अर्थराइटिस और थायरॉयड की समस्‍या से छुटकारा दिलाती है वार्म वॉटर थेरेपी, जानें इसके लाभ

वार्म वॉटर थेरेपी में गर्म पानी का इस्‍तेमाल किया जाता है। यह थेरेपी बहुत ही आसान और हानि रहित होती है। वार्म वॉटर थेरेपी आमतौर पर तीन तरह की होती है। हालांकि तीनों में गर्म पानी का इस्‍तेमाल होता है। इन थेरेपी के फायदे भी अलग-अलग हैं। यहां हम आपको इन थेरेपी के बारे में विस्‍तार से बता रहे हैं।
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अर्थराइटिस और थायरॉयड की समस्‍या से छुटकारा दिलाती है वार्म वॉटर थेरेपी, जानें इसके लाभ


वार्म वॉटर थेरेपी में गर्म पानी का इस्‍तेमाल किया जाता है। यह थेरेपी बहुत ही आसान और हानि रहित होती है। वार्म वॉटर थेरेपी आमतौर पर तीन तरह की होती है। हालांकि तीनों में गर्म पानी का इस्‍तेमाल होता है। इन थेरेपी के फायदे भी अलग-अलग हैं। यहां हम आपको इन थेरेपी के बारे में विस्‍तार से बता रहे हैं।  

वार्म वाटर थेरेपी के प्रकार 

  • वार्म वॉटर ड्रिंकिंग थेरेपी
  • वार्म वॉटर वॉश थेरेपी 
  • स्टीम थेरेपी

वार्म वॉटर ड्रिंकिंग थेरेपी 

इस थेरेपी में मरीज को दिन भर में 8-10 बार केवल गुनगुना पानी पीने के लिए दिया जाता है। पानी हमेशा स्टील, पीतल या सेरेमिक के गिलास में ही पीने के लिए कहा जाता है। गुनगुना पानी पीने से शरीर में मौजूद टॉक्सिन बाहर निकल जाते हैं। इस थेरेपी से बलगम, गैस, एसिडिटी और शरीर में इकट्ठा हुई अतिरिक्त वसा की समस्या दूर होती है।

अर्थराइटिस के मरीजों के लिए : आर्थराइटिस में थोड़े-से गुनगुने पानी में कच्ची हल्दी का पेस्ट मिला लें। इस पानी को सुबह खाली पेट पिएं और शाम को डिनर से एक घंटा पहले पिएं। इससे जोड़ों के अंदर की अकड़न दूर होगी।

थायरॉयड में मिलता है लाभ : थाइरॉइड पीड़ित व्यक्ति रात को एक चम्मच साबुत धनिया एक गिलास पानी में भिगो दें। सुबह खाली पेट पानी को आधा रह जाने तक उबालें। इसे गुनगुना होने पर पी लें।

हाइपर एसिडिटी : हाइपर एसिडिटी के मरीज को दिन भर में कम से कम 6 गिलास गर्म पानी पीने के लिए कहा जाता है। गुनगुना पानी पेट में जाकर इकट्ठी एसिडिटी को घोल देता है और 30 से 45 मिनट के भीतर एसिडिटी से आराम देता है।

मोटापा दूर करे : ऐसे व्‍यक्तियों को दिन में कम से कम 10-12 गिलास गर्म पानी पीना चाहिए। उसमें नीबू, कच्ची हल्दी का पेस्ट, आंवले का रस, शुद्ध शहद भी मिला सकते हैं। मरीज डायबिटिक है तो उसे शहद नहीं देते। किडनी के मरीजों को पानी थोड़ा-थोड़ा करके देते हैं।

त्‍वचा रोगों में : पीड़ित मरीज को गुनगुने पानी में नीबू मिलाकर पीने के लिए दिया जाता है और नीम के पत्तों का पेस्ट नहाने के पानी में मिलाकर नहाने के लिए कहा जाता है।

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वार्म वॉटर थेरेपी 

वार्म वॉटर थेरेपी में मरीज को गुनगुने पानी में नहाने को कहा जाता है। इसके अंतर्गत भी कई प्रकार से बाथ थेरेपी की जाती है। क्‍लीनिंग बाथ थेरेपी के तहत नीम के गुनगुने पानी से एनीमा किया जाता है। इसमें नीम के पत्ते और थोड़ा कपूर मिलाकर बनाए गर्म एंटीफंगल पानी से योनि मार्ग की बाहरी सफाई की जाती है। इसके अलावा स्पंज बाथ थेरेपी के माध्‍यम से जोड़ों के दर्द या अर्थराइटिस में गुनगुने पानी से नहाने की सलाह दी जाती है। यह बहुत फायदेमंद होता है। फुट बाथ थेरेपी के अंतर्गत हार्ड फुट बाथ देते हैं। स्‍पाइनल बाथ थेरेपी के माध्‍यम से सिरदर्द, चक्‍कर और घबराहट होने की समस्‍या दूर की जाती है। ये थेरेपी गर्म पानी में तौलिए को भिगोगर निचोड़ लिया जाता है और उस पर पीठ के बल मरीज को लिटा दिया जाता है। 

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स्‍टीम थेरेपी 

स्‍टीम थेरेपी उन्‍हें दी जाती है जो लोग अस्थमा, साइनस, गले का संक्रमण, थाइरॉयड आदि से पीडि़त होते हैं। मुंह और नाक से स्टीमर, बॉयलर या पतीले से वार्म वॉटर स्टीम दी जाती है। मरीज सिर पर तौलिया या चादर लपेटकर स्टीम लेते हैं। पानी में युकेलिप्टस या अजवायन के पत्ते या युकेलिप्टस ऑयल की 4-5 बूंदे डाल कर स्टीम दी जाती है। स्टीम लेने से पहले मरीज को एक गिलास पानी पिलाया जाता है, ताकि उसे घबराहट न हो।

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