भारतीय संस्कृति में व्रत या उपवास रखने की काफी पुरानी परंपरा है। इस परंपरा के बारे में हम सभी वर्षों से सुनते और देखते आए हैं। व्रत, उपवास या फास्टिंग करना केवल एक परंपरा नहीं है, बल्कि इसके कई स्वास्थ्य लाभ भी हैं। हमारें स्वास्थ्य को देखते हुए उपवास को आस्था, पूजा-पाठ आदि से जोड़ा गया है, ताकि इसके कारण ही सही हम कुछ समय में उपवास करें। नवरात्रि का व्रत हो या जन्माष्टमी व्रत, रमज़ान के दौरान रोज़ा या जैनियों द्वारा किया जाने वाला उपवास, यह हमारी संस्कृति में है। हालांकि, इन दिनों, उपवास वजन घटाने का एक माध्यम बन गया है। लोग तेजी से वजन घटाने के लिए उपवास या इंटरमिटेंट फास्टिंग या फिर वाटर फास्टिंग को अपना रहे हैं। शायद कम ही लोगों ने वाटर फास्टिंग के बारे में सुना होगा। पानी का उपवास उन लोगों के लिए काफी सहायक है, जो या तो अधिक वजन वाले हैं या अपनी प्रतिरक्षा को बढ़ावा देना चाहते हैं। आइए यहां हम आपको वाटर फास्टिंग के कुछ फायदे और नुकसान बताते हैं।
वाटर फास्टिंग क्या है?
वाटर फास्टिंग, एक प्रकार का उपवास है, जिसमें व्यक्ति केवल पानी पी सकता है इसके अलावा और कुछ नहीं खा-पी सकता है। यह एक तरह से करवाचौथ के व्रत से मिलता-जुलता है। वाटर फास्टिंग को 24 से 72 घंटे तक किया जाता है। एक व्यक्ति इस अवधि को अपनी क्षमता अनुसार बढ़ा या घटा सकता है। वाटर फास्टिंग ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करती है, जो कि वजन कम करता है और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है। लेकिन अगर आप इस वाटर फास्टिंग को करने का विचार करते हैं, तो पहले एक बार डॉक्टर से मिलने के बाद ही खाना छोड़ने का खतरा मोल लें। क्योंकि बिना डॉक्टरी सलाह के भोजन से वंचित रहने से स्वास्थ्य जोखिम पैदा हो सकते हैं।
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क्यों रखना चाहिए उपवास?
हर महीने एक दिन का उपवास या व्रत रखना समग्र स्वास्थ्य के लिए अच्छा है। यह ऑटोफैगी को ट्रिगर करता है, जो एक ऐसी प्रक्रिया है जहां शरीर मृत कोशिकाओं को खत्म करके उन्हें नई कोशिकाओं के साथ प्रतिस्थापित करके खुद को डिटॉक्सीफाई करता है। इससे मेजाबॉलिज्म को बढ़ावा मिलेगा, जो स्वस्थ और सक्रिय जीवन शैली को बनाए रखने में मदद करता है। लेकिन मधुमेह, हाइपोग्लाइसीमिया और गर्भवती या नई मांओं को उपवास करने से बचना चाहिए। क्योंकि यह आपके स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है।
वाटर फास्टिंग के फायदे
#1 ऑटोफैगी को बढ़ावा देता है
वाटर फास्टिंग ओटोफैगी को बढ़ावा देता है, जो शरीर को मृत कोशिकाओं से छुटकारा दिलाता है और उनके द्वारा उत्पादित कचरे को नई कोशिकाओं के साथ बदलने की प्रक्रिया है। यह आपके शरीर की सफाई प्रक्रिया की तरह है। इसके अलावा, असामान्य कोशिकाएं न्यूरोडीजेनेरेटिव समस्याओं को ट्रिगर करती है, जिनसे इस प्रक्रिया में मुकाबला किया जाता है।
#2 ब्लड प्रेशर को रखे कंट्रोल
यदि आप डॉक्टरी सलाह और देखरेख में उपवास रखते हें, तो आपको ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मदद मिलती है। एक अध्ययन में भी इस तथ्य की जांच की गई है। नमक का सेवन कम करने से (क्योंकि आप कुछ भी नहीं खा रहे हैं) और पर्याप्त पानी पीने से हाई ब्लड प्रेशर कंट्रोल रहता है।
#3 कोलेस्ट्रॉल और हृदय रोगों के खतरे को कम करे
जब आप कुछ कुछ अंतराल में वाटर फास्टिंग करते हैं, तो इससे आपके ट्राइग्लिसराइड का स्तर कम हो जाता है। जिससे कि यह एचडीएल उर्फ अच्छे कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। यही कारण है कि वाटर फास्टिंग हृदय रोग के खतरों को कम करती है।
#4 वजन घटाने और इम्युनिटी बूस्ट करने में सहायक
वाटर फास्टिंग के सबसे अच्छे लाभों में से एक यह है कि ये ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने में मददगार है। जिससे कि आपको इंफ्लेमेशन को कम करने और वजन घटाने में मदद मिलती है। यह हमारी प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने में भी मदद कर सकता है।
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वाटर फास्टिंग के नुकसान
वाटर फास्टिंग के कई फायदों के बावजूद इसके कुछ नुकसान भी हैं। यहाँ वाटर फास्टिंग के कुछ नुकसान भी जान लें:
पोषक तत्वों की कमी: वाटर फास्टिंग के नुकसानों में से एक यह है कि इससे आपके शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो सकती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ऐसे में आप कोई ठोस भोजन नहीं करते हैं।
कोशिकाओं का निर्जलीकरण: हमें भोजन से भी पानी मिलता है। इसके अलावा, जब आप वाटर फास्टिंग में होते हैं और पानी के अलावा कुछ खाते पीते नहीं हैं, तो से पेशाब में वृद्धि होती है और यह आपके सेल को निर्जलित छोड़ सकता है।
कमजोरी या चक्कर : खाना न खाने से आप कमजोर महसूस कर सकते हैं और इससे चक्कर भी आ सकते हैं। इसके अलावा, इससे ब्रेन फॉग भी हो सकता है क्योंकि आपके दिमाग को फ्यूल नहीं मिल रहा है।
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