
वीरासन एक प्रसिद्ध ध्यान मुद्रा है, जिसका अभ्यास करने से कई बीमारियां दूर रहती हैं। यहां जानें इसे करने का तरीका और फायदे।
संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बने शब्द वीरासन (वीर+आसन) को अंग्रेज़ी में हीरो पोज़ के नाम से जाना जाता है। इस आसन का अर्थ इसके नाम से बिल्कुल मिलता है। यह आसन हमारे शरीर को एक हीरो यानी कि एक वीर की मुद्रा में बना देती है। वीरासन और वज्रासन में अक्सर लोग धोखा खा जाते है। बता दे की वीरासन वज्रासन (Vajrasana) से अलग है परन्तु दोनों की मुद्राओं में ज़्यादा अंतर नहीं है। वीरासन (Virasana) की मुद्रा बनाने के लिए पहले वज्रासन की ही मुद्रा में आना पड़ता है। वीरासन में कई प्रकार के अन्य वर्ग है। वीरासन कि श्रेणी का सबसे अधिक प्रसिद्ध आसन है सुप्तवीरासन (Supt Virasana) जिससे शरीर को बैठने के बाद पीठ के बल लेटना होता है। यह आपकी शरीर का भारीपन दूर करने के साथ ही शरीर के कई अंगों के बेहद मजबूत बना देता है। हठ योग में इस आसन को बहुत महत्तवपूर्ण आसन माना जाता है। इस मुद्रा में आने से आपकी शरीर का पिछला हिस्सा संतुलित रहता है। इस आसन को करने से अध्यात्मिक शक्तियों का भी विकास होता है। ऐसा माना जाता है कि वीरासन करने से पहले अगर पद्मासन और बकरासन कर लिया जाए तो इसके लाभ दुगने बढ़ जाते है। वीरासन एक ध्यान मुद्रा है। बेहतर परिणाम के लिए इससे सुबह के समय करना ज़्यादा उचित माना जाता है। इससे करते समय आपका ध्यान एकागृत होना चाहिए।
फ्लैट फीट (Flat Feet)
फ्लैट फीट (Flat Feet) पैरों में होने वाला एक विकार है, जिसमें हमारे पैर के तलवे सपाट होते हैं। तलवों में आर्च ना आने के कारण वे सपाट रह जाते हैं और इसी वजह से उन्हें सपाट पैर या फ्लैट फीट कहा जाता है। ऐसा अधिकांश नवजात शिशु (Infants) में देखने को मिलता है, जो कि बढ़ती उम्र के साथ ठीक हो जाता है। लेकिन कई बार यह समस्या पोषक तत्वों की कमी के कारण बच्चों में हमेशा के लिए रह जाती है। यह समस्या जेनेटिक्स भी होती है। चोट लगना या फिर गिरने कि वजह से भी फ्लैट फीट हो सकता है। ऐसे में नियमित तौर पर वीरासन का अभ्यास दिन में दो बार करना चाहिए। वीरासन से पैर के तलवों पर ज़ोर पड़ता है। साथ ही यह आसन टखनों को मजबूत कर आर्च बनाने में आपकी मदद करता है।
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उच्च रक्तचाप (High Blood Pressure)
जब नसों में रक्त का बहाव अचानक से तेज हो जाता है तो उससे उच्च रक्तचाप यानी हाई ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure) कहते हैं। हाई ब्लड प्रेशर के कई कारण होता है, जिनमें सबसे प्रमुख कारण स्ट्रेस होता है। स्ट्रेस की वजह से रक्त का बहाव तेज़ हो जाता है और नसो पर अधिक जोर पड़ता है। जिसके कारण स्ट्रोक, दिल का दौरा और मौत भी हो सकती है। ऐसे में वीरासन एक चमत्कारी योगासन माना जाता है। वीरासन की मुद्रा में लंबी गहरी सांस (Deep Breathing) लेने से दिमाग शांत होता है। इससे स्ट्रेस कम होता है और रक्त का बहाव धीमी गति ले लेता है। हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण नहीं होते हैं। यह किसी भी वक्त किसी भी व्यक्ति को हो सकता है। अनहेल्दी लाइफस्टाइल (Unhealthy Lifestyle) की वजह से इस बीमारी का खतरा और भी बढ़ जाता है। इसलिए हर व्यक्ति को रोजाना वीरासन का 15 से 20 मिनट तक अभ्यास करना चाहिए। जो लोग पहले से ही बीपी की समस्या से जूझ रहे हैं उन्हें तो इसका अभ्यास ज़रूर करना चाहिए।
अस्थमा (Asthma)
अस्थमा (Asthma) जिसे आम बोल चाल कि भाषा में दमा कहा जाता है एक तरह का श्वास रोग है। जब फेफड़ों के श्वसन मार्ग में सूजन हो जाती है तब सांस लेने में परेशानी होती है। ऐसे में अस्थमा अटैक आने का खतरा बढ़ जाता है। सांस ना आने पर खांसी और छाती में दर्द उत्पन्न होता है। पसीने छूटने लगते हैं। रोगी की हालत खराब हो जाती है। अस्थमा कई कारणों से होता है जैसे प्रदूषण, एलर्जी, श्वासप्रणाली (Respiratory System) में संक्रमण, जेनेटिक्स आदि। अस्थमा के मरीजों को सांस की परेशानी ना होने के लिए इनहेलर का सहारा लेना पड़ता है। इसे जड़ से खत्म करने में समय लगता है। ऐसे में अस्थमा अटैक से बचाव के लिए और इन्हेलर की आदत छुड़ाने के लिए भी वीरासन का अभ्यास अवश्य करना चाहिए। वीरासन का अभ्यास आपके रेसपिरेटरी सिस्टम को मजबूत बनाता है, जिससे आप सांस अंदर लेने में पूरी तरह से सक्षम हो जाते हैं। रोज़ाना इस योगासन का अभ्यास आपको दमा से मुक्त करा सकता है। यह आपकी साँस लेने की तकनीक पर काम करके उससे बेहतर और शांत बनाता है।
अवसाद (Depression)
अवसाद जिससे हम आम तौर पर डिप्रेशन के नाम से जानते है एक खतरनाक रोग है। यह रोग अपनी गिरफ्त में जिसे ले लेता है उसके स्वस्थ्य पर हर तरह से प्रभाव डालता है। आज के समय में हर 7 में से एक व्यक्ति डिप्रेशन की लड़ाई से जूझ रहा है। ऐसे में इससे बचने का योगा एक प्रमुख और महत्त्वपूर्ण तरीका है। योगाभ्यास करने वाले लोग कभी डिप्रेशन की चपेट में नहीं आते। विशेषज्ञों के अनुसार वीरासन को डिप्रेशन के लिए एक चमत्कारी योगाभ्यास माना गया है। वीरासन कि मुद्रा में बैठकर आपको गहरी लंबी सांस लेनी होती है। ऐसा करने से आपका दिमाग शांत होता है और तनाव से मुक्ति मिलती है। वीरासन का अभ्यास करते समय आपको ध्यान मुद्रा में बैठकर केवल अपनी सांस पर चित्त जमाना होता है। ऐसा रोज़ करने से आपको कई लाभ होंगे और डिप्रेशन और तनाव से लड़ने की अपार शक्ति मिलेगी।
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अपच (Indigestion)
अपच की समस्या काफी आम है। वीरासन का नियमित अभ्यास करने से आप अपच से छुटकारा पा सकते हैं। वीरासन की मुद्रा में बैठने से आपके पेट की अतड़ियों पर सकारात्मक असर पड़ने के साथ ही आपकी नीभि और पाचन तंत्र पर भी अच्छा असर पड़ता है। माना जाता है कि हीरो पोज करने से आपका पाचन तंत्र बेहद मजबूत हो जाता है। इससे आपके द्वारा खाया गया खाना भी आसानी से पच जाता है। इससे अपच समेत पेट में होने वाले कई अन्य विकारों से भी मुक्ती मिलती है।
वीरासन करने का तरीका
- सबसे पहले जमीन पर दरी बिछाकर सावधान मुद्रा में खड़े हो जाएं।
- अब जमीन पर बैठकर वज्रासन की मुद्रा बनाए।
- अब अपनी बाईं एड़ी को पकड़कर टांग को कूल्हे के नीचे से निकलकर बाईं जांघ से मिलते हुए ज़मीन पर स्थायी रखे।
- यही प्रक्रिया अपनी दाईं टांग के साथ भी दोहराएं।
- अब आपके कूल्हे ज़मीन पर टिक गए हैं।
- अपने दोनों हाथों से ओम मुद्रा में बनाकर घुटनों पर रख लें।
- आपकी वीरासन की मुद्रा तैयार है।
- ध्यान लगाए और इस मुद्रा में कम से कम 15 मिनट तक बैठें।
वीरासन मुद्रा का नियमित अभ्यास करने से आप कई समस्याओं से निजात पा सकते हैं। यह अभ्यास इस लेख में दी गई बीमारियों में बेहद लाभकारी माना जाता है। अगर आप किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित हैं या चोट लगे होने पर इस आसन को चिकित्सक की सलाह लेने के बाद ही करें।
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