स्टेन्ट जैसे उपकरणों के साथ सीएडी की समस्या से निपटने में मदद मिल रही है। साथ ही, इससे अवरोध वाली धमनियों से पीड़ित मरीज़ों के लक्षणों में कमी लाने में मदद भी मिलती है।
जीवनशैली से जुड़े रोगों और काम से जुड़े तनाव के प्रचलन में बढ़ोतरी के साथ ह्रदय धमनी रोग के उपचार की जटिलताएं बढ़ रही हैं। ज्यादातर अस्पतालों में दोबारा आनेवाले ऐसे मरीज़ों की संख्या बढ़ रही है जिनकी एन्जियोप्लास्टी कराई जा चुकी है और उन्हें इसी प्रक्रिया के लिए एक बार फिर अस्पताल लाया जा रहा है।
आज, जब हम महामारी के संकट से घिरे हुए हैं, आधुनिक उपचार की उपलब्धता के बावजूद अस्पतालों में आनेवाले ह्रदय रोग के मरीजों की संख्या में गिरावट देखी जा रही है। इस समय संक्रामक और सामान्य रोगों का बोझ बढ़ता जा रहा है। इसलिए जरूरत इस बात की है कि हम ह्रदय रोग की गंभीर स्थितियों से निपटने के सभी उपलब्ध विकल्पों की अपडेटेड जानकारी रखें।
इस महामारी की स्थिति के दौरान यह महत्वपूर्ण है कि हम ह्रदय में ब्लॉक हो गई धमनियों को खोलने के लिए मिनिमली इन्वेसिव कोरोनरी इंटरवेंशन हेतु उपलब्ध सबसे आधुनिक टेक्नोलॉजी का लाभ उठाएं ताकि मरीजों को इसके बेहतर परिणाम मिले और उन्हें दोबारा अस्पताल न आना पड़े। धमनियों में ब्लॉक के लिए उपचार हेतु सबसे नई उन्नत टेक्नोलॉजी के साथ यह सलाह दी जाती है कि ड्रग एल्यूटिंग स्टेंट (दवा का क्षालन करने वाली स्टेंट) जैसे प्रॉडक्ट्स का इस्तेमाल किया जाए जिनका अध्ययन कई देशों में अनेक प्रकार के मरीज़ों पर किया गया है और इससे जुड़ा कम से कम 10,000+ मरीजों का डेटा उपलब्ध है। इसे यूएसएफडीए की मंजूरी भी हासिल है।
आज विभिन्न प्रकार के नई पीढ़ी के प्लैटिनम क्रोमियम कार्डिएक स्टेंट उपलब्ध हैं जो सभी प्रकार के जटिल मामलों में और मरीजों की जरुरतों को पूरा करते हैं।
इसके साथ ही आईवीयूएस जैसे कोरोनरी ईमेजिंग के तौर-तरीकों का उपयोग कर प्रक्रिया के परिणामों को और ज़्यादा बेहतर करना संभव है, जिसमें डॉक्टरों को रक्त वाहिनियों के अंदर देखने और सबसे सही जगह पर स्टेन्ट रखने की सुविधा प्राप्त हो सकती है। कोरोनरी पीसीआई नतीजों को एक ही बार में सबसे अच्छा करने से इस महामारी के प्रकोप के दौरान प्रक्रिया को दोहराने की संभावनाएं कम की जा सकती हैं।
सबसे जरूरी बात यह कि इस बारे में लोगों को जागरूक बनाया जाए ताकि हर मरीज तक सर्वश्रेष्ठ इलाज पहुंच सके।
टॉप स्टोरीज़
धूम्रपान बंद करें
धूम्रपान से रक्त वाहिनियों को हानि पहुचंने के साथ ह्रदय की गति भी तेज हो जाती है। ह्रदय को मिलनेवाली ऑक्सीजन का लेवल कम हो जाता है। फेफड़ों को नुकसान तो पहुंचता ही है।
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नियमित व्यायाम करें
एक स्वस्थ वजन बनाए रखें जो अप्रत्यक्ष रुप से ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रोल के स्तर को कम कर सीएडी में सुधार लाए और ह्रदय को मजबूत बनाए।
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तनाव कम करें
तनाव से ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है और धमनियों की दीवार को क्षति पहुँच सकती है। इसलिए ध्यान, योग, गहरी सांस लेने या संगीत सुनते हुए पैदल चलने जैसी तकनीक से आराम मिल सकता है।
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आहार का ध्यान रखें
जिन खाद्य़ पदार्थों में सैचुरेटेड फैट या कोलेस्ट्रॉल ज़्यादा होता है वे सीएडी का खतरा बढ़ा देते हैं क्योंकि इससे प्लेक जमा होने का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए एक ऐसा आहार लेने की सलाह दी जाती है जिसमें फैट (चर्बी) और नमक कम हो और जिसमें फल, सब्ज़ियाँ और संपूर्ण अनाज पर्याप्त मात्रा में हो।
सीएडी के साथ जीने का मतलब है खतरों के बारे में जागरुक रहना और जिन खतरों को नियंत्रित किया जा सकता है उन्हें कम करना। आसपास मौजूद जोखिम के कारण जहां मरीजों को अस्पतालों में जाने से डर लगता है, यह बेहद महत्वपूर्ण है कि आप आपकी स्थिति के बारे में आपके डॉक्टर से बात करें और उपयुक्त सलाह प्राप्त करें। यदि जीवनशैली में बदलाव करना पर्याप्त नहीं है तो आपके डॉक्टर से उन दवाओं के बारे में पूछें जो आपका ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रोल का स्तर कम कर सकते हैं।
Inputs By: Dr. Subhash Chandra, Chairman and HOD – Cardiology, BLK Heart Centre.
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