HealthCare Heroes Awards 2020: IIT एल्युमनी ने कैसे बनाया सतह से कोरोना वायरस मारने वाला कोरोना क्लीनर बॉक्स?

Test Right Nanosystems (TRN) ने छोटा सा कोरोना क्लीनर डिवाइस बनाया है, जो सतह, कोनों, सामान आदि पर मौजूद कोरोना वायरस को 99.9999% तक समाप्त कर देता है
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HealthCare Heroes Awards 2020: IIT एल्युमनी ने कैसे बनाया सतह से कोरोना वायरस मारने वाला कोरोना क्लीनर बॉक्स?

Category : Breakthrough Innovations
वोट नाव
कौन : कोरोना क्‍लीनर बनाने वाले यंग इनोवेटर
क्या : IIT एल्युमनी ने बनाया सतह से कोरोना वायरस मारने वाला कोरोना क्लीनर बॉक्स
क्यों : ये उपकरण अल्ट्रावॉयलेट किरणों का रेडिएशन छोड़कर सतह से कोरोना वायरस को पूरी तरह मार सकता है।

कोरोना वायरस महामारी के दौरान आधी से ज्यादा दुनिया अपने घरों में बंद थी। भारत में भी लगभग 2 महीने तक संपूर्ण लॉकडाउन लगा रहा। ऐसे समय में सिर्फ स्वास्थ्य कर्मी, पुलिसकर्मी, सफाई कर्मी और जरूरी सुविधाओं से जुड़े लोग ही अपने काम पर जाते रहे। हर कोई इस बात को लेकर चिंतित था कि वो वायरस की चपेट में न आ जाए। अस्पतालों, ऑफिसेज और दूसरी जरूरी सुविधाओं से जुड़े संस्थानों के लिए चिंता की बात यह थी कि बार-बार फ्लोर की, पूरे हॉल या कमरे की और उसमें मौजूद हर एक चीज की सफाई कैसे हो? बाहर से आने वाले पैकेज, स्टेशनरी, डॉक्यूमेंट्स, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों आदि की सफाई किस तरह की जाए? इन कामों के लिए सैकड़ों सफाई कर्मियों को रखना न तो व्यवहारिक था और न ही सुरक्षित। ऐसे विपरीत समय में IIT एल्युमनी (आईआईटी के पूर्व छात्र) शुभम राठौर के द्वारा बनाई गई एक इनोवेटिव मशीन ने सबको चौंका दिया था। शुभम ने अपनी स्टार्टअप कंपनी Test Right Nanosystems (TRN) के जरिए एक खास छोटा सा बॉक्स लॉन्च किया, जो अल्ट्रावॉयलेट किरणों का रेडिएशन छोड़कर सतह से कोरोना वायरस को पूरी तरह मार सकता है।

ऐसा नहीं है कि अल्ट्रावॉयलेट किरणें छोड़ने वाली ये दुनिया की पहली मशीन है, बल्कि इस तकनीक का इस्तेमाल कोरोना वायरस महामारी के दौरान लगभग सभी देशों में किया गया। लेकिन शुभम के द्वारा बनाया गया कोरोना क्लीनर इस मामले में अलग है कि ये एक छोटा सा बॉक्स है, जिसे उठाकर कहीं भी ले जाया जा सकता है और छोटे से स्पेस में भी रखा जा सकता है। इसके अलावा ये 360 डिग्री रोटेट कर सकता है जिससे एक बार में ही हर दिशा में सफाई हो सकती है। और तीसरी सबसे खास बात ये कि ये डिवाइस पूरी तरह मेड इन इंडिया है जिसके कारण इससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत को भी दिशा मिली है।

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कोरोना वायरस महामारी के दौरान ऐसे ही कर्म योद्धाओं को सम्मानित करने के लिए Onlymyhealth.com की तरफ से HealthCare Heroes Awards की शुरुआत की जा रही है। अवॉर्ड की पारदर्शिता के लिए आप भी वोट करें और अपने जानने वालों को भी वोट करने के लिए प्रोत्साहित करें। लेकिन उससे पहले जान लीजिए कि आईआईटी के पूर्व छात्र और यंग इनोवेटर शुभम ने किस तरह कोविड महामारी को हराने के लिए अपनी वैज्ञानिक समझ और सूझबूझ का सहारा लिया और कोरोना क्लीनर को डिजाइन किया।

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समय की जरूरत को समझा

यूवी रेडिएशन के द्वारा जर्म्स और बैक्टीरिया को मारने वाले चाइनीज डिवाइसेज की भारत में भरमार थी। लेकिन शुभम के अनुसार इनमें से ज्यादातर सस्ते प्रोडक्ट्स में यूवी किरणों वाली तकनीक ही नहीं थी, बल्कि सिर्फ तेज एलईडी लाइट्स लगाकर बेची जा रही थी, जिसका अर्थ है कि इन चाइनीज डिवाइसेज के इस्तेमाल से व्यक्ति को झूठी सुरक्षा का एहसास होता, जो कि बहुत खतरनाक है। इसीलिए समय की जरूरत को समझते हुए शुभम ने इस बॉक्स को बनाया।

विज्ञान और तकनीक को जोड़कर बनाया से डिवाइस

Test Right Nanosystems (TRN) को एक ऐसी डिवाइस बनानी थी, जो कम के सम कंसंट्रेशन और डोज की यूवी लाइट से हर कोनने तक पहुंचकर चीजों की सफाई कर सके। इसके लिए उन्होंने एक षट्कोणीय (हेक्सागोनल) बॉक्स तैयार किया, ताकि ये पूरे 360 डिग्री तक घूम सके। इसके बाद बॉक्स के अंदरूनी हिस्से में यूवी कोटिंग लगाई गई, ताकि रेडिएशन प्रतिबिंबित होकर निकले और हर दिशा में दीवारो और सामानों तक फैल सके। इसके लिए टीम ने optical simulation program की मदद ली।

OMH healthcare awards

यहां यह भी ध्यान रखना था कि यूवी रेडिएशन इंसानों के लिए खतरनाक हो सकता है इसलिए बॉक्स से किसी तरह का रेडिएशन लीकेज नहीं होना चाहिए। इसके लिए इनवोटर्स की टीम ने बॉक्स को एक खास कुशन से सील किया, जो यूवी लीकेज को रोक सकता है। इसलिए उपयोगी होने के साथ-साथ ये डिवाइस इस्तेमालकर्ता के लिए पूरी तरह सुरक्षित भी है।

ओनलीमायहेल्थ से बातचीत में शुभम ने बताया, "बाजार में बहुत सारे ऐसे डिवाइसेज हैं, लेकिन अगर किसी को वैज्ञानिक या तकनीकी ज्ञान नहीं है, तो उन्हें लीकेज के बारे में पता नहीं चलेगा। क्योंकि ये लीकेज इंसानों की आंख से नहीं देखा जा सकता बल्कि इसके लिए स्पेक्ट्रोमीटर की जरूरत पड़ती है। हमने अपना डिवाइस बनाने में उन्नत तकनीक का स्पेक्ट्रोमीटर इस्तेमाल किया है, ताकि लीकेज की कोई संभावना न रहे। इसलिए इस डिवाइस में ऐसी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जिससे यूवी रेज इस्तेमालकर्ता की त्वचा तक न पहुंच पाएं।

45 बार असफलता के बाद मिली बड़ी सफलता

कोरोना क्लीनर नाम के इस डिवाइस को बनाना आसान नहीं था। शुभम बताते हैं कि उनकी टीम 45 बार असफल रही लेकिन उन्होंने प्रयास नहीं छोड़ा और 46वें प्रयास में जो बना, आज वो सबके सामने है। कोरोना क्लीनर को Defence Research and Development Organisation (DRDO) के अंडर में Laser Science and Technology Centre (LASTEC) के द्वारा मिलकर बनाया गया है। DRDO  के अनुसार ये डिवाइस 99.9999% तक कोरोना वायरस को मारने में सक्षम है।

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इस डिवाइस को बनाने में सबसे बड़ी चुनौती थी खुले में काम करना। TRN एक स्टार्टअप कंपनी है, इसलिए उनके पास न तो लैब्स हैं और न ही बहुत बड़े टेस्टिंग के यंत्र। शुभम बताते हैं, "हम जानते थे कि ये संकट का समय है और हमें सीमित संसाधनों में ही इस काम को करना होगा और डिवाइस बनाना होगा।" इसके लिए उन्होंने National Investment Promotion and Facilitation Agency of India - Invest India और Ministry of Electronics and Information Technology (METI) की स्वीकृति लेकर काम शुरू किया।

डिवाइस को बनाने में कई और चुनौतियां भी शामिल थीं। डिवाइस को बनाने में इस्तेमाल होने वाले छोटे उपकरण और यंत्रों के सप्लायर कई बार कंटेनमेंट जोम में आ गए, जिससे उन्हें सामानों की सप्लाई रोकनी पड़ी। साथ ही फैक्ट्रियों के बंद होने के कारण बहुत सारे उपकरणों की कमी का भी सामना करना पड़ा। ऐसे में उन्हें एक से दूसरे और दूसरे से तीसरे सप्लायर से बार-बार संपर्क करना पड़ रहा था। टीम चाहती थी कि ये डिवाइस बेहद कम खर्च में तैयार हो, ताकि लोग इसका अधिक से अधिक लाभ उठा सकें। लेकिन अलग-अलग सप्लायर्स से बात करने में रेट्स को लेकर बातचीत में काफी समय खराब होता रहा।

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3000 से ज्यादा डिवाइसेज बनाए

Test Right Nanosystems (TRN)  ने ऐसे 3000 से ज्यादा डिवाइसेज बनाकर पुलिस कमिश्नर्स के ऑफिसेज में, आईआईटी संस्थानों में, कई सरकारी मंत्रालयों में और कुछ खास दुकानों आदि में इंस्टाल किए। बहुत सारे ऑफिसेज और ग्रोसरी स्टोर वालों ने भी कोरोना क्लीनर का इस्तेमाल ग्रॉसरी के सामान, डॉक्यूमेंट्स, करेंसी आदि को सैनिटाइज करने के लिए इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। कोरोना क्लीनर भारत में बनने वाला अपनी तरह का पहला डिवाइस है और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देखें, तो उन कुछ डिवाइसेज में से एक है, जो वैज्ञानिक रूप से टेस्ट किए गए हैं और पूरी तरह सुरक्षित हैं। भारत के साथ-साथ इस डिवाइस की डिमांड अब बांग्लादेश, यूएसए और गल्फ कंट्रीज में भी बढ़ रही है।

शुभम को इसी संदर्भ में मुंबई के एक कस्टमर के द्वारा भेजा गया एक नोट याद आता है, जिसमें उसने लिखा था कि उसकी पत्नी ने उसे इंफेक्शन के डर के कारण पिछले 2 महीनों से आइसक्रीम नहीं खाने दिया था। कोरोना क्लीनर के इस्तेमाल से मिली सुरक्षा से वो आइसक्रीम खा पाए।

अगर आपको इस महामारी के समय में Test Right Nanosystems (TRN) के द्वारा किए गए इस काम से प्रेरणा मिली है या आप इनके काम को महामारी से लड़ने में महत्वपूर्ण मानते हैं, तो अपना कीमती वोट इन्हें जरूर दें।

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