अक्सर व्यक्ति को जब कोई गंभीर बीमारी हो जाती है या उसे फ्रैक्चर, कमर में दर्द, कोई बड़ी सर्जरी, गर्भावस्था का दौर आदि परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है तो ऐसे में डॉक्टर की सलाह पर व्यक्ति को कंप्लीट बेड रेस्ट करने के लिए कहा जाता है। ऐसे समय में व्यक्ति का अत्यधिक ध्यान रखने की जरूरत होती है। लेकिन कंप्लीट बेड रेस्ट के दौरान व्यक्ति शारीरिक गतिविधियों से दूर हो जाता है और इसके कारण उसे सेहत से जुड़ी कई समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है। आज का हमारा लेख उन्हीं समस्याओं पर है। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि कंप्लीट बेड रेस्ट करने से सेहत को क्या क्या नुकसान हो सकते हैं। साथ ही ये भी जानेंगे कि बेड रेस्ट के दौरान व्यक्ति को किन बातों का ख्याल रखना चाहिए। पढ़ते हैं आगे...
बेड रेस्ट के दौरान होने वाली समस्याएं
अगर व्यक्ति कंप्लीट बेड रेस्ट करता है तो उसके कारण व्यक्ति को कुछ और समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। यह समस्या निम्न प्रकार हैं-
1 - कंप्लीट बेड रेस्ट के दौरान जरूरत से ज्यादा आराम सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। लंबे समय तक एक ही स्थान पर लेटे रहने से हड्डियां नकारात्मक रूप से प्रभावित हो सकती हैं। वहीं हड्डियों में कमजोरी आ सकती है।
2 - कंप्लीट बेड रेस्ट से व्यक्ति खुद को अकेला महसूस कर सकता है, जिसके कारण तनाव, चिंता, डिप्रशन, एंजायटी आदि समस्याएं हो सकती हैं।
3 - कंप्लीट बेड रेस्ट के दौरान अक्सर व्यक्ति सारा समय उसके कमरे में बिताता है, जिसके कारण वे धूप के संपर्क से दूर रहता है। धूप के संपर्क में आने से व्यक्ति को जरूरी विटामिन डी मिलता है। वहीं भरपूर धूप ना लेने से शरीर में विटामिन डी की भी कमी हो सकती है, जिसके कारण व्यक्ति को कमजोरी भी महसूस हो सकती है।
4 - व्यक्ति जब जरूरत से ज्यादा बेड रेस्ट कर लेता है तो उसे पेट संबंधी समस्या का सामना करना पड़ सकता है। बता दें कि आमतौर पर एक व्यक्ति अपने खाने को पचाने में 3 घंटे का समय लेता है। वहीं जब वह पूरे समय लेटा रहेगा तो इससे खाने के पचाने के समय में परिवर्तन आ सकता है।
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बेड रेस्ट के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें
ध्यान दें कि हर व्यक्ति की उम्र और शारीरिक अवस्था दोनों ही अलग होती हैं। ऐसे में उसके आधार पर आराम के दौरान जरूरी बातों का ध्यान रखा जाता है। ऐसे में ये बातें निम्न प्रकार हैं-
1 - यदि महिलाएं गर्भावस्था के दौरान बेड रेस्ट पर हैं तो ऐसे में हर 2 घंटे में करवट बदलना जरूरी है। साथ ही महिलाएं समय-समय पर अपने हाथों की, पैरों की उंगलियों को चलाती रहें।
2 - यदि किसी बुजुर्ग को कंप्लीट बेड रेस्ट करने की सलाह दी गई है तो ऐसे में आप उस बुजुर्ग को लेटे-लेटे कुछ काम सौंप दें, जिससे उनका ध्यान भी बटा रहे और वे कुछ ना कुछ गतिविधि भी करते रहें। इससे शारीरिक और मानसिक दोनों स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
3 - यदि किसी युवा को बेड रेस्ट करने की सलाह दी है तो वह हो सकता है कि लंबे समय तक मोबाइल पर चैटिंग में लगा रहे। ऐसे में लंबे समय तक मोबाइल पर चैटिंग करने से बचें। इससे सिर और गर्दन दोनों ही नकारात्मक रूप से प्रभावित हो सकते हैं।
4 - बच्चों के लिए बेड रेस्ट करना थोड़ा सा मुश्किल होता है। वह ऐसी स्थिति में भी खेलकूद, गेम आदि के बारे में सोचते हैं। ऐसे में आप बच्चों को कंप्लीट बेड रेस्ट के दौरान कुछ कहानियां सुना सकते हैं या उनका मन भटकाने के लिए उन्हें पढ़ने के लिए बैठा सकते हैं।
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5 - बेड रेस्ट के दौरान व्यक्ति को नमक, घी, तेल या मीठी चीजों का सेवन कम करने दें क्योंकि इस दौरान व्यक्ति शारीरिक गतिविधियों से दूर रहता है। ऐसे में व्यक्ति का वजन बढ़ सकता है।
6 - यदि परिवार में किसी व्यक्ति को बेड रेस्ट की सलाह दी है तो ऐसे में उसका मनोबल कमजोर हो सकता है। परिवार वालों की जिम्मेदारी है कि वह कुछ इस तरीके की बातें करें, जिससे व्यक्ति का मनोबल बढ़े।
7 - यदि किसी व्यक्ति को कमर दर्द है या पैरों में फ्रैक्चर के कारण बेड रेस्ट करने की सलाह दी है तो ऐसे में वे ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बनाने के लिए पैरों की उंगलियों को समय-समय पर हिलाते रहें।
नोट - ऊपर बताएगा बिंदु से पता चलता है कि कंप्लीट बेड रेस्ट के कारण भी व्यक्ति नकारात्मक रूप से प्रभावित हो सकता है। ऐसे में कुछ तरीकों को अपनाकर इन प्रभावों को दूर किया जा सकता है।